Sharbat-Jihad: पतंजलि बनाम हमदर्द, रामदेव की टिप्पणी पर कोर्ट की कड़ी नाराजगी!
प्रमुख बिंदु-
नई दिल्ली, 22 अप्रैल 2025: दिल्ली हाई कोर्ट ने पतंजलि के संस्थापक बाबा रामदेव को उनके विवादास्पद “शरबत जिहाद” (Sharbat-Jihad) बयान के लिए कड़ी फटकार लगाई है, जिसमें उन्होंने हमदर्द नेशनल फाउंडेशन इंडिया के लोकप्रिय पेय रूह अफजा को निशाना बनाया था। कोर्ट ने इस टिप्पणी को “हैरान करने वाला” और “असमर्थनीय” करार देते हुए रामदेव को चेतावनी दी कि इस मामले में सख्त आदेश जारी किया जा सकता है। इस विवाद ने न केवल व्यापारिक प्रतिस्पर्धा बल्कि सामुदायिक सद्भाव और नफरत भरे भाषण के मुद्दों को भी उजागर किया है।

विवाद की शुरुआत
यह मामला 3 अप्रैल 2025 को शुरू हुआ, जब बाबा रामदेव ने पतंजलि के गुलाब शरबत को बढ़ावा देने के लिए एक वीडियो जारी किया। इस वीडियो में उन्होंने रूह अफजा पर निशाना साधते हुए दावा किया कि हमदर्द कंपनी अपनी कमाई का उपयोग मस्जिदों और मदरसों के निर्माण के लिए करती है। उन्होंने “शरबत जिहाद” जैसे भड़काऊ शब्द का भी इस्तेमाल किया, जिसे कई लोगों ने सामुदायिक विभाजन को बढ़ावा देने वाला और नफरत भरा भाषण माना। इस बयान ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएँ जन्म दीं, और हमदर्द ने रामदेव और पतंजलि के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में मुकदमा दायर किया।

दिल्ली हाई कोर्ट की प्रतिक्रिया
21 अप्रैल 2025 को मामले की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान, जस्टिस अमित बंसल ने रामदेव की टिप्पणी को “कोर्ट के विवेक को झकझोरने वाला” बताया। कोर्ट ने इसे न केवल रूह अफजा के खिलाफ अपमानजनक बल्कि सामुदायिक सद्भाव के लिए खतरा भी माना। हमदर्द की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि रामदेव का बयान न केवल उत्पाद की बदनामी करता है, बल्कि यह एक समुदाय विशेष के खिलाफ नफरत को भड़काने का प्रयास है। रोहतगी ने कहा, “यह मामला सिर्फ अपमान से परे है; यह सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने वाला है, जो घृणा भाषण के समान है।”
रोहतगी ने कोर्ट को यह भी बताया कि रामदेव ने हमदर्द के अलावा एक अन्य कंपनी, हिमालया, को भी निशाना बनाया, क्योंकि इसके मालिक भी मुस्लिम हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे बयानों को तुरंत रोकना जरूरी है, क्योंकि देश में पहले से ही सामाजिक तनाव मौजूद हैं। कोर्ट ने रामदेव के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर, को निर्देश लेने के बाद उपस्थित होने को कहा।

रामदेव का यू-टर्न
22 अप्रैल 2025 को हुई सुनवाई में, रामदेव ने कोर्ट को सूचित किया कि वह रूह अफजा के खिलाफ सभी विज्ञापन, चाहे वे प्रिंट हों या वीडियो, हटा लेंगे। यह फैसला कोर्ट की कड़ी टिप्पणियों और संभावित सख्त कार्रवाई के दबाव के बाद आया। इस मामले ने न केवल कानूनी, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भी हलचल मचा दी है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भोपाल में रामदेव के खिलाफ धार्मिक नफरत फैलाने के आरोप में पुलिस शिकायत दर्ज की थी। हालांकि, टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, रामदेव ने बाद में सफाई दी कि उन्होंने अपने वीडियो में किसी खास ब्रांड का नाम नहीं लिया था। लेकिन सोशल मीडिया पर उनकी यह दलील ज्यादा असर नहीं दिखा सकी।

सामाजिक और कानूनी प्रभाव
इस विवाद ने व्यापारिक प्रतिस्पर्धा में धर्म का दुरुपयोग करने के खतरों को उजागर किया है। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने रामदेव की टिप्पणी को “असंवैधानिक” और “नफरत फैलाने वाला” करार दिया। कानूनी दृष्टिकोण से, रोहतगी ने कोर्ट को याद दिलाया कि रामदेव को पहले भी सुप्रीम कोर्ट से एलोपैथी के खिलाफ बयानों के लिए फटकार मिल चुकी है। उन्होंने इस मामले में “कठोर कार्रवाई” की मांग की ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।