प्रमुख बिंदु-
वाराणसी, 17 सितंबर 2025: वाराणसी के जिला कचहरी परिसर (Varanasi Court) में मंगलवार, 16 सितंबर 2025 को उस समय हड़कंप मच गया, जब दर्जनों वकीलों ने बड़ागांव थाने के सब-इंस्पेक्टर मिथिलेश प्रजापति और उनके साथी कांस्टेबल राणा प्रसाद पर हमला कर दिया। इस घटना का सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें वकील मिथिलेश को घेरकर बेरहमी से पीटते नजर आ रहे हैं। यह हमला एक पुराने जमीन विवाद से जुड़ा बताया जा रहा है, जिसके बाद पुलिस ने 60 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आइए, इस घटना के प्रमुख पहलुओं को विस्तार से समझते हैं।
क्या हुआ वाराणसी कचहरी में?
मंगलवार दोपहर वाराणसी के जिला कचहरी परिसर में सब-इंस्पेक्टर मिथिलेश प्रजापति (37) और कांस्टेबल राणा प्रसाद (27) गो संरक्षण अधिनियम के तहत रिमांड पर्चा लेने पहुंचे थे। सीसीटीवी फुटेज के अनुसार, जिला मजिस्ट्रेट के पोर्टिको के पास वकीलों के एक समूह ने मिथिलेश को घेर लिया और उन पर लात-घूंसों से हमला शुरू कर दिया।
वकीलों ने मिथिलेश को तब तक पीटा जब तक वह बेहोश नहीं हो गए। इसके बाद भी हमला नहीं रुका; वकीलों ने उन्हें एक कार्यालय में घसीटा और वहां भी मारपीट जारी रखी। मिथिलेश का आरोप है कि हमलावरों ने उनकी पुलिस आईडी, अन्य पहचान पत्र और 4,200 रुपये नकद भी छीन लिए। कांस्टेबल राणा प्रसाद भी इस हमले में गंभीर रूप से घायल हो गए।

हमले का कारण क्या था?
पुलिस और समाचार सूत्रों के अनुसार, यह हमला बड़ागांव में एक जमीन विवाद से जुड़ा है। कुछ दिन पहले मिथिलेश ने इस विवाद में दोनों पक्षों, जिसमें एक वकील भी शामिल था, के खिलाफ धारा 151 के तहत चालान दर्ज किया था। इस वकील ने मिथिलेश पर दुर्व्यवहार और मारपीट का आरोप लगाया था। इसके बाद वकीलों का एक समूह बदला लेने के लिए कचहरी में मिथिलेश का इंतजार कर रहा था।
मिथिलेश का दावा है कि हमलावर हथियारों से लैस थे और उनका इरादा सरकारी काम में बाधा डालने के साथ-साथ उनकी हत्या करने का था। इस हमले में मिथिलेश को सिर और शरीर पर 16 गंभीर चोटें आईं, और उन्हें बीएचयू ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया है। कांस्टेबल राणा प्रसाद जिला अस्पताल में इलाजरत हैं।

10 नामजद वकीलों और 50-60 अज्ञात लोगों पर FIR
घटना की सूचना मिलते ही वाराणसी पुलिस और प्रशासन हरकत में आ गए। जिला मजिस्ट्रेट सत्येंद्र कुमार, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (कानून और व्यवस्था) शिवहरी मीणा, डीसीपी काशी जोन प्रमोद कुमार और एडीएम सिटी आलोक वर्मा मौके पर पहुंचे। जिला जज जयप्रकाश तिवारी ने परिसर को खाली करने का आदेश दिया, और छह थानों से लगभग 300 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया। अतिरिक्त पुलिस आयुक्त शिवहरी मीणा ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज और वीडियो रिकॉर्डिंग की जांच की जा रही है ताकि हमलावरों की पहचान की जा सके। कैंट पुलिस स्टेशन में 10 नामजद वकीलों और 50-60 अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का प्रयास, सरकारी काम में बाधा और लूट जैसे आरोपों में एफआईआर दर्ज की गई है।
वायरल वीडियो और जनता की प्रतिक्रिया
इस घटना का सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसमें वकीलों को मिथिलेश पर हमला करते और उन्हें घसीटते हुए देखा जा सकता है। इस वीडियो ने जनता और पुलिस विभाग में आक्रोश पैदा कर दिया है। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर इस घटना की निंदा की और वकीलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। बार एसोसिएशन के अधिकारियों ने इस घटना की निंदा की है, लेकिन पुलिस का कहना है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। यह घटना वाराणसी कचहरी को रणक्षेत्र में बदलने का एक चौंकाने वाला उदाहरण बन गई है, जिसने कानून और व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।