प्रमुख बिंदु-
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में त्योहारों का मौसम शुरू होने वाला है, लेकिन पुलिसकर्मियों के लिए यह खुशियां नहीं, बल्कि ड्यूटी लेकर आएगा। DGP राजीव कृष्ण ने प्रदेशव्यापी आदेश जारी कर सभी पुलिसकर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं। यह कदम दीपावली और छठ पूजा को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए लिया गया है।
फैसले की मुख्य बातें: क्या कहता है आधिकारिक आदेश?
उत्तर प्रदेश पुलिस के डायरेक्टर जनरल राजीव कृष्ण ने 15 अक्टूबर को एक निर्देश जारी किया, जिसमें 16 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक सभी प्रकार की छुट्टियां रोक दी गई हैं। यह आदेश प्रदेश के सभी डीजी, एडीजी, पुलिस कमिश्नर, डीआईएसपीओएल, एसएसपी रेलवे और कमांडेंट पीएसी तक पहुंचाया गया है।
आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि दीपावली और छठ पूजा के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी रैंकों के पुलिसकर्मी ड्यूटी पर तैनात रहेंगे। विशेष परिस्थितियों में, जैसे गंभीर बीमारी या पारिवारिक आपातकाल, में संबंधित अधिकारी की अनुमति से ही छुट्टी मिल सकती है।
यह निर्देश सभी जोनल और रेंज पुलिस अधिकारियों को भी सूचित किया गया है, ताकि सख्ती से पालन सुनिश्चित हो। पुलिस मुख्यालय के मुताबिक, यह कदम पिछले वर्षों के अनुभवों पर आधारित है, जहां त्योहारों में चोरी, मारपीट और भीड़भाड़ की घटनाएं बढ़ जाती हैं।

सुरक्षा के मद्देनजर क्यों जरूरी यह कदम?
उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य में दीवाली और छठ जैसे पर्व लाखों लोगों को सड़कों पर ला देते हैं। दीवाली पर बाजारों में भीड़भाड़, आतिशबाजी और घरेलू उत्सव के बीच अपराध की संभावना बढ़ जाती है। वहीं, छठ पूजा में नदियों और घाटों पर स्नान के दौरान भगदड़ या डूबने जैसी दुर्घटनाओं का डर रहता है।
सरकार की चिंता यह भी है कि त्योहारों के बहाने असामाजिक तत्व सक्रिय हो सकते हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने पहले ही ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति अपनाई है, और यह फैसला उसी दिशा में एक कदम है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह व्यवस्था न केवल अपराध दर को कम करेगी, बल्कि ट्रैफिक प्रबंधन और भीड़ नियंत्रण में भी मददगार साबित होगी।
प्रदेश में 2 लाख से ज्यादा पुलिसकर्मी हैं, और यह आदेश उन्हें अलर्ट मोड में रखेगा। कुल मिलाकर, यह कदम प्रदेश की कानून व्यवस्था को मजबूत बनाने की दिशा में सकारात्मक है, भले ही पुलिसकर्मियों को थोड़ा त्याग करना पड़े। क्या यह फैसला अपराध पर लगाम कसेगा? समय ही बताएगा।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
