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नई दिल्ली: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की ताजा ‘क्राइम इन इंडिया 2023’ रिपोर्ट (NCRB Report 2023) ने उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था को नई ऊंचाई दी है। देश के सबसे बड़े राज्य में सांप्रदायिक या धार्मिक दंगों की संख्या शून्य रहने से योगी आदित्यनाथ सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति की पुष्टि हुई है। साथ ही, कुल अपराध दर राष्ट्रीय औसत से 25% कम रही। जानिए क्या कहते हैं आकड़े।
सांप्रदायिक शांति की मिसाल: दंगे शून्य
NCRB रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में उत्तर प्रदेश में कोई सांप्रदायिक या धार्मिक दंगा दर्ज नहीं किया गया। यह योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद पहली बार है जब ऐसा रिकॉर्ड बना। पहले के वर्षों में, जैसे 2012-2017 के बीच 815 दंगों में 192 मौतें हुईं, वहीं 2007-2011 में 616 घटनाओं से 121 जानें गईं। लेकिन 2017 से अब तक कोई बड़ा दंगा नहीं हुआ।
बरेली और बहराइच जैसी छोटी-मोटी हिंसक घटनाओं को भी प्रशासन ने 24 घंटे के अंदर काबू कर लिया। विशेषज्ञों का कहना है कि सख्त निगरानी और त्वरित कार्रवाई ने सामाजिक सद्भाव को मजबूत किया है। यह उपलब्धि यूपी को शांति का प्रतीक बनाती है, जहां बड़ी आबादी के बावजूद धार्मिक तनाव न के बराबर है।

अपराध दर में उल्लेखनीय कमी : NCRB Report 2023
रिपोर्ट में कुल अपराध दर के मामले में यूपी ने राष्ट्रीय औसत को पीछे छोड़ दिया। देश में प्रति लाख आबादी पर 448.3 अपराध दर्ज हुए, जबकि यूपी में यह सिर्फ 335.3 रहा, यानी 25% की कमी। राज्य 11वें स्थान पर है, जबकि केरल (1631.2) और दिल्ली (1602) जैसे क्षेत्रों में यह दर सबसे ऊंची है।
विभिन्न श्रेणियों में भी सुधार दिखा। बलवा के मामलों में राष्ट्रीय 2.8 की दर के मुकाबले यूपी में 1.3 रही, जो आधी से कम है। अपहरण के लिए फिरौती के सिर्फ 16 मामले दर्ज हुए, जबकि देश में 615। डकैती के 73 मामलों ने राज्य को ‘नियर जीरो’ श्रेणी में पहुंचा दिया। बड़ी जनसंख्या होने के बावजूद यह कमी पुलिस की सक्रियता और तकनीकी उपयोग का नतीजा है।

कुछ अपराधों में संख्या अधिक, चुनौतियां बरकरार
हालांकि कुल दर कम है, लेकिन यूपी में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की कुल संख्या सबसे ज्यादा (66,381 मामले) रही, जो राष्ट्रीय औसत से प्रभावित है। दहेज निषेध अधिनियम के तहत 7,151 मामले दर्ज हुए, और दहेज मौतों में 2,122 की संख्या सबसे ऊंची। अनुसूचित जातियों के खिलाफ 15,130 मामले भी चिंता का विषय हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि रिपोर्टिंग में सुधार से संख्या बढ़ी है, लेकिन प्रति महिला अपराध दर (58.6) कई राज्यों से कम है। मिशन शक्ति जैसी योजनाओं से 11% कमी आई, और चार्जशीट दर 77.6% राष्ट्रीय स्तर पर सबसे ऊंची है। फिर भी, ये आंकड़े दर्शाते हैं कि चुनौतियां बाकी हैं, जिन पर फोकस जरूरी है।

योगी सरकार की पारदर्शी शासन और सख्त कार्रवाई ने अपराध पर लगाम लगाई। जीरो टॉलरेंस से न केवल दंगे रुके, बल्कि सामान्य अपराध भी घाटे। डीजीपी राजीव कृष्णा ने कहा कि पुलिस की दृश्यता और हेल्पलाइन ने सुरक्षा बढ़ाई। NCRB डेटा से साबित होता है कि यूपी अब अपराध मुक्त की ओर अग्रसर है। अन्य राज्य इस मॉडल से प्रेरणा ले सकते हैं, जहां साइबर क्राइम जैसे नए खतरे बढ़ रहे हैं। कुल मिलाकर, यह रिपोर्ट यूपी की सफलता की कहानी है, जो शांति और विकास का संदेश देती है।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।