प्रमुख बिंदु-
वाराणसी: राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम करते हुए सनबीम सनसिटी विद्यालय के शिक्षक गिरीश गोधानी (Girish Godhani) ने महाराष्ट्र के कामठी स्थित अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी में आयोजित कठिन कोर्स को न सिर्फ पास किया, बल्कि समग्र उत्कृष्टता के लिए कमांडेंट्स सिल्वर मेडल भी हासिल कर लिया। यह दुर्लभ सम्मान, जो आजीवन रहता है, पूरे भारत में लाइव प्रसारित हुआ। गिरीश की यह उपलब्धि न केवल वाराणसी और सनबीम परिवार का मान बढ़ाती है, बल्कि युवा पीढ़ी के लिए अनुशासन और मेहनत का जीवंत उदाहरण भी प्रस्तुत करती है।
कठिन प्रशिक्षण का सफर
NCC का प्री-कमीशन ट्रेनिंग कोर्स (पीआरसीएन जे.डी. 183) कोई आसान चुनौती नहीं था। 29 जुलाई से 27 सितंबर 2025 तक चले इस 60 दिवसीय कार्यक्रम में देश के कोने-कोने से 525 एसोसिएट टीचर्स (सी.टी.ओ.) ने हिस्सा लिया। इनमें से मात्र 490 को ही कमीशन मिल सका, जो इसकी कठोरता का प्रमाण है। कामठी अकादमी, जो NCC के लिए एक प्रमुख केंद्र है, यहां शारीरिक फिटनेस से लेकर मानसिक मजबूती तक हर परीक्षा ली जाती है।
गिरीश गोधानी, जो सनबीम सनसिटी में NCC ट्रूप कमांडर के रूप में कार्यरत हैं, ने इस कोर्स में अपनी छाप छोड़ी। स्रोतों के अनुसार, यह ट्रेनिंग NCC के जूनियर डिवीजन के लिए डिजाइन की जाती है, जहां कैडेट्स को सेना की बुनियादी समझ दी जाती है। गिरीश ने बताया कि शुरूआती दिनों में थकान और अनिश्चितता ने उन्हें घेरा, लेकिन दैनिक ड्रिल और टीम वर्क ने उन्हें मजबूत बनाया। “यह कोर्स सिर्फ ट्रेनिंग नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण का माध्यम है,” उन्होंने कहा।

सिल्वर मेडल से लेकर निबंध पुरस्कार तक
कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच गिरीश की सफलता वाकई काबिले-तारीफ है। उन्होंने समग्र प्रदर्शन के लिए **कमांडेंट्स सिल्वर मेडल** जीता, जो NCC में सर्वोच्च सम्मानों में से एक है। यह मेडल दुर्लभ ही दिया जाता है और इसका लाइव प्रसारण पूरे देश में हुआ, जिससे लाखों युवाओं को प्रेरणा मिली। इसके अलावा, राष्ट्रीय स्तर की निबंध प्रतियोगिता में वे प्रथम आए, जहां उन्होंने NCC की भूमिका पर गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया।
सभी ट्रेनिंग मॉड्यूल्स, जैसे शारीरिक व्यायाम, हथियार संभालना, ड्रिल टेस्ट, मैप रीडिंग, लैंडमार्क पहचान, व्यक्तित्व विकास, बास्केटबॉल मुकाबले, प्रशिक्षण कार्यक्रम डिजाइन और लिखित परीक्षा में उनका प्रदर्शन अनुकरणीय रहा। एक पदक विशेष रूप से सभी मॉड्यूल्स के लिए मिला, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है। NCC के विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे कोर्स युवा शिक्षकों को सैन्य अनुशासन सिखाते हैं, जो स्कूल स्तर पर कैडेट्स को बेहतर मार्गदर्शन देने में मदद करता है। गिरीश की यह कामयाबी साबित करती है कि शिक्षा और राष्ट्रसेवा का संगम कितना शक्तिशाली हो सकता है।

परिवार और संस्थान का अटूट सहयोग
कोई भी उपलब्धि अकेले हासिल नहीं होती। गिरीश ने अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपने माता-पिता को दिया, जिन्होंने बचपन से ही अनुशासन की सीख दी। सनबीम ग्रुप ऑफ एजुकेशन के चीफ ऑपरेशंस ऑफिसर आशीष राय ने उन्हें हर कदम पर प्रोत्साहित किया। सनबीम सनसिटी की प्राचार्या अर्चना सिंह ने बताया, “गिरीश हमारे विद्यालय के गौरव हैं। उनका यह सफर हमारे 100 यूपी बटालियन NCC के कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल राकेश रोशन के मार्गदर्शन का फल है।”
कर्नल रोशन ने भी गिरीश की तारीफ की, कहा कि उनका समर्पण बटालियन के लिए प्रेरणा बनेगा। सनबीम परिवार में गिरीश जैसे शिक्षक कैडेट्स को न सिर्फ किताबी ज्ञान देते हैं, बल्कि जीवन के मूल्यों से भी जोड़ते हैं। यह सहयोग नेटवर्क ही है जो गिरीश को इस ऊंचाई तक पहुंचाया।

आने वाली पीढ़ियों के लिए नया संदेश
सनबीम सनसिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्राचार्या ने गिरीश की उपलब्धि पर गर्व जताते हुए कहा, “यह मेहनत, अनुशासन और लगन का प्रतीक है। गिरीश ने विद्यार्थियों के लिए एक ऐसा उदाहरण रखा है, जो आने वाली पीढ़ियों को राष्ट्रसेवा की ओर प्रेरित करेगा।” वाराणसी जैसे शहर में, जहां शिक्षा का बोलबाला है, ऐसी कहानियां युवाओं में जोश भरती हैं।
NCC , जो 1948 से भारत के युवाओं को सैन्य ट्रेनिंग दे रहा है, ऐसे व्यक्तियों के जरिए और मजबूत हो रहा है। गिरीश अब थर्ड ऑफिसर के रूप में अपनी जिम्मेदारियां निभाएंगे, लेकिन उनकी यह यात्रा साबित करती है कि छोटे शहरों से भी राष्ट्रीय स्तर पर चमकना संभव है। कुल मिलाकर, यह खबर सिर्फ एक व्यक्ति की जीत नहीं, बल्कि पूरे समुदाय की साझा खुशी है। क्या आप भी NCC से जुड़ने को तैयार हैं?
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।