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सिटी डेस्क,वाराणसी: शहर के दीवानी कचहरी में गुरुवार को उस समय हंगामा मच गया, जब भदोही के पूर्व विधायक रवींद्र नाथ त्रिपाठी पर एक वकील ने मारपीट और अभद्र व्यवहार का गंभीर आरोप लगाया। रजिस्ट्री कार्यालय में फीस और रुपये के लेनदेन को लेकर शुरू हुआ विवाद देखते ही देखते हिंसक झड़प में बदल गया। वकील का दावा है कि पूर्व विधायक ने उनके साथी को तमाचा मारा, धमकी दी और उनका फोन तोड़ दिया। दूसरी ओर, पुलिस को देखते ही पूर्व विधायक अपने गनर के साथ मौके से फरार हो गए।
कचहरी में कैसे शुरू हुआ विवाद?
घटना वाराणसी के कलेक्ट्रेट कचहरी परिसर में रजिस्ट्री कार्यालय के पास हुई। वकील ऋषिकांत राय ने बताया कि वे अपने काम से रजिस्ट्री ऑफिस की ओर जा रहे थे, तभी उन्होंने देखा कि पूर्व विधायक रवींद्र नाथ त्रिपाठी अपने गनर के साथ एक अन्य वकील से बहस कर रहे थे। बहस का कारण रजिस्ट्री फीस और पैसे के लेनदेन को लेकर था।
ऋषिकांत ने बताया कि पूर्व विधायक अपशब्दों का इस्तेमाल कर रहे थे। जब उन्होंने इसका विरोध किया और कचहरी की गरिमा का हवाला दिया, तो मामला और बिगड़ गया। पूर्व विधायक के गनर ने ऋषिकांत के साथ धक्का-मुक्की शुरू कर दी। इसके बाद पूर्व विधायक ने कथित तौर पर ऋषिकांत को तमाचा मार दिया और धमकी दी कि “मैं योगी जी का खास हूं, तेरी वकालत बंद करा दूंगा।”

वकील का आरोप: फोन तोड़ा, सम्मान को ठेस पहुंचाई
वकील ऋषिकांत सिंह ने अपनी तहरीर में पुलिस को बताया कि दोपहर 3 से 4 बजे के बीच जब वे रजिस्ट्री ऑफिस गए, तो वहां पहले से मौजूद पूर्व विधायक रवींद्र नाथ त्रिपाठी, उनके भाई और दो गनरों ने उनके साथ धक्का-मुक्की की। ऋषिकांत ने जब उनसे सावधानी से चलने को कहा, तो पूर्व विधायक आक्रोशित हो गए और उन्होंने ऋषिकांत को लात-घूंसे और तमाचे से पीटा। इस दौरान अन्य वकील मौके पर आए और बीच-बचाव किया। जाते-जाते पूर्व विधायक और उनके गनरों ने ऋषिकांत का मोबाइल छीनकर पटक दिया, जिससे वह टूट गया।
इतना ही नहीं, उन्होंने ऋषिकांत को जान से मारकर गंगा में फेंकने की धमकी भी दी। ऋषिकांत ने तहरीर में कहा कि इस घटना से वे डरे और सहमे हुए हैं। उन्होंने इसे अपने सम्मान पर हमला बताते हुए कहा, “उन्होंने मुझे धमकी दी कि मैं वाराणसी में प्रैक्टिस नहीं कर पाऊंगा।” शोर-शराबे के बाद अन्य वकील भी मौके पर जमा हो गए, जिससे माहौल और तनावपूर्ण हो गया।
पूर्व विधायक का राजनीतिक इतिहास
रवींद्र नाथ त्रिपाठी भदोही के एक प्रमुख राजनीतिक चेहरा रहे हैं। 2017 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के टिकट पर भदोही से विधानसभा चुनाव जीता था। हालांकि, 2022 में वे चुनाव हार गए। इससे पहले, 2007 में वे जौनपुर जिले की बरसठी सीट से बसपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। त्रिपाठी 2000 में सुरियावां ब्लॉक के प्रमुख भी रह चुके हैं और लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं। उनकी छवि एक प्रभावशाली नेता की रही है, लेकिन इस घटना ने उनके खिलाफ विवाद खड़ा कर दिया है। वकीलों का आरोप है कि त्रिपाठी ने अपनी राजनीतिक पहुंच का दुरुपयोग करते हुए धमकी दी और हिंसा को बढ़ावा दिया।

पुलिस की कार्रवाई और सीसीटीवी जांच
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक पूर्व विधायक अपने गनरों के साथ वहां से निकल चुके थे। पुलिस ने अभी तक इस मामले में कोई FIR दर्ज नहीं की है। सूत्रों के मुताबिक, पुलिस कचहरी परिसर में लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही है और वकील ऋषिकांत की तहरीर के आधार पर घटना की सत्यता की पड़ताल कर रही है। पुलिस का कहना है कि दोनों पक्षों के बयानों और फुटेज के आधार पर ही आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

वकील समुदाय इस घटना से नाराज है और पुलिस से निष्पक्ष जांच की मांग कर रहा है। कचहरी में पहले भी वकीलों के साथ मारपीट की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिसके चलते यह मामला और संवेदनशील हो गया है।
वाराणसी कचहरी में पूर्व विधायक रवींद्र नाथ त्रिपाठी और वकीलों के बीच हुई इस मारपीट ने स्थानीय स्तर पर हलचल मचा दी है। वकील समुदाय इसे अपने सम्मान पर हमला बता रहा है, जबकि पूर्व विधायक की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। पुलिस की जांच और सीसीटीवी फुटेज इस मामले में सच्चाई को उजागर करने में अहम भूमिका निभाएंगे। यह घटना न केवल कचहरी की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि राजनीतिक प्रभाव और कानूनी पेशे के बीच टकराव को भी उजागर करती है।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
