शशि थरूर ने UNSC में खोली पोल, चीन की मदद से आतंकियों को बचाता है पाकिस्तान!

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थरूर ने खोला राज: चीन कैसे बन गया पाक के आतंकियों का ढाल!

ग्लोबल डेस्क, यूनिफाइड भारत: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के कड़े रुख को प्रस्तुत करते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने पाकिस्तान और चीन की भूमिका की कड़ी आलोचना की है। ब्राजील में एक सर्वदलीय राजनयिक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए थरूर ने लश्कर-ए-तैयबा समर्थित ‘रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) को संयुक्त राष्ट्र में संरक्षण देने के लिए बीजिंग पर निशाना साधा। उन्होंने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान, अपने “दोस्त” चीन की मदद से, बार-बार आतंकवादी संगठनों को बचाने में सफल हो रहा है। थरूर की यह टिप्पणी वैश्विक मंच पर भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को मजबूती प्रदान करने और UNSC में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

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थरूर का बयान: पाकिस्तान और चीन पर सीधा हमला

ब्राजील के पूर्व विदेश मंत्री और संयुक्त राष्ट्र में राजदूत सेल्सो अमोरिम के साथ चर्चा के दौरान थरूर ने UNSC में आतंकवादी संगठनों के उल्लेख को रोकने के लिए पाकिस्तान और चीन की भूमिका पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “हम समय-समय पर UN प्रतिबंध समिति को रेजिस्टेंस फ्रंट के बारे में सूचित करते रहे हैं। जब भारत ने अपने मित्र देशों को प्रेस बयान में इस संगठन का उल्लेख करने के लिए प्रोत्साहित किया, तो पाकिस्तान ने चीन के समर्थन से उसका नाम हटवा दिया।”

थरूर ने आगे कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पाकिस्तान अपने दोस्त चीन की मदद से आतंकियों को बचाने में सफल हो जाता है। हमें और ब्राजील को UNSC में स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए ताकि ऐसी स्थिति बदली जा सके।” थरूर ने UNSC की संरचना में सुधार की आवश्यकता पर भी जोर दिया, यह कहते हुए कि भारत और ब्राजील जैसे देशों को परिषद में शामिल होने की जरूरत है ताकि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई को मजबूती मिले। उनकी यह टिप्पणी भारत की “आतंकवाद के प्रति शून्य सहनशीलता” नीति को वैश्विक मंच पर स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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कोलंबिया में कूटनीतिक जीत

थरूर के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में कोलंबिया की यात्रा की, जहां उन्होंने वहां के अधिकारियों के साथ भारत की आतंकवाद विरोधी नीति पर चर्चा की। कोलंबिया ने पहले भारत द्वारा पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर किए गए हमलों के बाद पाकिस्तान के प्रति संवेदना व्यक्त की थी, जिस पर थरूर ने कड़ा ऐतराज जताया। उनकी नाराजगी के बाद कोलंबिया ने अपना बयान वापस ले लिया, जो भारत की कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है। थरूर ने कहा, “हमने कोलंबिया को स्पष्ट किया कि आतंकवादियों और उनकी रक्षा करने वालों के बीच कोई तुलना नहीं हो सकती।”

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ऑपरेशन सिंदूर और भारत का रुख

थरूर ने अपनी यात्राओं के दौरान भारत के “ऑपरेशन सिंदूर” को भी रेखांकित किया, जिसके तहत भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। उन्होंने पनामा में कहा, “पाकिस्तान पिछले 40 वर्षों से भारत के खिलाफ आतंकवाद को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। अब भारत महात्मा गांधी की तरह दूसरा गाल आगे नहीं करेगा, बल्कि हर हमले का जवाब देगा।” थरूर ने यह भी खुलासा किया कि पाकिस्तानी सेना और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी आतंकियों के अंतिम संस्कार में शामिल थे, जो संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध सूची में शामिल थे।

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वैश्विक मंच पर भारत की रणनीति

थरूर के नेतृत्व में यह प्रतिनिधिमंडल गुयाना, पनामा, कोलंबिया, और ब्राजील के बाद अब अमेरिका की यात्रा पर है। न्यूयॉर्क में उन्होंने 9/11 स्मारक का दौरा कर आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका के साथ एकजुटता दिखाई। थरूर ने कहा, “हमारा उद्देश्य वैश्विक समुदाय को यह बताना है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ चुप नहीं रहेगा।” उनकी यह यात्रा भारत के आतंकवाद विरोधी दृष्टिकोण को वैश्विक स्तर पर मजबूत करने का हिस्सा है।

थरूर का प्रतिनिधिमंडल अब अमेरिका में विभिन्न नेताओं और नीति निर्माताओं के साथ मुलाकात करेगा। इस यात्रा का उद्देश्य आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति को और मजबूती देना और UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए समर्थन जुटाना है। थरूर ने कहा, “हमें UNSC में सुधार की जरूरत है ताकि भारत और अन्य उभरते देशों की आवाज सुनी जाए।” उनकी यह यात्रा वैश्विक कूटनीति में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाती है।

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शशि थरूर की अगुवाई में भारत का यह कूटनीतिक अभियान आतंकवाद के खिलाफ देश के दृढ़ संकल्प को दर्शाता है। पाकिस्तान और चीन की भूमिका को उजागर करते हुए थरूर ने न केवल वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को मजबूत किया, बल्कि UNSC में सुधार की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। उनकी यह यात्रा और बयान आतंकवाद के खिलाफ भारत की “शून्य सहनशीलता” नीति को और मजबूती प्रदान करते हैं। थरूर का यह कदम भारत को वैश्विक मंच पर एक जिम्मेदार और मजबूत शक्ति के रूप में स्थापित करता है, जो आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।

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