प्रमुख बिंदु-
लखनऊ (UP): उत्तर प्रदेश में शुक्रवार को जुमे की नमाज शांतिपूर्ण रूप से अदा हुई, लेकिन संभल जिले की एक घटना ने सबको चौंका दिया। राया बुजुर्ग गांव में नमाज पढ़ने के तुरंत बाद ग्रामीणों ने सरकारी जमीन पर बनी मस्जिद को खुद ही तोड़ना शुरू कर दिया। एक तरफ धार्मिक आयोजन, दूसरी तरफ खुद की कार्रवाई, यह पूरे सूबे में चर्चा का विषय बन गया। बरेली में पिछले हफ्ते के बवाल की आशंका से इंटरनेट 48 घंटे के लिए ठप कर दिया गया, जबकि काशी में कमांडो ने मॉकड्रिल किया। दशहरा के त्योहार और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के आह्वान से प्रेरित तनाव के बीच प्रशासन ने 75 जिलों में कड़ी निगरानी बरती।
बरेली: इंटरनेट ब्लैकआउट और छावनी जैसे हालात
बरेली शहर पिछले जुमे (26 सितंबर) के बवाल की छाया में डूबा हुआ था। ‘आई लव मोहम्मद’ पोस्टर विवाद पर इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा के आह्वान पर दो हजार से ज्यादा लोग कोतवाली क्षेत्र की एक मस्जिद के बाहर जमा हो गए थे। बिना अनुमति के रैली निकालने की कोशिश में पथराव और तोड़फोड़ हुई, पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस का सहारा लेना पड़ा। इस हिंसा में 81 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, जिनमें तौकीर रजा और उनके दो करीबी सहयोगी शामिल हैं।

इस बार प्रशासन ने कोई चांस नहीं लिया। गुरुवार दोपहर 3 बजे से शनिवार दोपहर 3 बजे तक मोबाइल इंटरनेट, ब्रॉडबैंड, एसएमएस और वाई-फाई सेवाएं पूरी तरह निलंबित कर दी गईं। गृह विभाग के सचिव गौरव दयाल के आदेश में कहा गया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, यूट्यूब और व्हाट्सऐप पर अफवाहें फैलने का खतरा था। शहर को चार सुपर जोन और कई स्पेशल जोन में बांट दिया गया। करीब 8,500 पुलिसकर्मी, पीएसी और आरएएफ जवान सड़कों पर उतरे।

एसएसपी अनुराग आर्य और डीएम ने खुद फ्लैग मार्च का नेतृत्व किया। आठ ड्रोन टीमों ने संवेदनशील इलाकों जैसे इस्लामिया मैदान, नौ महला मस्जिद और कोहाड़ापीर की छतों पर नजर रखी। आला हजरत दरगाह के मौलाना अहसन रजा खां ने अपील की, “नमाज पढ़ें और शांति से घर लौटें।” नौ महला मस्जिद पर सबसे ज्यादा फोकस रहा, जहां तौकीर रजा नमाज अदा करते थे। जुमे की नमाज के बाद कोई हादसा नहीं हुआ, लेकिन सतर्कता बरकरार रही।
संभल: नमाज के बाद ग्रामीणों का हथौड़ा-छेनी अभियान
संभल जिले का राया बुजुर्ग गांव सुर्खियों में आ गया। यहां सरकारी तालाब की जमीन पर करीब दस साल पहले बनी मस्जिद और 30,000 वर्ग फुट का विवाह भवन को अतिक्रमण घोषित कर दिया गया था। 2 सितंबर को जारी नोटिस के बाद ग्रामीणों ने खुद ही कार्रवाई शुरू कर दी। शुक्रवार को जुमे की नमाज अदा करने के तुरंत बाद वे हथौड़े-छेनी लेकर मस्जिद की दीवारें ढहाने लगे।

एसपी के.के. बिष्णोई ने बताया कि मस्जिद इंतजामिया कमेटी ने स्वेच्छा से तोड़फोड़ की, ताकि कानूनी पचड़ा न हो। यह चौथे महीने में संभल की दूसरी ऐसी घटना है। जामा मस्जिद के बाहर भारी पुलिस बल तैनात रहा, बैरिकेडिंग की गई। एसडीएम वंदना मिश्रा ने कहा, “शांति समिति की बैठक में सभी पक्षों से सहमति बनी।” हालांकि, कुछ ग्रामीणों ने इसे प्रशासनिक दबाव बताया, लेकिन कोई विरोध नहीं हुआ।
काशी-कानपुर: कमांडो ड्रिल और फ्लैग मार्च की धमक
वाराणसी में एटीएस कमांडो ने कैंट रेलवे स्टेशन और रोडवेज बस स्टैंड पर मॉक ड्रिल की। आतंकी घटनाओं या बम धमाके जैसी संभावनाओं का अभ्यास किया गया। एसएसपी डॉ. रितेश कुमार ने बताया कि मिश्रित आबादी वाले इलाकों में पैदल गश्त बढ़ाई गई। कानपुर में पुलिसकर्मी जगह-जगह फ्लैग मार्च कर रहे थे। एसपी ने संवेदनशील मस्जिदों पर नजर रखी। प्रयागराज और मऊ में भी कड़ी सुरक्षा रही। गोंडा के आईजी रेंज ने खुद सड़कों पर उतरकर तैयारियां जांच कीं। पीलीभीत की जामा मस्जिद और अन्य धार्मिक स्थलों पर कड़ी निगरानी बरती गई

इस अलर्ट की जड़ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का 3 अक्टूबर को भारत बंद का आह्वान था, जो त्योहारों को देखते हुए वापस ले लिया गया। बरेली हिंसा पर बुलडोजर एक्शन भी शुरू हो चुका है, तौकीर रजा के रिश्तेदार मौलाना मोहसिन रजा की संपत्ति पर कार्रवाई हुई। अब तक 10 एफआईआर दर्ज, 2500 उपद्रवियों में 200 नामजद। विपक्षी नेता बर्क और दिग्विजय सिंह ने इसे सियासी रंग दिया, लेकिन प्रशासन ने साफ कहा, शांति भंग करने वालों पर जीरो टॉलरेंस।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।