प्रमुख बिंदु-
वाराणसी: नवरात्रि की धूम में डूबे शहर में एक हाई-प्रोफाइल गरबा कार्यक्रम पर पुलिस ने ब्रेक लगा दिया। भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार ‘पावरस्टार’ पवन सिंह (Pawan Singh) की मौजूदगी का दावा कर बेचे गए हजारों टिकटों के बावजूद, कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया। आयोजकों की लापरवाही ने न सिर्फ फैंस को निराश किया, बल्कि सवाल भी खड़े कर दिए कि क्या सेलिब्रिटी इवेंट्स के नाम पर नियमों की अनदेखी आम हो गई है? आइए, इस घटना की गहराई से पड़ताल करते हैं।
कार्यक्रम की तैयारी और अचानक ब्रेक
कैंट क्षेत्र के होटल डी पेरिस में 30 सितंबर को होने वाले ‘गरबा रास महोत्सव 5.0’ को लेकर पिछले कई दिनों से हलचल थी। आयोजकों ने भोजपुरी स्टार पवन सिंह को मुख्य आकर्षण बनाया था। उनके फोटो वाले स्पेशल कार्ड्स पर टिकट बांटे गए, जिससे हजारों फैंस उत्साहित हो गए। शहर भर में प्रचार जोर-शोर से चल रहा था, लेकिन असलियत में कोई आधिकारिक अनुमति नहीं ली गई थी।
वाराणसी पुलिस को खबर लगते ही कैंट थाने की टीम ने तुरंत कार्रवाई की। सुबह होते ही आयोजकों को नोटिस थमाया गया और वेन्यू पर सख्ती बरती गई। पुलिस के मुताबिक, नवरात्रि जैसे पावन पर्व में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करना प्राथमिकता है। बिना परमिशन के बड़े आयोजन से भीड़ भाड़ और ट्रैफिक जाम का खतरा था। आयोजकों ने दावा किया कि वे आखिरी समय तक कोशिश कर रहे थे, लेकिन समय की कमी से बात बनी नहीं। परिणामस्वरूप, पूरा इवेंट कैंसिल हो गया।

आयोजकों की लापरवाही पर हुआ एक्शन
आयोजकों पर अब सवालों का दौर चल पड़ा है। पवन सिंह के नाम का इस्तेमाल कर बिके टिकटों का क्या होगा? फैंस ने सोशल मीडिया पर गुस्सा जाहिर किया है। कईयों ने रिफंड की मांग की, तो कुछ ने आयोजकों पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया। एक स्थानीय युवा ने बताया, “हमने 500-1000 रुपये खर्च कर टिकट लिए थे। पवन सिंह का लाइव परफॉर्मेंस देखने का सपना टूट गया। कम से कम पैसे तो लौटा दें।”
पुलिस ने स्पष्ट किया कि मामला जांच के दायरे में है। अगर टिकट बिक्री में अनियमितता पाई गई, तो सख्त कार्रवाई होगी। यह घटना नवरात्रि के दौरान हो रही अन्य गरबा इवेंट्स के लिए चेतावनी की तरह है। ऐसे आयोजनों में पहले से अनुमति लेना जरूरी होता है, खासकर जब सेलिब्रिटी का नाम जोड़ा जाए। इससे न सिर्फ कानूनी पचड़े से बचा जा सकता है, बल्कि फैंस का विश्वास भी बना रहता है।

पवन सिंह का भाजपा में नया मोड़
इस बीच, पवन सिंह खुद सुर्खियों में हैं। आज ही उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया है। भोजपुरी इंडस्ट्री से राजनीति में कदम रखने वाले पवन को पार्टी ने बिहार चुनाव 2025 में आरा सीट से संभावित उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है। गरबा इवेंट कैंसिल होने से उनके फैंस को झटका लगा, लेकिन राजनीतिक हलकों में यह खबर जोर पकड़ रही है।
पिछले कुछ महीनों में पवन सिंह विवादों से भी घिरे रहे। अगस्त में वाराणसी कोर्ट ने उनके खिलाफ 1.3 करोड़ की धोखाधड़ी और धमकी के आरोप में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। फिल्म ‘बॉस’ से जुड़े निवेश घोटाले का मामला अभी कोर्ट में लंबित है। फिर भी, उनकी फैन फॉलोइंग और सांस्कृतिक प्रभाव ने उन्हें राजनीति में मजबूत बनाया है।

वाराणसी का यह इवेंट कैंसिल होना दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन नियमों का पालन जरूरी है। नवरात्रि के बाकी दिनों में पुलिस ने सभी गरबा आयोजनों पर नजर रखने का ऐलान किया है। शहर में 50 से ज्यादा इवेंट्स हो रहे हैं, जहां अनुमति और सुरक्षा चेक सख्त हैं। यह घटना बताती है कि उत्सव की धूम में भी कानून से ऊपर कोई नहीं।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।