Varanasi Gang Rape मामले में सवाल बरकरार: 23 में से 9 आरोपी पकड़े गए
प्रमुख बिंदु-
Varanasi Gang Rape: उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी इन दिनों एक शर्मनाक और दिल दहला देने वाली घटना को लेकर सुर्खियों में है। एक 19 वर्षीय छात्रा के साथ हुए गैंगरेप के मामले ने न केवल शहर की पवित्रता को कलंकित किया है, बल्कि पुलिस की कार्यशैली और कानून-व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस ने इस मामले में अब तक 23 में से 9 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, लेकिन गिरफ्तारी से लेकर मेडिकल टेस्ट और कोर्ट में पेशी तक का घटनाक्रम विवादों के घेरे में आ गया है।
घटना का खौफनाक विवरण
यह मामला 29 मार्च से 4 अप्रैल 2025 तक का है, जब एक छात्रा को कथित तौर पर 23 लोगों ने 7 दिनों तक अपनी हवस का शिकार बनाया। पीड़िता की मां की तहरीर के आधार पर पुलिस ने लालपुर पांडेयपुर थाने में 12 नामजद और 11 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। पुलिस के अनुसार, पीड़िता को एक हुक्का बार में बुलाया गया, जहां उसे नशे की हालत में रखकर कई बार बलात्कार किया गया। आरोपियों ने उसे शराब और हेरोइन जैसे नशीले पदार्थ दिए और अलग-अलग होटलों व स्थानों पर ले जाकर उसका शारीरिक शोषण किया। पीड़िता ने पुलिस को बताया कि उसे वीडियो वायरल करने की धमकी देकर चुप रहने के लिए मजबूर किया गया था।

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पुलिस की कार्रवाई और गिरफ्तारी
पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई का दावा करते हुए 9 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें हुक्का बार संचालक अनमोल गुप्ता, जो इस गैंग का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है, उसके साथ-साथ साजिद, आयुष सिंह, दानिश खां, इमरान और अन्य शामिल हैं। डीसीपी वरुणा जोन चंद्रकांत मीणा ने बताया कि बाकी आरोपियों की तलाश के लिए तीन टीमें गठित की गई हैं। गिरफ्तार आरोपियों में कारोबारी, छात्र और विभिन्न दुकानों में काम करने वाले लोग शामिल हैं। मुख्य आरोपी अनमोल गुप्ता का आपराधिक इतिहास भी रहा है, वह 2022 में सेक्स रैकेट के मामले में जेल जा चुका है।

मेडिकल टेस्ट और कोर्ट पेशी में देरी
गिरफ्तारी के बाद सभी आरोपियों को मेडिकल जांच के लिए दीनदयाल अस्पताल ले जाया गया। यहां ब्लड, सीमेन और फॉरेंसिक सैंपल लिए गए। प्रत्येक आरोपी की जांच में लगभग 15-20 मिनट का समय लगा और अलग-अलग रिपोर्ट तैयार की गईं। हालांकि, मेडिकल टेस्ट से लेकर कोर्ट तक पहुंचने में पुलिस को पूरे दिन का समय लग गया। रात के अंधेरे में कड़ी सुरक्षा के बीच आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। इस देरी ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। स्थानीय लोगों और पीड़िता के परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया और जानबूझकर समय बर्बाद किया।

भीम आर्मी का हमला
मेडिकल टेस्ट के दौरान दीनदयाल अस्पताल में एक नया मोड़ तब आया, जब भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने आरोपियों पर हमला कर दिया। एक कार्यकर्ता ने आरोपी इमरान के बाल खींचे और उसे थप्पड़ जड़ दिया। इस दौरान पुलिस मूकदर्शक बनी रही, जिससे उसकी निष्क्रियता पर सवाल उठे। बाद में पुलिस ने हस्तक्षेप कर दो हमलावरों को हिरासत में लिया और उन्हें पूछताछ के लिए लालपुर पांडेयपुर थाने भेजा। इस घटना के दौरान थाना प्रभारी की अनुपस्थिति ने भी पुलिस की तैयारियों पर संदेह पैदा किया।

पुलिस की सफाई और सवाल
पुलिस का कहना है कि वह इस मामले को पूरी गंभीरता से देख रही है और पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। डीसीपी मीणा ने बताया कि पीड़िता का मेडिकल टेस्ट कराया गया है और रिपोर्ट के आधार पर केस में धाराएं बढ़ाई जा सकती हैं। हालांकि, कोर्ट पेशी में देरी और भीम आर्मी के हमले के दौरान पुलिस की निष्क्रियता ने उनके दावों पर सवालिया निशान लगा दिया है।
इस घटना ने वाराणसी ही नहीं, पूरे देश में आक्रोश पैदा कर दिया है। लोग सोशल मीडिया पर आरोपियों को कड़ी सजा देने की मांग कर रहे हैं। यह मामला एक बार फिर महिलाओं की सुरक्षा और कानून व्यवस्था की कमियों को उजागर करता है। अब सबकी नजर कोर्ट की कार्यवाही पर टिकी है, जहां पीड़िता को इंसाफ मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
(सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, यौन उत्पीड़न के मामलों में पीड़िता की पहचान गोपनीय रखी गई है ताकि उसकी निजता सुरक्षित रहे।)
नोट: यह खबर अभी तक की उपलब्ध घटनाक्रम पर आधारित है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, नए तथ्य सामने आ सकते हैं।