West Bengal: बंगाल में वक़्फ़ बिल पर बेकाबू हिंसा: 3 की गयी जान, लोग चीख रहे हैं- हमें चाहिए राष्ट्रपति शासन!

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West Bengal: वक्फ कानून के विरोध में जल उठा मुर्शिदाबाद, घर-दुकानें बर्बाद

मुर्शिदाबाद, West Bengal: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) कानून 2025 के विरोध में भड़की हिंसा ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया है। तीन लोगों की मौत, दर्जनों घायल, और घरों-दुकानों में तोड़फोड़ के बाद स्थानीय लोग अब खुलकर राष्ट्रपति शासन की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि ममता बनर्जी की सरकार और स्थानीय पुलिस हिंसा को रोकने में पूरी तरह विफल रही है। इस बीच, कुछ बीजेपी नेताओं ने सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (AFSPA) लागू करने की मांग भी उठाई है, जिसने इस मामले को और गंभीर बना दिया है।

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हिंसा का भयावह मंजर

वक्फ संशोधन कानून, जो 8 अप्रैल 2025 को लागू हुआ, इसके विरोध में 10 अप्रैल से ही पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों में प्रदर्शन शुरू हो गए थे। मुर्शिदाबाद के धुलियान और शमशेरगंज ब्लॉक में 11 अप्रैल को स्थिति तब बेकाबू हो गई, जब प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया, वाहनों में आग लगा दी और सड़कों पर हंगामा मचाया। शुक्रवार की रात हिंसक भीड़ ने कई दुकानों और घरों को निशाना बनाया, जिसके बाद तीन लोगों की मौत की खबर ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी।

शनिवार को हिंसा का दूसरा दौर शुरू हुआ, जब एक उग्र भीड़ ने पिता-पुत्र हरगोविंद दास और चंदन दास की पीट-पीटकर हत्या कर दी। दोनों हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाने का काम करते थे। इसके अलावा, गोलीबारी में एक अन्य व्यक्ति भी घायल हो गया।

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राष्ट्रपति शासन : लोगों की मांग

हिंसा से त्रस्त मुर्शिदाबाद के लोग अब डर और गुस्से में हैं। एक स्थानीय निवासी मनोज घोष ने समाचार एजेंसी ANI को बताया, “उन्होंने हमारी दुकानें जला दीं, घरों में तोड़फोड़ की। हम असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। पास में ही पुलिस स्टेशन है, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। हम चाहते हैं कि बीएसएफ यहां स्थायी रूप से तैनात रहे।” एक अन्य स्थानीय ने गुस्से में कहा, “यहां हर जगह अराजकता और गुंडागर्दी है। हम राष्ट्रपति शासन चाहते हैं।”

एक स्थानीय दुकानदार ने अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा, “हम सिर्फ सुरक्षा चाहते हैं। हमारी दुकानें तोड़ दी गईं, घरों में घुसकर सबकुछ बर्बाद कर दिया। हमारे पास अब कुछ नहीं बचा। हमारे बच्चे और परिवार डरे हुए हैं।” लोगों का गुस्सा पुलिस और राज्य प्रशासन पर भी फूट रहा है, क्योंकि उनका मानना है कि हिंसा के समय कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

AFSPA की मांग

हिंसा के बाद बीजेपी सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर मुर्शिदाबाद, मालदा, नदिया, और दक्षिण 24 परगना जैसे सीमावर्ती जिलों को AFSPA के तहत “अशांत क्षेत्र” घोषित करने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि हिंदू समुदाय पर बार-बार हमले हो रहे हैं और राज्य सरकार की “तुष्टिकरण” नीति के कारण कोई कार्रवाई नहीं हो रही।

कोर्ट और केंद्र का हस्तक्षेप

हिंसा की गंभीरता को देखते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने शनिवार को एक विशेष बेंच का गठन किया और तत्काल केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया। कोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार और केंद्र सरकार को स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 17 अप्रैल को होगी। बीएसएफ ने भी पांच कंपनियों को तैनात कर राज्य पुलिस के साथ मिलकर स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश शुरू कर दी है।

केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और डीजीपी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हालात का जायजा लिया और जल्द से जल्द सामान्य स्थिति बहाल करने के निर्देश दिए। इसके अलावा, राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बातचीत की और हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

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ममता बनर्जी का बयान और विपक्ष का हमला

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को हिंसा पर चिंता जताते हुए कहा, “वक्फ कानून को राज्य में लागू नहीं किया जाएगा। यह कानून केंद्र सरकार ने बनाया है, इसलिए जवाब भी वहीं से मांगा जाना चाहिए। मैं लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करती हूं। किसी की जान की कीमत नहीं है।” हालांकि, उनके इस बयान पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

सुवेंदु अधिकारी बोले- “कट्टरपंथी खुलेआम हिंसा कर रहे विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने राज्य सरकार पर हमला करते हुए कहा कि बंगाल में अराजकता और कानून व्यवस्था की स्थिति खराब होती जा रही है। उन्होंने कहा, “कुछ कट्टरपंथी समूह संविधान और कानून का विरोध कर खुलेआम हिंसा कर रहे हैं। आम लोग असुरक्षित हैं।”

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वक्फ संशोधन कानून: क्यों हो रहा विरोध?

वक्फ संशोधन कानून 2025 को लेकर देशभर में तीखी बहस छिड़ी हुई है। इस कानून का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता लाना और उनके दुरुपयोग को रोकना बताया गया है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद में कहा था कि यह कानून पक्षपात और अतिक्रमण को रोकने के लिए जरूरी है। हालांकि, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इसे इस्लामी मूल्यों और संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताते हुए ‘वक्फ बचाओ, संविधान बचाओ’ अभियान शुरू किया है।

AIMPLB ने 87 दिनों तक चलने वाले विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है, जिसमें 1 करोड़ हस्ताक्षर जुटाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपे जाएंगे। बोर्ड का कहना है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों की स्वायत्तता को नुकसान पहुंचाएगा। सुप्रीम कोर्ट में भी इस कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली 17 याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिनकी सुनवाई 16 अप्रैल को होगी।

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मुर्शिदाबाद में तनाव और डर का माहौल

मुर्शिदाबाद में हिंसा के बाद इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं, हालांकि रेल और सड़क यातायात को बहाल कर दिया गया है। बीएसएफ और पुलिस की मौजूदगी के बावजूद लोग डरे हुए हैं और भविष्य को लेकर आशंकित हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो स्थिति और बिगड़ सकती है।

बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग अब केवल मुर्शिदाबाद तक सीमित नहीं है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भी #PresidentRule हैशटैग ट्रेंड कर रहा है, जहां लोग राज्य सरकार की नाकामी पर सवाल उठा रहे हैं। कुछ यूजर्स का कहना है कि यह हिंसा केवल वक्फ कानून का विरोध नहीं, बल्कि गहरी सांप्रदायिक और राजनीतिक अस्थिरता का परिणाम है।

मुर्शिदाबाद की हिंसा ने पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था की स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। राष्ट्रपति शासन और AFSPA की मांग ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाया है। केंद्र और राज्य सरकार के बीच बढ़ता तनाव, कोर्ट का हस्तक्षेप, और सुप्रीम कोर्ट में कानून की वैधता पर सुनवाई इस मामले को और जटिल बना रही है। क्या यह केवल एक कानून के विरोध का परिणाम है, या इसके पीछे गहरे सामाजिक और राजनीतिक कारण हैं? यह सवाल अभी अनुत्तरित है।

(ANI और PTI के इनपुट के साथ)


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