कौन है Tahawwur Rana? 26/11 मुंबई हमले का मास्टरमाइंड जिसे भारत लाया जा रहा है

Who is Tahawwur Rana 26_11 Mastermind

16 साल बाद हुई जीत: वापस लाया जा रहा है देश का सबसे बड़ा दुश्मन

नई दिल्ली, 9 अप्रैल 2025: 2008 के मुंबई आतंकी हमले (26/11) के प्रमुख आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा (Tahawwur Hussain Rana) को आखिरकार अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित किया जा रहा है। यह खबर भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है, क्योंकि पिछले 16 सालों से राणा के प्रत्यर्पण की मांग को लेकर भारत और अमेरिका के बीच लंबी कानूनी जंग चल रही थी।

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तहव्वुर राणा को आज (9 अप्रैल) देर रात या कल (10 अप्रैल) सुबह तक एक विशेष विमान के जरिए भारत लाया जाएगा, अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में तहव्वुर राणा की अंतिम अपील को खारिज कर दिया, जिसके बाद उसके प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया। सूत्रों के मुताबिक, तहव्वुर राणा को दिल्ली के तिहाड़ जेल में उच्च सुरक्षा व्यवस्था के बीच रखा जाएगा, साथ ही मुंबई में भी उसके लिए एक सुरक्षित सुविधा तैयार की जा रही है, जहां उसका मुकदमा चलाया जाएगा।

Tahawwur Rana 26-11 Mastermind

तहव्वुर हुसैन राणा कौन है?

तहव्वुर हुसैन राणा एक पाकिस्तानी-कनाडाई मूल का व्यवसायी और पूर्व सैन्य डॉक्टर है। 64 साल के तहव्वुर राणा पर 26/11 मुंबई हमले की साजिश में शामिल होने का आरोप है। वह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) नामक पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़ा हुआ माना जाता है। तहव्वुर राणा का नाम उस वक्त सुर्खियों में आया जब 2009 में उसे और उसके करीबी सहयोगी डेविड कोलमैन हेडली को अमेरिका के शिकागो हवाई अड्डे पर एफबीआई ने गिरफ्तार किया। दोनों कथित तौर पर डेनमार्क के एक अखबार पर हमले की साजिश रच रहे थे, जिसने पैगंबर मोहम्मद के विवादास्पद कार्टून प्रकाशित किए थे। इस गिरफ्तारी के दौरान ही मुंबई हमले में उनकी भूमिका का खुलासा हुआ।

Hedli and Tahawwur

तहव्वुर राणा और हेडली का सम्बंध

तहव्वुर राणा, डेविड कोलमैन हेडली का सबसे करीबी सहयोगी माना जाता है, जो 26/11 हमलों का मास्टरमाइंड था। हेडली, जो एक पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकी था, उसने 2006 से 2008 के बीच तहव्वुर राणा की कंपनी का इस्तेमाल एक कवर के तौर पर किया।

हेडली ने अपनी गवाही में बताया कि तहव्वुर राणा ने अपनी ट्रैवल एजेंसी के जरिए मुंबई में एक शाखा खोलने की अनुमति दी, ताकि हेडली हमले की योजना बना सके। इस दौरान हेडली ने मुंबई में कई बार रेकी की और लक्ष्यों को चिह्नित किया, जिसमें ताजमहल पैलेस होटल, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस और नरीमन हाउस जैसे स्थान शामिल थे। हेडली ने यह भी दावा किया कि उसने 2006 में तहव्वुर राणा को मुंबई मिशन के बारे में जानकारी दी थी और राणा ने उसे बिजनेस वीजा दिलाने में मदद की थी।

Mumbai 26-11 Attack

26/11 हमला: भारत का सबसे काला दिन

26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने समुद्री रास्ते से मुंबई में घुसपैठ की और 60 घंटे तक शहर को बंधक बनाए रखा। इस हमले में 166 लोग मारे गए थे, जिनमें 24 विदेशी नागरिक भी शामिल थे और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

इस हमले में शामिल एकमात्र जिंदा पकड़ा गया आतंकी अजमल कसाब था, जिसे बाद में फांसी दी गई। जांच में पता चला कि हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा के साथ-साथ पाकिस्तान की आईएसआई का भी हाथ था। तहव्वुर हुसैन राणा की प्रत्यर्पण से उम्मीद जताई जा रही है कि इस हमले में पाकिस्तान की संलिप्तता के नए सबूत सामने आएंगे।

तहव्वुर हुसैन राणा का प्रत्यर्पण: लंबी कानूनी लड़ाई

तहव्वुर हुसैन राणा को भारत लाने की प्रक्रिया 2019 में शुरू हुई थी, जब भारत ने अमेरिका से उसकी प्रत्यर्पण की मांग की थी। 2020 में भारत ने उसकी अस्थायी गिरफ्तारी के लिए औपचारिक शिकायत दर्ज की। हालांकि, तहव्वुर राणा ने अमेरिकी अदालतों में कई याचिकाएं दायर कर अपने प्रत्यर्पण को रोकने की कोशिश की। उसने दावा किया कि भारत में उसे यातना का खतरा है और वहां उसकी जान को खतरा हो सकता है। उसने यह भी कहा कि एक मुस्लिम और पाकिस्तानी मूल के व्यक्ति होने के नाते उसे निष्पक्ष सुनवाई नहीं मिलेगी। लेकिन अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उसकी सभी अपीलों को खारिज कर दिया, जिसके बाद उसका भारत आना तय हो गया।

raw-and-nia-logos

भारत में क्या होगा तहव्वुर राणा का भविष्य?

तहव्वुर हुसैन राणा को भारत लाने के लिए NIA और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) की एक संयुक्त टीम अमेरिका गई है। सूत्रों के मुताबिक, वह पहले कुछ हफ्तों तक एनआईए की हिरासत में रहेगा, जहां उससे गहन पूछताछ की जाएगी। इसके बाद उसे मुंबई पुलिस को सौंपा जा सकता है, जहां उसका मुकदमा चलेगा। दिल्ली और मुंबई में उसके लिए विशेष जेल सुविधाएं तैयार की गई हैं। अधिकारियों का मानना है कि तहव्वुर राणा की गवाही से लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष नेताओं और आईएसआई के अधिकारियों, जैसे मेजर इकबाल और मेजर समीर अली की भूमिका के बारे में और जानकारी मिल सकती है।

Tahawwur Rana extradition PAINTING
इमेज : PTI

भारत के लिए बड़ी जीत

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसे भारत-अमेरिका के बीच आतंकवाद के खिलाफ सहयोग का प्रतीक बताया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में तहव्वुर राणा को “बेहद खतरनाक” करार देते हुए कहा था कि वह भारत में न्याय का सामना करेगा। यह प्रत्यर्पण न केवल 26/11 के पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में एक कदम है, बल्कि भविष्य में पाकिस्तान से होने वाले आतंकी हमलों को रोकने में भी मददगार साबित हो सकता है।

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