प्रमुख बिंदु-
Vice President Jagdeep Dhankhar Resign: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसने देश में एक अप्रत्याशित हलचल पैदा कर दी। उन्होंने अपने इस्तीफे में स्वास्थ्य कारणों को प्रमुख वजह बताया और कहा कि वे चिकित्सकों की सलाह का पालन करते हुए यह कदम उठा रहे हैं। धनखड़ ने संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को अपना त्यागपत्र सौंपा। उनके इस फैसले ने न केवल राजनीतिक गलियारों में चर्चा छेड़ दी है, बल्कि यह भारत के इतिहास में पहला मौका है जब किसी उपराष्ट्रपति ने स्वास्थ्य कारणों से अपने पद को छोड़ा।
धनखड़ ने अपने बयान में कहा, “मैं स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए और डॉक्टरों की सलाह का पालन करते हुए भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूं।” उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रिपरिषद और सांसदों का उनके सहयोग और स्नेह के लिए आभार व्यक्त किया। उनके इस्तीफे की घोषणा के बाद उपराष्ट्रपति के आधिकारिक एक्स हैंडल से उनकी तस्वीर हटा दी गई, जो उनके कार्यकाल के समापन का प्रतीक बन गया।

उत्तराखंड दौरे में बिगड़ी थी तबीयत
पिछले महीने, 25 जून 2025 को, धनखड़ उत्तराखंड के तीन दिवसीय दौरे पर थे। कुमाऊं विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह में भाग लेने के बाद उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। बताया जाता है कि सभागार से बाहर निकलते समय उन्हें सीने में दर्द की शिकायत हुई। मौके पर मौजूद चिकित्सकों ने तुरंत प्राथमिक उपचार दिया और उन्हें नैनीताल राजभवन ले जाया गया। इस घटना ने उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं बढ़ा दी थीं। पूर्व सांसद महेंद्र पाल ने उस समय बताया कि उनकी तबीयत भावुकता के कारण थोड़ी बिगड़ी थी, लेकिन स्थिति स्थिर थी।
इसके अलावा, मार्च 2025 में भी धनखड़ को सीने में दर्द की शिकायत के बाद दिल्ली के एम्स में भर्ती किया गया था। कई नेताओं, जैसे चिराग पासवान और डॉ. किरोड़ी लाल मीणा, ने उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की थी। इन स्वास्थ्य समस्याओं ने संभवतः उनके इस्तीफे के फैसले को प्रभावित किया।

धनखड़ का शानदार राजनीतिक सफर
जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना गांव में एक जाट परिवार में हुआ था। उन्होंने सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ से स्कूली शिक्षा पूरी की और राजस्थान विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक और फिर एलएलबी की डिग्री हासिल की। वकालत के क्षेत्र में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की और 1990 में राजस्थान हाईकोर्ट में सीनियर एडवोकेट का दर्जा प्राप्त किया।
उनका राजनीतिक सफर 1989 में शुरू हुआ, जब वे जनता दल के टिकट पर झुंझुनू से लोकसभा सांसद चुने गए। बाद में वे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हुए और 2019 से 2022 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे। 2022 में उन्होंने उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराकर 14वें उपराष्ट्रपति का पद संभाला। उनके कार्यकाल में उन्होंने राज्यसभा के सभापति के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मैं भारत के उज्ज्वल भविष्य में पूर्ण विश्वास रखता हूं – धनखड़
धनखड़ ने अपने इस्तीफे में भारत की आर्थिक प्रगति और विकास की सराहना की। उन्होंने कहा, “इस परिवर्तनकारी युग में सेवा करना मेरे लिए सच्चा सम्मान रहा है। मैं भारत के उज्ज्वल भविष्य में पूर्ण विश्वास रखता हूं।” उनके इस बयान ने देशवासियों के बीच एक सकारात्मक संदेश छोड़ा। हालांकि, उनके अचानक इस्तीफे ने कई सवाल भी खड़े किए हैं, जैसे कि अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा और क्या यह फैसला उनके स्वास्थ्य की गंभीरता को दर्शाता है।

उनके इस्तीफे के बाद राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने पहले भी उनके कुछ बयानों, खासकर अनुच्छेद 142 पर उनकी टिप्पणियों, को लेकर आलोचना की थी। लेकिन उनके इस्तीफे को ज्यादातर लोग उनके स्वास्थ्य से जोड़कर देख रहे हैं।

राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।