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सिटी डेस्क: वाराणसी के बहुचर्चित गैंगस्टर एक्ट मामले में जिला कोर्ट के ताजा फैसले ने सियासी और सामाजिक हलकों में हलचल मचा दी है। अपर जिला जज (त्रयोदश) सुशील खरवार की अदालत ने गैंगस्टर एक्ट के तहत चार आरोपियों, संदीप सिंह, संजय सिंह रघुवंशी, विनोद सिंह और सतेंद्र सिंह बबलू को दोषमुक्त कर दिया है। इस फैसले से नाराज जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती देने का ऐलान किया है।
धनंजय सिंह का दावा है कि इस मामले में गोसाईगंज के विधायक अभय सिंह मुख्य गैंग लीडर थे, जिन्होंने कथित तौर पर पुलिस को प्रभावित कर अपना नाम फाइनल रिपोर्ट से हटवा लिया। 4 अक्टूबर 2002 को नदेसर में धनंजय सिंह और उनके समर्थकों पर हुई गोलीबारी से जुड़ा यह मामला 23 सालों से कोर्ट में चल रहा है।
23 साल पुराना नदेसर गोलीकांड
4 अक्टूबर 2002 को जौनपुर के तत्कालीन विधायक और पूर्व सांसद धनंजय सिंह अपने समर्थकों के साथ वाराणसी के कैंट थाना क्षेत्र के नदेसर इलाके से गुजर रहे थे। टकसाल सिनेमा हॉल के पास उनकी गाड़ी पर गोसाईगंज के विधायक अभय सिंह और उनके 4-5 साथियों ने कथित तौर पर अंधाधुंध गोलीबारी की। इस हमले में धनंजय सिंह, उनके गनर, ड्राइवर और दो अन्य लोग घायल हो गए थे। धनंजय सिंह ने इस घटना के बाद अभय सिंह, एमएलसी विनीत सिंह, संदीप सिंह, संजय सिंह रघुवंशी, विनोद सिंह और सतेंद्र सिंह बबलू समेत कई अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। इसके बाद पुलिस ने इन सभी के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की थी।
गैंगस्टर एक्ट में अभय सिंह को राहत
धनंजय सिंह का दावा है कि इस मामले में अभय सिंह मुख्य गैंग लीडर थे, लेकिन बसपा सरकार के दौरान पुलिस ने कथित तौर पर प्रलोभन में आकर अभय सिंह का नाम फाइनल रिपोर्ट से हटा दिया। धनंजय का कहना है कि जब मुख्य अभियुक्त का नाम ही हटा दिया गया, तो बाकी आरोपियों के खिलाफ मामला कमजोर हो गया। उस समय बसपा सरकार में धनंजय सिंह और समाजवादी पार्टी के नेता राजा भैया सरकार के खिलाफ थे, जिसके चलते धनंजय को जेल भेज दिया गया और वे मामले की पैरवी नहीं कर सके।
अब, 23 साल बाद, वाराणसी कोर्ट ने चार आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया, जिसे धनंजय सिंह गलत मानते हैं। उन्होंने कहा, “यह न्याय का मजाक है। अभय सिंह ने सत्ता का दुरुपयोग कर खुद को बचाया, लेकिन मैं हाईकोर्ट में इसे चुनौती दूंगा।”

हाईकोर्ट में चुनौती देंगे धनंजय सिंह
धनंजय सिंह ने ऐलान किया है कि वे अपर जिला जज सुशील खरवार के इस फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती देंगे। उन्होंने पहले ही हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर अभय सिंह को गैंग लीडर के रूप में शामिल करने की मांग की थी, जिसकी अगली सुनवाई 22 सितंबर 2025 को होनी है। धनंजय का कहना है कि अभय सिंह ने पुलिस और सिस्टम को प्रभावित कर अपने खिलाफ गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई को रुकवा लिया, जबकि बाकी आरोपियों के खिलाफ मामला चलता रहा।
हाईकोर्ट में धनंजय के वकील श्रीनाथ त्रिपाठी और आदित्य वर्मा इस मामले को मजबूती से उठाने की तैयारी कर रहे हैं। धनंजय का मानना है कि कोर्ट में नए साक्ष्य और गवाहियां पेश कर वे इस मामले में न्याय हासिल करेंगे।
कोर्ट का फैसला और सियासी हलचल
वाराणसी कोर्ट के इस फैसले ने न केवल कानूनी बल्कि सियासी गलियारों में भी हलचल मचा दी है। अभय सिंह, जो गोसाईगंज से विधायक हैं, और धनंजय सिंह, जो जौनपुर की सियासत में बड़ा नाम रहे हैं, दोनों के बीच पुरानी रंजिश किसी से छिपी नहीं है। इस मामले को लेकर दोनों नेताओं के समर्थकों में तनाव बढ़ गया है।
सोशल मीडिया पर भी इस फैसले को लेकर चर्चा तेज है। कुछ लोग इसे धनंजय सिंह के खिलाफ साजिश बता रहे हैं, तो कुछ का मानना है कि कोर्ट का फैसला तथ्यों पर आधारित है। इस बीच, हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई पर सबकी नजरें टिकी हैं, क्योंकि यह मामला न केवल कानूनी बल्कि पूर्वांचल की सियासत को भी प्रभावित कर सकता है।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।