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प्रदेश डेस्क (UP): लखनऊ के गुडंबा थाना क्षेत्र के बेहटा गांव में 31 अगस्त 2025 को हुए भीषण विस्फोट ने पूरे इलाके को दहला दिया। अवैध पटाखा फैक्ट्री में हुए इस हादसे में तीन लोगों की जान चली गई, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुए। पुलिस की सघन छापेमारी में गांव से 3 हजार किलो विस्फोटक सामग्री बरामद हुई, जिसने प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया। इस हादसे ने यह सवाल खड़ा कर दिया कि आखिर रिहायशी इलाकों में इतने बड़े पैमाने पर अवैध पटाखा कारोबार कैसे फल-फूल रहा था?
धमाके ने दहलाया बेहटा: तीन की मौत, कई घायल
31 अगस्त 2025 की सुबह करीब 11:30 बजे बेहटा गांव में आलम के घर में चल रही अवैध पटाखा फैक्ट्री में जोरदार विस्फोट हुआ। धमाका इतना भीषण था कि आलम का पूरा मकान मलबे में तब्दील हो गया। इस हादसे में आलम (50), उनकी पत्नी मुन्नी (48) और उनके बेटे इरशाद (24) की दर्दनाक मौत हो गई। धमाके की आवाज 2 किलोमीटर दूर तक सुनाई दी, जिससे आसपास के इलाकों में दहशत फैल गई।
आसपास के 2-3 मकान भी ढह गए और 300 मीटर के दायरे में कई घरों की दीवारों में दरारें आ गईं। चार लोग गंभीर रूप से घायल हुए, जिनमें से एक का इलाज केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर में चल रहा है, जबकि तीन अन्य निजी अस्पतालों से डिस्चार्ज हो चुके हैं। उसी दिन शाम को, गांव के पास एक अन्य गोदाम में दूसरा विस्फोट हुआ, जिसमें एक महिला घायल हुई और एक गाय की मौत हो गई।

पुलिस की लापरवाही उजागर: 198 अवैध कारोबारी
विस्फोट के बाद पुलिस ने सघन छापेमारी शुरू की, जिसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए। बेहटा गांव में 200 पटाखा कारोबारियों में से 198 अवैध रूप से कारोबार कर रहे थे। केवल दो कारोबारियों के पास 25-25 किलो विस्फोटक रखने का लाइसेंस था, जिनके लाइसेंस को अब निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
पुलिस ने गांव के घरों, गोदामों, खेतों और तालाबों से भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद की, जिसमें 1 टन से अधिक बारूद, 25 क्विंटल बम, सुतली बम और पटाखा बनाने की सामग्री शामिल थी। छापेमारी के दौरान टीनू उर्फ अली अहमद, शेरू उर्फ बशीर, नसीम, अफजल और अली अकबर जैसे कारोबारियों के गोदामों से सैकड़ों किलो बारूद और बम बरामद हुए। पुलिस की इस कार्रवाई ने स्थानीय प्रशासन की नाकामी को उजागर किया, क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर अवैध कारोबार पुलिस की नाक के नीचे चल रहा था।
तीसरा धमाका: पुलिस की नाकामी का सबूत
पुलिस ने छापेमारी में बरामद विस्फोटकों को नष्ट करने के लिए गांव के बाहर 15-20 फीट गहरे दो गड्ढों में दफन किया था। लेकिन 3 सितंबर 2025 की सुबह इनमें से एक गड्ढे में फिर से जोरदार धमाका हुआ, जिसने पुलिस की लापरवाही को फिर से उजागर किया। इस धमाके में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन गांव में दहशत फैल गई। ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस ने विस्फोटकों को नष्ट करने के मानकों का पालन नहीं किया, जिसके कारण यह हादसा हुआ। इस घटना के बाद पुलिस ने बम स्क्वॉड और दमकल विभाग के साथ मिलकर बचे हुए विस्फोटकों को हटाने की कार्रवाई शुरू की।

हादसे के बाद पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए दो पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया। छह लोगों के खिलाफ विस्फोटक अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है और फरार कारोबारियों की तलाश में लखनऊ, बाराबंकी, सीतापुर और नगराम में दबिश दी जा रही है। एसीपी अनिंद्य विक्रम सिंह ने कहा कि कोई नया लाइसेंस जारी नहीं किया जाएगा और सर्च अभियान जारी रहेगा। पुलिस ने स्थानीय लोगों से संदिग्ध गतिविधियों की सूचना देने की अपील की है ताकि भविष्य में ऐसे हादसों को रोका जा सके।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।