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नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) एक बार फिर सुर्खियों में हैं। हाल ही में, उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के समर्थन में केंद्र सरकार और भारतीय सेना की प्रशंसा की, जिसके बाद उनकी अपनी ही पार्टी के नेताओं ने उनकी आलोचना शुरू कर दी। केंद्र सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत का पक्ष वैश्विक मंच पर रखने के लिए सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों का गठन किया, जिनमें से एक का नेतृत्व शशि थरूर को सौंपा गया।
लेकिन कांग्रेस ने दावा किया कि उन्होंने थरूर का नाम प्रस्तावित नहीं किया था, जिसके बाद यह विवाद और गहरा गया। कोच्चि में एक स्कूल के कार्यक्रम में थरूर ने इस आलोचना का जवाब देते हुए पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का हवाला दिया और कहा, “अगर भारत ही नहीं बचेगा, तो कौन जिंदा बचेगा?”

Shashi Tharoor का रुख: देशहित सर्वोपरि
कोच्चि में एक छात्र के सवाल का जवाब देते हुए थरूर ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा और देशहित किसी भी राजनीतिक दल से ऊपर है। उन्होंने कहा, “जब देश खतरे में हो, तो हमें अपने मतभेदों को किनारे रख देना चाहिए। भारत पहले आता है।” थरूर ने जोर देकर कहा कि सभी राजनीतिक दलों का लक्ष्य एक बेहतर भारत बनाना होना चाहिए, और पार्टियां केवल राष्ट्र सेवा का माध्यम हैं।
उन्होंने अपने बयान में यह भी कहा कि उनकी आलोचना इसलिए हो रही है क्योंकि उन्होंने सरकार और सशस्त्र बलों का समर्थन किया, लेकिन वे अपने रुख पर अडिग रहेंगे क्योंकि यह देश के हित में है। थरूर ने यह भी बताया कि राष्ट्रीय हित में अन्य दलों के साथ सहयोग करना जरूरी है, भले ही कुछ लोग इसे पार्टी के प्रति विश्वासघात समझें।
कांग्रेस की नाराजगी और खरगे का कटाक्ष
कांग्रेस नेतृत्व ने शशि थरूर के केंद्र सरकार के प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने और उनके बयानों पर तीखी नाराजगी जताई है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने स्पष्ट किया कि पार्टी ने केंद्र को चार सांसद, आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, सैयद नासिर हुसैन और अमरिंदर सिंह राजा वडिंग के नाम सुझाए थे, लेकिन शशि थरूर का नाम इस सूची में शामिल नहीं था। इसके बावजूद, केंद्र सरकार द्वारा थरूर को प्रतिनिधिमंडल में चुने जाने से कांग्रेस में हड़कंप मच गया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अप्रत्यक्ष रूप से थरूर पर निशाना साधते हुए कहा, “कांग्रेस हमेशा देश पहले की नीति में विश्वास रखती है, लेकिन कुछ लोग मोदी पहले और देश बाद में की सोच के साथ चलते हैं।”
पार्टी के अन्य नेताओं, जैसे उदित राज और पवन खेड़ा, ने भी थरूर पर तंज कसते हुए उन्हें “लक्ष्मण रेखा पार करने” और “भाजपा का सुपर प्रवक्ता” होने का आरोप लगाया। इन आलोचनाओं का जवाब देते हुए थरूर ने दृढ़ता से कहा कि वे केवल भारत के हितों के लिए बोल रहे हैं, न कि किसी एक पार्टी के लिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि राष्ट्रीय हित सर्वोपरि है और वे अपने रुख पर कायम रहेंगे, भले ही पार्टी के भीतर उनकी आलोचना हो।
थरूर का वैश्विक मंच पर प्रभाव
ऑपरेशन सिंदूर के तहत थरूर ने अमेरिका, पनामा, ब्राजील और कोलंबिया जैसे देशों में भारत का पक्ष मजबूती से रखा। उन्होंने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद की कड़ी आलोचना की और वैश्विक समुदाय से एकजुट होकर इसके खिलाफ लड़ने की अपील की। उनकी वाकपटुता और संयुक्त राष्ट्र में पूर्व अनुभव ने उन्हें इस भूमिका के लिए उपयुक्त बनाया, जिसे भाजपा नेताओं ने भी सराहा।

भाजपा नेता संजय निरुपम ने कहा, “कांग्रेस को थरूर की प्रतिभा पर गर्व करना चाहिए।” हालांकि, कांग्रेस ने इस मामले को फिलहाल शांत करने का फैसला किया है और थरूर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। फिर भी, थरूर के बयानों ने पार्टी के भीतर मतभेदों को उजागर कर दिया है, और यह सवाल उठता है कि क्या वे भविष्य में भी पार्टी लाइन से अलग अपनी आवाज उठाते रहेंगे।

राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।