Varanasi Crime: हरीश मिश्रा पर हुआ मुकदमा, करणी सेना ने किया आरोपों से इनकार
प्रमुख बिंदु-
वाराणसी (Varanasi), 13 अप्रैल 2025: वाराणसी के सिगरा थाना क्षेत्र में शनिवार दोपहर समाजवादी पार्टी (सपा) के कार्यकर्ता हरीश मिश्रा उर्फ ‘बनारस वाले मिश्रा’ पर चाकू से हमले की घटना ने नया मोड़ ले लिया है। हमले के बाद दोनों पक्षों पर मुकदमा दर्ज हुआ है, जिसमें कतिथ अभियुक्त अविनाश मिश्रा ने दावा किया कि वह हरीश की मां करणी पर की गई टिप्पणी से नाराज था और बात करने गया था। दूसरी ओर, हरीश ने इसे करणी सेना का सुनियोजित हमला बताया, हालांकि उनकी FIR में अविनाश का नाम शामिल नहीं है। पुलिस और करणी सेना ने संगठन की किसी भी भूमिका से इनकार किया है।

घटना का विवरण
घटना शनिवार दोपहर करीब 1:45 बजे सिगरा थाना क्षेत्र के काशी विद्यापीठ के पास आशा महाविद्यालय मोड़ के पास हुई। हरीश मिश्रा ने अपनी तहरीर में बताया कि वह अपने घर के बाहर खड़े थे, जब 8-9 लोगों ने उन पर धारदार चाकू और तमंचे से हमला किया। उन्होंने दावा किया कि हमलावरों ने उनके सीने पर चाकू से वार किया, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं। हरीश के अनुसार, स्थानीय लोगों ने हस्तक्षेप कर उनकी जान बचाई और दो हमलावरों को पकड़ लिया। पकड़े गए हमलावरों में एक ने अपना नाम अविनाश मिश्रा और दूसरा स्वास्तिक बताया, जो पांडेयपुर के निवासी हैं।

दूसरी ओर, अविनाश मिश्रा ने अपनी तहरीर में उल्टा दावा किया। अविनाश मिश्रा ने अपनी तहरीर में हरीश मिश्रा का नाम लेते हुए दावा किया कि वह उनकी हालिया टिप्पणी के बारे में बात करने गया था, जिसमें उन्होंने मां करणी को “कुकर्मी” कहा था। अविनाश के अनुसार, वह अकेले ही हरीश से मिलने गया था, लेकिन हरीश और उनके 15-20 साथियों ने उस पर और उसके दोस्त स्वास्तिक पर हमला कर दिया, जिससे वे दोनों लहूलुहान हो गए। अविनाश ने स्पष्ट किया, “मेरा किसी संगठन, खासकर करणी सेना, से कोई संबंध नहीं है। मैं मां करणी का उपासक हूं और उनके अपमान के बारे में सवाल करने गया था।”

पुलिस की कार्रवाई और FIR
पुलिस ने दोनों पक्षों की शिकायत के आधार पर मुकदमा दर्ज किया है। हरीश मिश्रा की शिकायत पर एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 की धारा 109 (हत्या का प्रयास) और 191(2) (दंगा भड़काने) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। हरीश ने अपनी शिकायत में हमलावरों को करणी सेना से जुड़ा बताया, ध्यान देने वाली बात है कि हरीश की FIR में अविनाश मिश्रा का नाम नहीं है। दूसरी ओर, अविनाश मिश्रा की तहरीर पर हरीश मिश्रा और एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ बीएनएस की धारा 115(2) (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और 191(2) (दंगा भड़काने) के तहत केस दर्ज हुआ।
एडीसीपी काशी सर्वणन टी ने बताया, “दोनों पक्षों से शिकायत मिली है और मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। दोनों पक्षों के लोग घायल हैं, जिन्हें मेडिकल जांच के लिए भेजा गया है। प्रारंभिक पूछताछ में करणी सेना की कोई भूमिका सामने नहीं आई है। यह किसी व्यक्तिगत बहस के बाद हुई मारपीट प्रतीत होती है।” पुलिस ने मुकदमा दर्ज़ कर जांच शुरू कर दी है।

करणी सेना का स्पष्टीकरण
करणी सेना के जिलाध्यक्ष अलोक कुमार सिंह ने घटना में संगठन की संलिप्तता को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा, “हमारा इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है। दोनों युवक ब्राह्मण समाज से हैं, जबकि हमारे संगठन में केवल क्षत्रिय भाई कार्य करते हैं। हमारी टीम वहां थी ही नहीं। यह राजनीतिक लाभ के लिए तूल दिया जा रहा है।” अलोक ने जोड़ा, “हम किसी जाति या धर्म के खिलाफ नहीं हैं। हर समाज में गलत लोग होते हैं, और हम सिर्फ गलत का विरोध करते हैं।”
श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के जिलाध्यक्ष आलोक कुमार सिंह ने बताया कि हरीश मिश्रा बनारस वाले के ऊपर हमला करने वाले दोनों युवक ब्राह्मण समाज से आते है। जबकि संगठन में केवल क्षत्रिय समाज के लोग है। @avanindra43 @yadavakhilesh @Mithileshdhar @swatantrabjp @iShashiShekhar https://t.co/8z9kwZA96j pic.twitter.com/kfPwrI6KzH
— Avanindr Kumar Singh (@AvanindrSingh) April 12, 2025
विवाद की जड़: हरीश मिश्रा का बयान
हरीश मिश्रा ने कुछ दिन पहले सपा के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन के आगरा स्थित आवास पर करणी सेना द्वारा की गई तोड़फोड़ की घटना पर विवादित बयान दिया था। उन्होंने करणी सेना को “कुकर्मी सेना” कहते हुए चुनौती दी थी, हरीश ने कहा था कि, “बहुत ज्यादा तड़प है लड़ने का, बहुत ज्यादा तुम पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों को मारने का शौक रखते हो तो तुम एक मैदान तय कराओ। परमिशन तो उन लोगों को मिल जाएगा, हमें तो मिलेगा नहीं। अगर वीर के हैं, अगर बहुत बड़े धुरंधर ‘कुकर्मी’ सेना के लोग हैं, कलेजा है, तो हम चुनौती देते हैं—मैदान तय करो, तारीख तय करो, परमिशन लेके आओ, पुलिस हटवाओ, आ जाना, फरिया लिया जाएगा।”
मिश्रा ने करणी सेना को कुकर्मी सेना बोल दिया और यह भी कह दिया कि एक भी बाल उखाड लेना
— Sandeep Singh (@ActivistSandeep) April 8, 2025
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इस पुरे संवाद में हरीश मिश्रा ने कई जगह करणी सेना को “कुकर्मी सेना” कहकर संबोधित किया और उन्हें खुली चुनौती दी, इस बयान से कुछ लोगों में रोष फैल गया, अविनाश ने भी स्पष्ट किया कि वह व्यक्तिगत रूप से इस टिप्पणी से आहत था, न कि किसी संगठन की ओर से बदला लेने आया था।
सपा का प्रदर्शन और अखिलेश का बयान
हमले की सूचना मिलते ही सपा कार्यकर्ता सिगरा थाने के बाहर गुलाब बाग पार्क में जमा हो गए। सपा जिलाध्यक्ष सुजीत यादव ‘लक्कड़’ के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने धरना शुरू कर दिया। सुजीत ने कहा, “जब तक हमलावरों पर सख्त कार्रवाई नहीं होगी, हम थाने के बाहर डटे रहेंगे। अगर जरूरत पड़ी, तो थाने का घेराव करेंगे।” पूर्व मंत्री मनोज राय धूपचंडी ने कबीरचौरा अस्पताल पहुंचकर हरीश मिश्रा का हालचाल जाना।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “समाजवादी पार्टी के जुझारू और प्रखर वक्ता व ‘बनारस वाले मिश्रा जी’ के नाम से लोकप्रिय हरीश मिश्रा पर चाकू से किया गया कातिलाना हमला बेहद निंदनीय है। उनके रक्तरंजित वस्त्र उत्तर प्रदेश में ध्वस्त हो चुकी कानून-व्यवस्था की निशानी हैं।” अखिलेश ने इस घटना को राज्य की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाने का मौका बनाया।
समाजवादी पार्टी के जुझारू और प्रखर वक्ता व ‘बनारस वाले मिश्रा जी’ के नाम से लोकप्रिय हरीश मिश्रा पर चाकू से किया गया क़ातिलाना हमला बेहद निंदनीय है। उनके रक्तरंजित वस्त्र उप्र में ध्वस्त हो चुकी क़ानून-व्यवस्था की निशानी है। सपा का हर कार्यकर्ता ऐसे हमलों को झेलने की शक्ति रखता… pic.twitter.com/E8XCX7BtQg
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) April 12, 2025
करणी सेना का कोई रोल नहीं: युवक का दावा
हरीश मिश्रा और सपा ने हमले के लिए करणी सेना को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश की है, लेकिन पुलिस और अभियुक्त अविनाश मिश्रा ने इससे इनकार किया है। पुलिस का कहना है कि यह व्यक्तिगत विवाद का मामला है, जिसमें संगठन की भूमिका नहीं दिखती। अविनाश ने भी कहा, “मेरा करणी सेना से कोई आधिकारिक संबंध नहीं है। मैंने सिर्फ अपने आराध्य के सम्मान के लिए हरीश से सवाल किया था।”
वाराणसी की इस घटना ने न केवल स्थानीय स्तर पर तनाव को जन्म दिया है, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक बहस को भी हवा दी है। पुलिस की जांच अब इस मामले की सच्चाई को उजागर करने में निर्णायक भूमिका निभाएगी। क्या यह वाकई एक व्यक्तिगत विवाद था या इसके पीछे कोई गहरी साजिश थी, इसका जवाब पुलिस की जांच से मिलेगा।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।