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पटना, 18 जुलाई 2025 (Bihar Politics): बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल मचने वाली है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव आज 18 जुलाई 2025 को एक नई राजनीतिक पार्टी या संगठन की घोषणा करने वाले हैं। सूत्रों के मुताबिक, तेज प्रताप ने इसके लिए शाम को उन्होंने अपने सरकारी आवास पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई है। यह कदम बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले उठाया जा रहा है, जिससे सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है। तेज प्रताप को कुछ महीने पहले ही लालू यादव ने RJD से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया था और परिवार से भी अलग कर दिया था।
तेज प्रताप यादव, जो अपने बेबाक और अनोखे अंदाज के लिए जाने जाते हैं, पहले भी कई बार RJD के लिए मुश्किलें खड़ी कर चुके हैं। उनकी इस नई पहल से न केवल RJD की रणनीति पर असर पड़ सकता है, बल्कि बिहार की सियासत में नए समीकरण भी बन सकते हैं।

तेज प्रताप का निष्कासन: क्या थी वजह?
तेज प्रताप यादव को इस साल मई 2025 में RJD से निष्कासित किया गया था। इसका कारण उनकी निजी जिंदगी से जुड़ा एक विवाद था। तेज प्रताप ने सोशल मीडिया पर अनुष्का यादव के साथ अपनी तस्वीरें साझा की थीं, जिसमें उन्होंने 12 साल से रिलेशनशिप में होने का दावा किया था। इस पोस्ट के वायरल होने के बाद लालू यादव ने कड़ा रुख अपनाते हुए उन्हें पार्टी और परिवार से बाहर कर दिया।

तेज प्रताप पहले से ही अपनी पूर्व पत्नी ऐश्वर्या राय के साथ तलाक के मामले में कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। अनुष्का यादव के साथ उनके रिश्ते की सार्वजनिक घोषणा ने RJD की छवि को नुकसान पहुंचाया, जिसके बाद लालू ने यह सख्त कदम उठाया। तेज प्रताप ने दावा किया कि उनका सोशल मीडिया अकाउंट हैक हो गया था, लेकिन तब तक विवाद इतना बढ़ चुका था कि RJD को उनकी छवि को बचाने के लिए यह फैसला लेना पड़ा।

इस निष्कासन के बाद तेज प्रताप ने अपनी राजनीतिक स्वतंत्रता की राह तलाशना शुरू कर दिया। उन्होंने महुआ और हसनपुर में अपने समर्थकों के साथ बैठकें कीं और संकेत दिए कि वे 2025 के चुनाव में अपनी ताकत दिखाएंगे।
नई पार्टी का ऐलान: किसके लिए खतरा या किसके लिए मौका?
तेज प्रताप यादव की नई पार्टी का ऐलान बिहार की सियासत में एक नया मोड़ ला सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेज प्रताप की नई पार्टी RJD के वोट बैंक, खासकर यादव और मुस्लिम मतदाताओं, को बांट सकती है। RJD पहले से ही बीजेपी-जेडीयू के मजबूत गठबंधन के सामने चुनौतियों का सामना कर रही है और तेज प्रताप की यह पहल उनके लिए और मुश्किलें खड़ी कर सकती है।
वहीं, बीजेपी-जेडीयू गठबंधन इस स्थिति का फायदा उठाने की पूरी कोशिश करेगा। तेज प्रताप की नई पार्टी को लेकर यह चर्चा भी है कि वे NDA के साथ गठबंधन कर सकते हैं। कुछ सूत्रों का कहना है कि जेडीयू की सेक्युलर छवि और नीतीश कुमार का नेतृत्व तेज प्रताप को आकर्षित कर सकता है। हालांकि, बीजेपी के साथ उनकी संभावित साझेदारी को लेकर संशय है, क्योंकि उनके खिलाफ रेलवे भर्ती स्कैम जैसे मामलों में जांच चल रही है।

तेज प्रताप की नई पार्टी अगर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ती है, तो वे महुआ या हसनपुर जैसी सीटों पर फोकस कर सकते हैं, जहां उनका व्यक्तिगत प्रभाव है। वे 2015 से 2020 तक महुआ से विधायक रह चुके हैं और वर्तमान में हसनपुर से विधायक हैं। उनकी यह रणनीति RJD के लिए सीटों के नुकसान का कारण बन सकती है, भले ही बड़ा नुकसान न हो।
उत्तर प्रदेश में शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच हुए टकराव का उदाहरण भी सामने है। 2016-17 में शिवपाल की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ने सपा को कई सीटों पर नुकसान पहुंचाया था, जिसका फायदा बीजेपी को मिला। बिहार में भी ऐसा ही कुछ होने की आशंका जताई जा रही है।
क्या होगा तेजस्वी और लालू का अगला कदम?
तेज प्रताप की नई पार्टी की घोषणा से RJD के सामने एक बड़ी चुनौती है। तेजस्वी यादव, जो RJD की कमान संभाले हुए हैं, पहले ही कई बार तेज प्रताप के व्यवहार से असहज स्थिति में आ चुके हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि तेज प्रताप को पार्टी में प्रभावी भूमिका न मिलने की वजह से वे यह कदम उठा रहे हैं। लालू ने हमेशा तेजस्वी को तरजीह दी है, जिससे तेज प्रताप में नाराजगी रही है।
हालांकि, कुछ विश्लेषकों का यह भी कहना है कि तेज प्रताप सीधे परिवार के खिलाफ नहीं जाएंगे। वे अपनी ताकत दिखाने के लिए नई पार्टी बना सकते हैं, लेकिन RJD के खिलाफ उम्मीदवार उतारने से बच सकते हैं। तेजस्वी ने पहले कहा था कि तेज प्रताप को निजी निर्णय लेने की स्वतंत्रता है, लेकिन सार्वजनिक छवि का ध्यान रखना चाहिए।

RJD अब इस स्थिति से निपटने के लिए अपनी रणनीति पर काम कर रही है। पार्टी नेतृत्व यह सुनिश्चित करना चाहेगा कि तेज प्रताप का यह कदम उनके वोट बैंक को ज्यादा नुकसान न पहुंचाए। दूसरी ओर, तेजस्वी अपनी ’20 महीने में 20 काम’ की घोषणा के साथ मतदाताओं को लुभाने में जुटे हैं।
तेज प्रताप यादव की नई पार्टी की घोषणा बिहार की सियासत में एक नया ट्विस्ट लाने वाली है। यह कदम न केवल RJD के लिए चुनौती है, बल्कि बीजेपी-जेडीयू गठबंधन के लिए भी एक मौका हो सकता है। तेज प्रताप की नई पार्टी कितनी प्रभावी होगी, यह उनके संगठन और रणनीति पर निर्भर करेगा। लेकिन इतना तय है कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में यह घटनाक्रम चर्चा का केंद्र बनेगा। क्या तेज प्रताप अपनी अलग पहचान बना पाएंगे, या यह कदम RJD और उनके परिवार के लिए और मुश्किलें खड़ी करेगा? इसका जवाब आने वाले दिनों में मिलेगा।


राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।