प्रमुख बिंदु-
लखनऊ: उत्तर प्रदेश (UP) की योगी आदित्यनाथ सरकार ने शहरी विकास और कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने के लिए एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। उत्तर प्रदेश विकास प्राधिकरण भवन निर्माण एवं विकास उपविधि-2025 के तहत अब आवासीय भूखंडों पर मिश्रित उपयोग (Mixed-Use Policy) की अनुमति दी गई है।

इसका मतलब है कि अब लोग अपने घरों में दुकानें, ऑफिस या अन्य व्यावसायिक गतिविधियां संचालित कर सकेंगे, बशर्ते कुछ शर्तें पूरी हों। यह कदम छोटे व्यापारियों, स्टार्टअप्स और शहरी निवासियों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है। इस नीति ने न केवल निर्माण नियमों को सरल किया है, बल्कि शहरी क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देने का रास्ता साफ किया है। आइए, इस नए नियम के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझें।
मिश्रित उपयोग की शर्तें
नए नियमों के अनुसार, आवासीय भूखंडों पर व्यावसायिक गतिविधियों की अनुमति तभी मिलेगी, जब वे विशिष्ट सड़क चौड़ाई की शर्तों को पूरा करते हों। 2011 की जनगणना के आधार पर, 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में 24 मीटर चौड़ी सड़क और इससे कम आबादी वाले शहरों में 18 मीटर चौड़ी सड़क के किनारे स्थित भूखंडों पर यह सुविधा लागू होगी।
- व्यावसायिक उपयोग की सीमा: भूखंड के केवल 49% हिस्से का उपयोग दुकान जैसी व्यावसायिक गतिविधियों के लिए किया जा सकेगा। शेष 51% हिस्सा आवासीय उपयोग के लिए अनिवार्य होगा।
- दुकान और ऑफिस दोनों के लिए: यदि भूखंड पर दुकान के साथ-साथ ऑफिस भी बनाया जाता है, तो 33% हिस्सा दुकान, 33% हिस्सा ऑफिस और न्यूनतम 34% हिस्सा आवासीय उपयोग के लिए रखना होगा।
यह सुनिश्चित करता है कि आवासीय क्षेत्रों का मूल स्वरूप बना रहे, साथ ही व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा मिले। भूखंड के आकार पर कोई प्रतिबंध नहीं है, जिससे छोटे और बड़े दोनों तरह के भूखंड धारकों को लाभ मिलेगा।
नक्शा पास की जरूरत खत्म
योगी सरकार ने भवन निर्माण के नियमों को और सरल कर दिया है। अब 1000 वर्ग फीट तक के आवासीय भूखंडों के लिए केवल ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और 1000 से 5000 वर्ग फीट तक के भूखंडों के लिए आर्किटेक्ट द्वारा प्रमाणित नक्शा जमा करना होगा। 100 वर्ग मीटर तक के आवासीय और 30 वर्ग मीटर तक के व्यावसायिक भूखंडों पर नक्शा पास कराने की अनिवार्यता भी समाप्त कर दी गई है।
इसके अलावा, 45 मीटर चौड़ी सड़कों पर ऊंची इमारतों के लिए फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) की कोई सीमा नहीं होगी, जिससे गगनचुंबी इमारतों का निर्माण संभव हो सकेगा। यह नियम खासकर टियर-2 और टियर-3 शहरों में रियल एस्टेट सेक्टर को नई गति देगा।
व्यापारियों और निवासियों में उत्साह
इस फैसले का व्यापारी संगठनों ने जोरदार स्वागत किया है। उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के अध्यक्ष बनवारी लाल कंछल ने कहा कि यह निर्णय छोटे व्यापारियों के लिए वरदान साबित होगा, क्योंकि अब उन्हें अलग से व्यावसायिक भूखंड खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे न केवल व्यापार बढ़ेगा, बल्कि रोजगार सृजन और सरकार के राजस्व में भी वृद्धि होगी।
लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने बताया कि यह नीति शहरी क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगी और रियल एस्टेट सेक्टर में नई जान फूंकेगी। खासकर छोटे शहरों में यह नियम स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मददगार होगा।
UP में शहरी विकास को नई दिशा
योगी सरकार का यह कदम उत्तर प्रदेश को देश के सबसे प्रगतिशील राज्यों में शामिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मिश्रित उपयोग की नीति गुजरात मॉडल से प्रेरित है, जहां ऐसी व्यवस्था पहले से ही सफलतापूर्वक लागू है। इसके अलावा, नए नियमों में पोडियम और मकेनाइज्ड ट्रिपल स्टैक पार्किंग की अनुमति, अस्पतालों में एम्बुलेंस पार्किंग और स्कूलों में बस पार्किंग व पिक-एंड-ड्रॉप जोन जैसे प्रावधान भी शामिल हैं।
यह नीति न केवल शहरी विकास को गति देगी, बल्कि छोटे व्यापारियों और स्टार्टअप्स को अपने घरों से ही व्यवसाय शुरू करने का मौका देगी। हालांकि, पार्किंग और एफएआर जैसे मानकों का पालन करना अनिवार्य होगा, ताकि शहरी अव्यवस्था को रोका जा सके।
उत्तर प्रदेश सरकार का यह नया नियम शहरी क्षेत्रों में रहने और कारोबार करने वालों के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है। मिश्रित उपयोग की अनुमति, सरल निर्माण नियम और ऊंची इमारतों के लिए लचीले प्रावधानों के साथ, यह नीति न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी, बल्कि शहरी जीवन को और सुगम बनाएगी। छोटे व्यापारियों से लेकर रियल एस्टेट डेवलपर्स तक, सभी इस बदलाव से लाभान्वित होंगे।


राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।