वाराणसी की सड़कों पर जुलूस, नारेबाजी और धमकी
प्रमुख बिंदु-
वाराणसी, 8 जून 2025: उत्तर प्रदेश के वाराणसी (Varanasi) में जमानत पर रिहा हुए आबिद शेख उर्फ आबिद खान ने जेल से छूटते ही विवाद खड़ा कर दिया। लूट, मारपीट, दलित उत्पीड़न और धमकी के मामले में जेल में बंद रहे आबिद ने शुक्रवार रात तेलियाबाग क्षेत्र में बिना अनुमति विजय जुलूस निकाला, जिसके बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उसे और उसके दो साथियों को गिरफ्तार कर लिया। इस घटना ने सोशल मीडिया पर तूल पकड़ा, खासकर तब जब जुलूस में कथित तौर पर पाकिस्तान समर्थित नारेबाजी की बात सामने आई, हालांकि पुलिस ने इस दावे को खारिज किया।
जुलूस और नारेबाजी
शुक्रवार, 6 जून 2025 की शाम को वाराणसी जिला कारागार से रिहा होने के बाद आबिद शेख ने अपने समर्थकों के साथ तेलियाबाग क्षेत्र में एक विजय जुलूस निकाला। खुली कार की सनरूफ पर खड़े होकर आबिद ने माला पहनकर शक्ति प्रदर्शन किया, जबकि उसके समर्थक बाइकों और कारों के काफिले के साथ नारेबाजी करते हुए चल रहे थे। जुलूस अंधरापुल से तेलियाबाग तक पहुंचा, जिससे काशी विश्वनाथ मंदिर जाने वाली मुख्य सड़क पर जाम लग गया। पर्यटकों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा।

सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में जुलूस में शामिल युवक “जेल का ताला टूट गया, भाई अपना छूट गया” जैसे नारे लगाते दिखे। कुछ लोगों ने दावा किया कि जुलूस में पाकिस्तान समर्थित नारे भी लगाए गए, जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया। डीसीपी काशी जोन गौरव बंसवाल ने स्पष्ट किया कि वीडियो में “आबिद खान जिंदाबाद” के नारे थे और पाकिस्तान समर्थित नारेबाजी के दावे निराधार हैं।
Varanasi News: जेल से छूटे आरोपी के विजय जुलूस मामले में बड़ा एक्शन#VaranasiNews #CrimeNews @Uppolice @varanasipolice
— Newstrack (@newstrackmedia) June 7, 2025
-पुलिस ने आरोपी आबिद शेख और उसके दो साथी को हिरासत में लिया ।
-इस मामले में लापरवाही बरतने में तेलियाबाग चौकी प्रभारी शिवम श्रीवास्तव को निलंबित किया गया है ।… pic.twitter.com/Hp2nWXcQDM
पुलिस की त्वरित कार्रवाई, चौकी प्रभारी निलंबित
जुलूस के दौरान यातायात व्यवस्था बाधित होने और बिना अनुमति आयोजन के चलते पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की। चेतगंज थाने में छावनी क्षेत्र के राष्ट्रवादी हिंदू शक्ति वाहनी के अध्यक्ष प्रदीप कुमार गुप्ता की तहरीर पर आबिद शेख, अरमान और जावेद अहमद के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार कर लिया और दो लग्जरी गाड़ियों को जब्त किया। अन्य शामिल युवकों की पहचान के लिए सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा रही है।
इस मामले में लापरवाही बरतने के लिए तेलियाबाग चौकी प्रभारी शिवम श्रीवास्तव को डीसीपी गौरव बंसवाल ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। केडी उपाध्याय को नया चौकी प्रभारी नियुक्त किया गया है।

धमकी और दलित उत्पीड़न का नया मामला
जेल से रिहा होने के बाद आबिद ने वादी आशीष कन्नौजिया को केस वापस लेने के लिए धमकाया। आशीष ने चेतगंज थाने में तहरीर दी कि आबिद ने जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए जान से मारने की धमकी दी। इस शिकायत पर पुलिस ने आबिद के खिलाफ दलित उत्पीड़न और धमकी का एक और मुकदमा दर्ज किया। आशीष ने पिछले साल 15 दिसंबर को आबिद पर लूट, मारपीट और दलित उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था, जिसके बाद 29 मई को आबिद को जेल भेजा गया था।
सपा-कांग्रेस से राजनीतिक कनेक्शन
आबिद शेख को जमानत मिलने पर जिला जेल के बाहर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के कुछ स्थानीय नेता मौजूद थे। हालांकि, उन्होंने जुलूस में शामिल होने से इनकार किया। आबिद को एक राजनीतिक पार्टी का कार्यकर्ता बताया जा रहा है, लेकिन वह खुद को सामाजिक कार्यकर्ता कहता है। इस घटना ने राजनीतिक हलकों में भी चर्चा छेड़ दी है, क्योंकि विपक्षी नेताओं की मौजूदगी ने इसे और तूल दे दिया।

सोशल मीडिया पर बवाल
सोशल मीडिया पर जुलूस का वीडियो वायरल होने के बाद लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी। कुछ यूजर्स ने इसे कानून-व्यवस्था की विफलता करार दिया, जबकि अन्य ने पुलिस की त्वरित कार्रवाई की सराहना की। डीसीपी गौरव बंसवाल ने अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की और कहा कि पुलिस स्थिति पर पूरी नजर रखे हुए है।
यह घटना वाराणसी में कानून-व्यवस्था और सामाजिक संवेदनशीलता के मुद्दों को फिर से उजागर करती है। पुलिस ने अपनी कार्रवाई से यह स्पष्ट कर दिया कि बिना अनुमति जुलूस और यातायात बाधित करने की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आबिद शेख और उसके साथियों की गिरफ्तारी के बाद अब अन्य शामिल लोगों की तलाश जारी है। इस मामले में आगे की जांच से और तथ्य सामने आने की उम्मीद है।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।