प्रमुख बिंदु-
Leh Violence: लद्दाख के प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता और शिक्षाविद् सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuck) को शुक्रवार दोपहर लेह पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। यह कार्रवाई 24 सितंबर को हुई हिंसक झड़पों के ठीक दो दिन बाद हुई, जिसमें चार युवाओं की मौत हो गई और 90 से ज्यादा लोग घायल हुए। केंद्र सरकार ने वांगचुक को हिंसा भड़काने का जिम्मेदार ठहराया है। उनकी गिरफ्तारी के बाद लेह में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं, जबकि कर्फ्यू तीसरे दिन भी जारी रहा। स्कूल-कॉलेज शनिवार तक बंद हैं।
वांगचुक लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर 10 सितंबर से अनशन पर थे, जिसे हिंसा के बाद उन्होंने तोड़ दिया था। यह घटना लद्दाख के लंबे आंदोलन में नया मोड़ ला रही है, जहां स्थानीय लोग अपनी पहचान और अधिकारों की रक्षा के लिए सड़कों पर उतर आए हैं।
वांगचुक की गिरफ़्तारी
लेह पुलिस ने दोपहर करीब 2:30 बजे वांगचुक को शहर के बाहरी इलाके से हिरासत में लिया और उन्हें अज्ञात स्थान पर ले जाया। गिरफ्तारी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हुई है, जिसमें हिंसा भड़काने और भड़काऊ बयानों का आरोप लगाया गया। गृह मंत्रालय ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा कि वांगचुक के भाषणों ने भीड़ को उकसाया, जिसमें उन्होंने नेपाल के ‘जनरेशन-जेड’ आंदोलन और अरब स्प्रिंग का जिक्र किया। मंत्रालय के अनुसार, अनशन स्थल से निकली भीड़ ने भाजपा कार्यालय और लेह हिल काउंसिल पर हमला किया, सीआरपीएफ की गाड़ियों में आग लगाई।

वांगचुक ने गिरफ्तारी से पहले कहा था, “मुझे बलि का बकरा बनाया जा रहा है। अगर जेल भेजा गया, तो यह सरकार के लिए बाहर रहने से ज्यादा मुश्किलें पैदा करेगा।” उन्होंने हिंसा को ‘युवाओं की हताशा’ बताया, न कि अपनी साजिश। लेह में कर्फ्यू के कारण सड़कें सुनसान हैं, लेकिन कारगिल जैसे इलाकों में शटडाउन का समर्थन मिला। अब तक 60 से ज्यादा लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, जिनमें 50 प्रदर्शनकारी शामिल हैं। उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने कहा कि स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन नेपाल और डोडा से बाहरी लोगों की साजिश का आरोप लगाया।
NGO लाइसेंस रद्द, CBI जांच
हिंसा के एक दिन बाद गृह मंत्रालय ने वांगचुक की संस्था स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) का FCRA लाइसेंस तुरंत रद्द कर दिया। मंत्रालय ने आरोप लगाया कि संस्था ने विदेशी फंडिंग का गलत इस्तेमाल किया। 2021-22 में वांगचुक ने 3.5 लाख रुपये FCRA खाते में जमा किए, जो नियमों के खिलाफ था। इसके अलावा, स्वीडन से 4.93 लाख रुपये ‘खाद्य सुरक्षा और संप्रभुता’ पर वर्कशॉप के नाम पर लिए गए, जिसे ‘राष्ट्रीय हितों के विरुद्ध’ बताया। एक और 54,600 रुपये की गलत ट्रांसफर को भी उल्लंघन माना।
दूसरी संस्था हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ ऑल्टरनेटिव्स लद्दाख (HIAL) पर भी CBI ने दो महीने पहले प्रारंभिक जांच शुरू की। एजेंसी ने विदेशी फंडिंग के बिना धन प्राप्ति का शक जताया। वांगचुक के व्यक्तिगत खातों में 2018-2024 के बीच 1.68 करोड़ रुपये विदेशी योगदान का दावा है, जबकि उन्होंने कहा कि यह ‘ज्ञान निर्यात’ से कमाई है। CBI टीम लेह में कैंप कर रही है और 2020-21 के पुराने रिकॉर्ड भी मांग रही।
वांगचुक बोले, “CBI को 2022-24 तक जांच करनी थी, लेकिन वे शिकायत से बाहर के स्कूलों के दस्तावेज मांग रहे। पहले राजद्रोह का केस, फिर चार साल पुरानी मजदूर वेतन शिकायत दोबारा खोली। HIAL की जमीन का पट्टा रद्द किया, जबकि फीस न लेने का सरकारी पत्र हमारे पास है। आयकर नोटिस भी आया, जबकि लद्दाख में टैक्स ही नहीं लगता।”
हिंसा कैसे भड़की: दो मुख्य बिंदु
लद्दाख बंद का आह्वान 23 सितंबर की रात सोशल मीडिया से किया गया। लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) ने लोगों से हिल काउंसिल पहुंचने की अपील की। युवाओं ने इसे ‘जनरेशन-जेड क्रांति’ बताया, लेकिन बड़ी भीड़ जुट गई।
दूसरा, हिल काउंसिल के बाहर बैरिकेड्स लगे थे। प्रदर्शनकारीयों ने पथराव किया, भाजपा कार्यालय फूंका, सीआरपीएफ वाहनों में आग लगाई। गोलीबारी में चार युवक मारे गए, 40 पुलिसकर्मी घायल। वांगचुक ने वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में शांति की अपील की, लेकिन हालात बेकाबू हो गए। LAB ने कहा कि हिंसा ‘युवाओं का अनियंत्रित गुस्सा’ था, न कि उनकी योजना।

6 अक्टूबर की बैठक: मांगें क्या हैं?
दिल्ली में 6 अक्टूबर को केंद्र के साथ LAB-KDA की बैठक होगी। 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था। सरकार ने वादा किया था कि हालात सामान्य होने पर राज्य का दर्जा बहाल होगा। मुख्य मांगें: पूर्ण राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची में शामिल होकर जनजातीय स्वायत्तता, अलग लोकसभा सीटें लेह-कारगिल के लिए, पब्लिक सर्विस कमीशन का गठन।
वांगचुक ने कहा, “युवाओं में बेरोजगारी और पहचान का संकट है। वार्ता में देरी हिंसा को न्योता दे रही।” केंद्र ने कहा कि उच्चाधिकार समिति से बात चल रही है, लेकिन ‘राजनीतिक साजिश’ बाधा डाल रही। गिरफ्तारी के बाद आंदोलन और तेज हो सकता है, क्योंकि स्थानीय नेता इसे ‘आवाज दबाने’ की कोशिश बता रहे।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।