World Blood Donor Day 2025: ‘रक्त दें, उम्मीद दें’—भारत में क्यों अब भी है ब्लड डोनेशन की कमी?

World Blood Donor Day

World Blood Donor Day पर भारत में रक्त की मांग और आपूर्ति के बीच बढ़ता अंतर

New Delhi : आज विश्व रक्तदाता दिवस (World Blood Donor Day) पर भारत सहित पूरी दुनिया में रक्तदाताओं को सम्मानित किया जा रहा है, जो बिना किसी स्वार्थ के जीवन रक्षा के लिए रक्तदान करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा घोषित इस दिन को 2004 में पहली बार मनाया गया था, जिसका उद्देश्य सुरक्षित रक्तदान की आवश्यकता को बढ़ावा देना और स्वैच्छिक दाताओं को प्रोत्साहित करना है। इस वर्ष की थीम ‘रक्त दें, उम्मीद दें: साथ मिलकर जीवन बचाएं’ है, जो रक्तदान के माध्यम से सामुदायिक एकजुटता और मानवता को रेखांकित करती है। भारत में रक्तदान की कमी और चल रहे अभियानों पर यह समाचार विश्लेषण केंद्रित है।

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भारत में रक्तदान की स्थिति

भारत में रक्तदान को सबसे बड़ा दान माना जाता है, क्योंकि यह किसी की जान बचा सकता है। WHO के अनुसार, किसी देश की 1% आबादी को प्रतिवर्ष रक्तदान करना चाहिए ताकि बुनियादी जरूरतें पूरी हो सकें। भारत (1.4 अरब आबादी) के लिए यह 1.3 करोड़ यूनिट रक्त की आवश्यकता का मतलब है। 2022 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 12.7 मिलियन यूनिट रक्त दान किया गया, जो 1 मिलियन यूनिट की कमी को दर्शाता है। चिकित्सा क्षेत्र में 41.2% रक्त की मांग सबसे अधिक है, इसके बाद सर्जरी (27.9%), प्रसूति (22.4%) और बाल चिकित्सा (8.5%) हैं।

राष्ट्रीय रक्त आधान परिषद के अनुसार, 2006-07 में स्वैच्छिक रक्तदान 54.4% था, जो 2011-12 में बढ़कर 83.1% हो गया। त्रिपुरा (93%) भारत में स्वैच्छिक रक्तदान में अग्रणी है, जबकि मणिपुर सबसे पीछे है। भारत में हर 2 सेकंड में रक्त की जरूरत पड़ती है और रक्त की कमी से प्रतिदिन 12,000 लोगों की जान जाती है।

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रक्तदान के लिए पात्रता और सावधानियां

भारत में रक्तदान के लिए राष्ट्रीय रक्त नीति के तहत सख्त नियम हैं। दाता की आयु 18-65 वर्ष, वजन 50 किलोग्राम से अधिक, हीमोग्लोबिन 12.5 ग्राम/डीएल और सामान्य रक्तचाप होना चाहिए। WHO सलाह देता है कि रक्तदान से पहले पूरी नींद, हाइड्रेशन (0.5-1 लीटर पानी) और हल्का भोजन आवश्यक है। हाल में टैटू बनवाने, संक्रमण या भारी वर्कआउट करने वालों को रक्तदान से बचना चाहिए। PMC अध्ययन के अनुसार, 40.75% गैर-दाता कहते हैं कि उन्हें कभी रक्तदान के लिए नहीं पूछा गया और 22.75% में गलत धारणाएं (जैसे बांझपन का डर) हैं।

विश्व रक्तदाता दिवस का इतिहास

WHO के अनुसार, विश्व रक्तदाता दिवस 2004 में शुरू हुआ और 2005 में 58वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में इसे वार्षिक आयोजन घोषित किया गया। यह दिन कार्ल लैंडस्टीनर (14 जून 1868) की जयंती पर मनाया जाता है, जिन्हें ABO रक्त समूह की खोज के लिए 1930 में नोबेल पुरस्कार मिला। PAHO के अनुसार, इस दिन का उद्देश्य स्वैच्छिक, अवैतनिक रक्तदान को बढ़ावा देना और रक्तदाताओं को धन्यवाद देना है।

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भारत में रक्तदान अभियान

भारत में रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए कई अभियान चलाए जा रहे हैं। PIB के अनुसार, 2022 में भारतीय सेना ने 10 राज्यों में रक्तदान अमृत महोत्सव आयोजित किया, जिसमें हजारों यूनिट रक्त एकत्र हुआ। 2025 में, नई दिल्ली में विधायी विभाग और भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी ने शास्त्री भवन में रक्तदान शिविर लगाया। UGC_India ने उच्च शिक्षा संस्थानों से जागरूकता कार्यक्रम और शिविर आयोजित करने की अपील की।

बिहार में अपर मुख्य सचिव हरजोत कौर बम्हरा ने रक्तदान को मानवता की सेवा बताया। रांची में BNI ने रक्तदान शिविर आयोजित किया। तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र स्वैच्छिक रक्तदान में अग्रणी हैं। नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल और NACO ने टीवी, रेडियो और सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाए। PMC के अनुसार, मोबाइल ब्लड वैन और स्कूल-कॉलेजों में प्रेरक वार्ताएं प्रभावी रही हैं।

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वैश्विक संदर्भ

WHO के अनुसार, वैश्विक स्तर पर 11.85 करोड़ रक्तदान होते हैं, लेकिन निम्न-मध्यम आय वाले देशों में कमी है। 60 देश 99-100% स्वैच्छिक दान पर निर्भर हैं, जबकि 73 देश परिवार या सशुल्क दाताओं पर। भारत में स्वैच्छिक दान बढ़ाने की जरूरत है।

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विश्व रक्तदाता दिवस 2025 भारत में रक्तदान की महत्ता को रेखांकित करता है। थीम ‘रक्त दें, उम्मीद दें’ सामूहिक जिम्मेदारी पर जोर देती है। सरकार, NGO और समुदायों के सहयोग से रक्त की कमी को दूर किया जा सकता है।

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