प्रमुख बिंदु-
Varanasi Cough Syrup Syndicate: उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी काशी में नशे की आग बेचने वालों का एक ऐसा साम्राज्य उजागर हुआ है, जो युवाओं की जिंदगियों को तबाह करने पर तुला था। कोडीन से भरे प्रतिबंधित कफ सिरप की तस्करी का यह 100 करोड़ का खेल इतना सुनियोजित था कि फर्जी दुकानों से लेकर बंद फर्मों तक सब कुछ इसमें जकड़ा हुआ था। खाद्य सुरक्षा विभाग की छापेमारी ने इस जाल को तोड़ा, लेकिन मुख्य सरगना शुभम जायसवाल विदेश फरार है। आखिर कैसे चला यह अवैध धंधा, और अब क्या होगा इसका अंजाम?
89 लाख शीशियों का काला बाजार
उत्तर प्रदेश खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने 12 से 14 नवंबर तक वाराणसी में चली विशेष जांच में इस तस्करी के सबसे बड़े नेटवर्क को बेनकाब किया। आंकड़ों के मुताबिक, करीब 100 करोड़ रुपये कीमत की 89 लाख शीशियां बिना किसी रोक-टोक के बिकीं। ये सिरप न केवल यूपी के कोने-कोने में, बल्कि झारखंड, गाजियाबाद और यहां तक कि बांग्लादेश तक पहुंचाए गए। आयुक्त रोशन जैकब के नेतृत्व में टीम ने 93 मेडिकल स्टोर्स की पड़ताल की, जहां से यह जहर सप्लाई हो रहा था।
चौंकाने वाली बात ये कि इनमें से कई दुकानें तो कागजों पर ही मौजूद थीं, जांच में न तो उनका कोई निशान मिला, न ही मालिक। बंद पड़ी नौ फर्मों के नाम पर लाखों शीशियां खरीद-बिक्री दिखाई गईं, जो इस धंधे की गहराई को बयां करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह नेटवर्क दवा लाइसेंस कानूनों का ऐसा उल्लंघन था, जो पूरे स्वास्थ्य तंत्र को हिला सकता था।

मास्टरमाइंड शुभम पिता के साथ करता था कारोबार
इस पूरे काले खेल का सूत्रधार है काशी के मैदागिन इलाके का शुभम जायसवाल। मात्र 30 साल की उम्र में उसने अपने पिता भोला प्रसाद जायसवाल के साथ मिलकर एक ऐसा साम्राज्य खड़ा कर लिया, जो सतह पर दवा व्यापार लगता था, लेकिन अंदर से नशे की फैक्ट्री। शुभम ने मेसर्स शैली ट्रेडर्स (रांची) और न्यू वृद्धि फार्मा (वाराणसी) जैसी फर्मों के नाम पर समानांतर कारोबार चलाया। एक ही लाइसेंस पर दो-दो कंपनियां कानूनी अपराध का खुला उल्लंघन था।
एक केस में तो श्री बालाजी मेडिकल स्टोर के मालिक ने खुद कबूल किया कि वह तो सोने-चांदी की दुकान पर मजूर है, मेडिकल बिजनेस से उसका वास्ता ही नहीं। फर्जी बिल, नकली लाइसेंस और झूठे कागजातों के जाल में फंसाकर शुभम ने 84 लाख शीशियां घुमाईं। गाजियाबाद पुलिस की जांच से पता चला कि यह नेटवर्क 26 स्थानीय दवा कारोबारियों को जोड़ता था, जो इसे बांग्लादेश भेजने के लिए चूने की बोरियों में छिपाते थे।

बांग्लादेश तक फैला जाल
यह तस्करी सिर्फ काशी तक सीमित नहीं थी। जांच में सामने आया कि शुभम का नेटवर्क गाजियाबाद होकर बांग्लादेश पहुंचता था। वहां नशे की मांग ज्यादा होने से मुनाफा दोगुना हो जाता। एक रूट पर चूने की बोरे में सिरप छिपाकर ट्रक भेजे जाते, तो दूसरे पर लोकल डिलीवरी के बहाने युवाओं तक पहुंचाया जाता। विशेषज्ञ बताते हैं कि कोडीन युक्त ये सिरप नशे की लत लगाने के साथ लीवर और किडनी को नुकसान पहुंचाते हैं।
यूपी के अलावा झारखंड और दिल्ली-एनसीआर के बाजारों में भी इसका जाल था। 28 दवा कारोबारियों के नाम सामने आने से साफ है कि यह अकेले शुभम का खेल नहीं, बल्कि एक संगठित गिरोह था। मेरठ के आसिफ और वसीम जैसे अन्य फरार सदस्यों के तार भी शुभम से जुड़े पाए गए।
लुकआउट नोटिस और पुलिस की दबिशें
पुलिस अब इस मामले को तेजी से सुलझाने में जुट गई है। शुभम जायसवाल के विदेश भागने की पुष्टि होने पर उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी करने की तैयारी चल रही है। दुबई या अन्य देशों में छिपे होने की आशंका है। उसके सहयोगियों को हिरासत में लेकर सख्त पूछताछ हो रही है, जबकि वाराणसी पुलिस टीमें लगातार दबिशें दे रही हैं। गाजियाबाद पुलिस ने भी कमिश्नरेट से शुभम की पूरी जानकारी मांगी है। अब तक आठ संदिग्ध गिरफ्तार हो चुके हैं, और फर्जी दस्तावेजों की जांच चल रही है। अधिकारियों का कहना है कि इस नेटवर्क को जड़ से उखाड़ फेंका जाएगा, ताकि नशे का यह जहर फिर न फैले।
