प्रमुख बिंदु-
Varanasi: शहर के पांडेयपुर स्थित मानसिक चिकित्सालय से एक खतरनाक कैदी के फरार होने की घटना ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्नाव जिले का यह बंदी, जो हथियार से हमले के गंभीर आरोप में जेल में था, इलाज के बहाने यहां भेजा गया था। स्टाफ को चकमा देकर भागा यह कैदी अब शहर की सड़कों पर घूम रहा है, जिससे इलाके में दहशत का माहौल है। पुलिस ने व्यापक तलाश शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक कोई सुराग नहीं मिला। आइए, इस घटना की पूरी कथा को समझते हैं।
कैदी का बैकग्राउंड
उन्नाव जिले के हसनगंज थाना क्षेत्र के निवासी चंदर उर्फ चंद्र (उम्र लगभग 35 वर्ष), पुत्र हरिराम, एक ऐसा नाम है जो स्थानीय स्तर पर अपराध की दुनिया में कुख्यात है। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, चंदर पर हथियार के साथ जानलेवा हमले का केस दर्ज है। घटना 2024 में हुई थी, जब उसने एक पुरानी रंजिश के चलते किसी पर धारदार हथियार से वार किया था। हमले में पीड़ित को गंभीर चोटें आईं, और इलाज के दौरान उसकी हालत नाजुक बनी रही।
कोर्ट ने चंदर को गिरफ्तार कर उन्नाव जेल भेज दिया। लेकिन जेल में रहते हुए उसके व्यवहार में असामान्यता दिखाई देने लगी। डॉक्टरों की सलाह पर मानसिक जांच हुई, जिसमें हल्के मानसिक विकार पाए गए। 23 अगस्त 2025 को कोर्ट के विशेष आदेश पर उसे वाराणसी के मानसिक चिकित्सालय में इलाज के लिए शिफ्ट किया गया। जेल अधिकारियों का कहना है कि यह ट्रांसफर अस्थायी था, ताकि उसकी मानसिक स्थिति का आकलन हो सके। लेकिन यहां पहुंचते ही चंदर ने मौका ताड़ लिया।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, चंदर का परिवार गरीब किसान पृष्ठभूमि से है। गांव वालों का कहना है कि वह कभी-कभी गुस्से का शिकार हो जाता था, जो शायद उसके अपराध का कारण बना। उन्नाव पुलिस ने बताया कि चंदर के खिलाफ पहले भी छोटे-मोटे झगड़ों के केस दर्ज हैं, लेकिन यह हमला सबसे गंभीर था।

चकमा देकर गायब
4 अक्टूबर 2025 की दोपहर, मानसिक चिकित्सालय के जनरल वार्ड में हड़कंप मच गया। चंदर को बेड पर आराम करने को कहा गया था, लेकिन वह अचानक लापता हो गया। वार्ड बॉय ने जब चेक किया, तो बेड खाली पाया। घबराहट में उसने तुरंत शोर मचाया। अस्पताल स्टाफ ने पूरे परिसर की तलाशी ली, लेकिन चंदर का कोई अता-पता नहीं चला।
चिकित्सालय अधीक्षक डॉ. एके राय ने बताया, “कैदी को जेल से स्पेशल गार्ड के साथ भेजा गया था। लेकिन दोपहर के समय, जब स्टाफ लंच ब्रेक पर था, उसने पीछे के गेट से निकलने का फायदा उठाया।” फरार होते ही अस्पताल प्रशासन ने कैंट थाने को सूचना दी। इंस्पेक्टर राजेश कुमार ने तुरंत कई टीमों को लगाया। लंका, पांडेयपुर, भेलूपुर और कैंट क्षेत्र के प्रमुख चौराहों पर चेकिंग शुरू हो गई। सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए, लेकिन चंदर स्मार्ट निकला। वह पैदल ही शहर की गलियों में घुस गया लगता है।
गवाहों के बयानों से पता चला कि चंदर ने सादे कपड़ों में खुद को छिपाया था। एक स्थानीय दुकानदार ने बताया, “वह दोपहर करीब 2 बजे के आसपास दिखा, लेकिन किसी ने उसे पहचाना नहीं।” यह घटना अस्पताल की सुरक्षा में चूक को उजागर करती है, खासकर जब बात ऐसे खतरनाक कैदियों की हो।

तलाश में पुलिस की जुटी टीमें, अलर्ट जारी
फरार की खबर फैलते ही वाराणसी पुलिस हाई-अलर्ट पर आ गई। एसएसपी डॉ. राकेश कुमार ने विशेष जांच टीम गठित की है। चंदर का फोटो व्हाट्सएप ग्रुप्स, सोशल मीडिया और स्थानीय न्यूज चैनलों पर वायरल कर दिया गया है। कैंट इंस्पेक्टर ने कहा, “हमने उन्नाव पुलिस से भी संपर्क किया है। उसके परिवार और संभावित ठिकानों पर नजर रखी जा रही है। रेलवे स्टेशन, बस अड्डा और बॉर्डर चेकपोस्ट्स पर सतर्कता बरती जा रही है।”
पुलिस का मानना है कि चंदर उन्नाव लौटने की कोशिश कर सकता है, क्योंकि उसके रिश्तेदार वहीं हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “वह मानसिक रूप से अस्थिर है, इसलिए उसके व्यवहार की भविष्यवाणी मुश्किल है। लेकिन हम 24 घंटे के अंदर उसे पकड़ लेंगे।” अगर कोई सुराग मिला, तो इनाम की घोषणा भी की जा सकती है। फिलहाल, शहर के सभी थानों को हाई अलर्ट किया गया है।
चंदर की तलाश जारी है, और पुलिस को भरोसा है कि जल्द ही वह गिरफ्त में होगा। यह घटना न सिर्फ कानून व्यवस्था, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य सुविधाओं की मजबूती पर भी बहस छेड़ रही है। सरकार को ऐसे मामलों में सख्त दिशानिर्देश जारी करने होंगे, ताकि दोबारा ऐसी लापरवाही न हो। फिलहाल, वाराणसी की सड़कें एक अदृश्य खतरे की तलाश में सतर्क हैं। क्या चंदर पकड़ा जाएगा, या यह कहानी और लंबी चलेगी? समय ही बताएगा।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
