Waqf Amendment Bill: लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी हुई देर रात लंबी बहस, वोटिंग और तीखा टकराव
प्रमुख बिंदु-
नई दिल्ली: संसद में एक बार फिर देर रात तक बहस देखने को मिला। लोकसभा के बाद अब राज्यसभा में भी वक्फ संशोधन विधेयक (Waqf Amendment Bill) को मंजूरी मिल गई है। गुरुवार को शुरू हुई चर्चा 12 घंटे से ज्यादा चली और शुक्रवार रात 2 बजकर 32 मिनट पर बिल पर वोटिंग हुई।
नरेंद्र मोदी सरकार ने इस ऐतिहासिक बिल को उच्च सदन से पारित कराने में सफलता हासिल की। वोटिंग में वक्फ संशोधन बिल के पक्ष में 128 वोट पड़े, जबकि विपक्ष में 95 सांसदों ने मतदान किया। अब यह बिल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास हस्ताक्षर के लिए जाएगा, जिसके बाद यह कानून का रूप ले लेगा। लेकिन इस देर रात की सत्र में क्या हुआ? पक्ष और विपक्ष में क्या तर्क आए? आइए, आपको पूरी कहानी विस्तार से बताते हैं।
देर रात तक चली चर्चा, गहमागहमी का माहौल
राज्यसभा में वक्फ संशोधन बिल (Waqf Amendment Bill) गुरुवार दोपहर 1 बजे केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा पेश किया गया। इसके बाद शुरू हुई चर्चा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। चर्चा इतनी लंबी खिंची कि रात 2 बजकर 32 मिनट तक चली। इस दौरान कई मौकों पर सदन में गहमागहमी की स्थिति बनी। सत्ता पक्ष ने इस वक्फ संशोधन बिल (Waqf Amendment Bill) राष्ट्रीय हित और गरीब मुसलमानों के कल्याण के लिए उठाया गया कदम बताया, तो विपक्ष ने इसे संवैधानिक अधिकारों पर हमला करार दिया।
वोटिंग के नतीजे चौंकाने वाले नहीं थे, क्योंकि एनडीए के पास राज्यसभा में बहुमत का आंकड़ा पहले से ही मजबूत था। मौजूदा समय में राज्यसभा में 236 सांसद हैं, और बिल पास करने के लिए 119 वोटों की जरूरत थी। एनडीए के पास 119 सांसदों का समर्थन था, और 6 मनोनीत सांसद भी आमतौर पर सरकार के साथ ही वोट करते हैं। लेकिन पक्ष में 128 वोट पड़ने से यह साफ हो गया कि कुछ विपक्षी सांसदों ने भी चुपचाप बिल का समर्थन किया।
किरेन रिजिजू का विपक्ष पर हमला
वक्फ संशोधन बिल (Waqf Amendment Bill) पर चर्चा का जवाब देते हुए किरेन रिजिजू ने विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “यह ऐतिहासिक बिल है। इससे किसी एक मुसलमान का नुकसान नहीं होगा, बल्कि करोड़ों गरीब मुसलमानों को फायदा होगा। बिल पास होने के बाद देखिएगा, लोग इसका कैसे स्वागत करते हैं।” रिजिजू ने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “हम नहीं, आप मुसलमानों को डरा रहे हैं। उन्हें मुख्यधारा से बाहर करने की कोशिश कर रहे हैं। सीएए (CAA) के समय भी आपने कहा था कि मुसलमानों की नागरिकता छिन जाएगी। क्या किसी की नागरिकता छिनी?”

रिजिजू ने यह भी दावा किया कि सरकार ने विपक्ष की बात सुनी और कई सुझावों को वक्फ संशोधन बिल (Waqf Amendment Bill) में शामिल किया। उन्होंने कहा, “हमने जो ड्राफ्ट तैयार किया था, अगर वही पारित करते तो बिल का स्वरूप अलग होता। लेकिन हमने चर्चा के बाद संशोधन किए। जेपीसी (JPC) में आपके कई मुद्दों को माना गया है। कलेक्टर का मुद्दा हो, ट्राइबल प्रतिनिधित्व का सुझाव हो, या ट्रिब्यूनल में तीन सदस्यों की बात- हमने सब माना है।”

जेपी नड्डा ने बताया राष्ट्रहित का कदम
राज्यसभा में सदन के नेता और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने भी वक्फ संशोधन बिल (Waqf Amendment Bill) का समर्थन किया। उन्होंने कहा, “यह बिल राष्ट्रहित में है। वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का सही प्रबंधन जरूरी है, ताकि गरीब मुसलमानों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें। विपक्ष मुद्दे को भटकाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन यह सरकार लोकतांत्रिक परंपराओं के साथ आगे बढ़ रही है।” नड्डा ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा, “70 साल तक आपने मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाए रखा। पीएम मोदी उन्हें मुख्यधारा में ला रहे हैं।”
वक्फ संपत्तियों का जिक्र, सच्चर कमिटी का हवाला
रिजिजू ने चर्चा के दौरान सच्चर कमिटी की रिपोर्ट का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “2006 में सच्चर कमिटी ने बताया था कि देश में 4.9 लाख वक्फ संपत्तियां थीं, जिनसे सालाना सिर्फ 163 करोड़ रुपये की आय होती थी। आज 8.72 लाख वक्फ संपत्तियां हैं। अगर इनका सही प्रबंधन हो तो हजारों करोड़ रुपये की आय हो सकती है, जिसका फायदा गरीब मुसलमानों को मिलेगा।” उन्होंने दावा किया कि यह बिल वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता लाने और उनके दुरुपयोग को रोकने के लिए लाया गया है।

विपक्ष का जोरदार विरोध
विपक्ष ने वक्फ संशोधन बिल (Waqf Amendment Bill) को संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताते हुए इसका कड़ा विरोध किया। कांग्रेस सांसद नसीर हुसैन ने कहा, “यह बिल सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने और वोट बैंक की राजनीति के लिए लाया गया है। जेपीसी में विपक्ष की कोई बात नहीं सुनी गई। एनडीए की सिफारिशें जनता पर थोपी गईं।” आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा, “सरकार संवैधानिक अधिकारों पर हमला कर रही है। यह धार्मिक स्वतंत्रता का हनन है।”
डीएमके सांसद तिरूचि शिवा ने आरोप लगाया कि वक्फ संशोधन बिल (Waqf Amendment Bill) के जरिए एक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। वाईएसआर कांग्रेस के वाई वेंकट सुब्बा रेड्डी ने कहा, “यह मुसलमानों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप है। हम इसका विरोध करते हैं।” बीजू जनता दल (बीजेडी) ने भी बिल का विरोध किया, हालांकि उसने अपने सांसदों को वोटिंग में स्वतंत्रता दी थी।
क्या है वक्फ संशोधन बिल?
वक्फ संशोधन बिल (Waqf Amendment Bill) का मकसद वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाना और उनके दुरुपयोग को रोकना है। सरकार का कहना है कि इससे वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का बेहतर इस्तेमाल होगा और गरीब मुसलमानों, खासकर महिलाओं और बच्चों को फायदा मिलेगा। बिल में जिला मजिस्ट्रेट के दफ्तर में वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने, गैर-मुस्लिम सदस्यों को बोर्ड में शामिल करने जैसे प्रावधान हैं, जिनका विपक्ष विरोध कर रहा है।
यह भी पढ़ें: रात 2 बजे वक्फ संशोधन बिल लोकसभा में हुआ पास, पक्ष में पड़े 288 वोट, विपक्ष में 232 वोट
राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद बनेगा कानून
लोकसभा में 12 घंटे की बहस के बाद 2 अप्रैल को रात 2 बजे यह वक्फ संशोधन बिल (Waqf Amendment Bill) पास हुआ था। अब राज्यसभा से भी देर रात मंजूरी मिलने के बाद यह बिल राष्ट्रपति के पास जाएगा। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएगा। इस वक्फ संशोधन बिल (Waqf Amendment Bill) को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है। सत्ता पक्ष इसे गरीब मुसलमानों के लिए क्रांतिकारी कदम बता रहा है, तो विपक्ष इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दे रहा है।
आप इस बिल के बारे में क्या सोचते हैं? अपनी राय जरूर बताएं!
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।