प्रमुख बिंदु-
Sawan 2025: 11 जुलाई 2025, शुक्रवार को श्रावण मास की शुरुआत हो रही है, जो भगवान शिव के भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। शास्त्रों के अनुसार, Sawan का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और इस माह में उनकी पूजा-उपासना से जीवन की हर समस्या का समाधान मिलता है। उत्तर भारत में सावन 11 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त 2025 को रक्षाबंधन के दिन समाप्त होगा, जबकि दक्षिण और पश्चिमी भारत में यह 25 जुलाई से 23 अगस्त तक मनाया जाएगा।
इस बार Sawan में चार सोमवार पड़ रहे हैं, जो भक्तों के लिए विशेष रूप से शुभ हैं। ये हैं: 14 जुलाई (पहला सोमवार), 21 जुलाई (दूसरा सोमवार), 28 जुलाई (तीसरा सोमवार) और 4 अगस्त (चौथा सोमवार)।
Sawan का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सावन में समुद्र मंथन के दौरान निकले हलाहल विष को भगवान शिव ने ग्रहण किया था, जिसके बाद से इस माह में उन्हें जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई। यह महीना तपस्या, साधना और वरदान प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। Sawan में भगवान शिव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इस माह में शिवलिंग पर जल, बेलपत्र और दूध अर्पित करने से सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही, शिव पंचाक्षर स्तोत्र या शिव मंत्रों का जाप करने से जीवन में सकारात्मकता आती है।

श्रावणी मेला: भक्ति का उत्सव
सावन के महीने में झारखंड के देवघर में बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर में आयोजित होने वाला श्रावणी मेला विशेष आकर्षण का केंद्र है। यह मेला 11 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त तक चलेगा और रक्षाबंधन के दिन भादो पूर्णिमा के साथ समाप्त होगा। लाखों शिव भक्त इस मेले में शामिल होते हैं, जिनमें से कई बिहार के सुल्तानगंज से 108 किलोमीटर की पैदल यात्रा करके जल लेकर बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक करते हैं।
पहली सोमवारी 14 जुलाई को होगी, जब भक्त बड़ी संख्या में देवघर और बिहार के अन्य शिवालयों में जल अर्पित करेंगे। दूसरी, तीसरी और चौथी सोमवारी क्रमशः 21 जुलाई, 28 जुलाई और 4 अगस्त को होंगी। प्रत्येक सोमवारी के अगले दिन मंगला गौरी व्रत भी मनाया जाएगा।

Sawan पूजन विधि
सावन के पहले दिन से लेकर हर सोमवार को उपवास रखना शुभ माना जाता है। सुबह शिवलिंग पर जल, बेलपत्र और कम से कम दूध अर्पित करें। रोजाना शिव पंचाक्षर स्तोत्र या शिव मंत्रों का जाप करें और इसके बाद जलपान या फलाहार करें। इस माह में रुद्राक्ष धारण करना विशेष रूप से लाभकारी है।
सावन में क्या बरतें सावधानियां
- जल की बर्बादी से बचें और उसका संरक्षण करें।
- पत्तेदार सब्जियों का सेवन न करें।
- बासी, भारी भोजन, मांस या मदिरा से परहेज करें।
- तेज धूप में अनावश्यक घूमने से बचें।

भक्ति और आध्यात्मिकता का महीना
सावन का महीना चातुर्मास का हिस्सा है और भगवान शिव के प्रति भक्ति का प्रतीक है। यह महीना भक्तों को अपनी साधना और तपस्या के माध्यम से आध्यात्मिक उन्नति का अवसर देता है। सावन में की गई पूजा और व्रत से साल भर के पुण्य की प्राप्ति होती है। यह महीना न केवल भक्ति का, बल्कि जीवन में संयम और सादगी का भी संदेश देता है।
शुभ योगों में सावन की सोमवारी
इस बार सावन की सोमवारियां विशेष योगों में मनाई जाएंगी। पहली सोमवारी आयुष्मान और सौभाग्य योग में, दूसरी रोहिणी नक्षत्र और वृद्धि योग में, तीसरी पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र और पारिग्रह योग में और चौथी अनुराधा नक्षत्र और ब्रह्मा-इंद्र योग में होगी। मान्यता है कि इन योगों में भगवान शिव का पूजन और जलाभिषेक करने से मनोवांछित फल, पुण्य और सुख प्राप्त होता है। सावन सोमवार का व्रत जन्मकुंडली में चंद्रमा की स्थिति को मजबूत करता है, जिससे जीवन में स्थिरता आती है।

Sawan 2025, जो 11 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त तक चलेगा, भगवान शिव की भक्ति और आध्यात्मिकता का पवित्र महीना है। इस माह में चार सोमवार—14, 21, 28 जुलाई और 4 अगस्त—विशेष शुभ योगों में आएंगे, जो भक्तों को मनोवांछित फल, पुण्य, और सुख प्रदान करेंगे। श्रावणी मेला, विशेष रूप से देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम में, लाखों शिव भक्तों को एकत्रित करता है, जो सुल्तानगंज से 108 किलोमीटर की कांवड़ यात्रा कर जलाभिषेक करते हैं।

बृहस्पति राज पांडेय यूनिफाइड भारत के एक विचारशील पत्रकार और लेखक हैं, जो खेल, शिक्षा और सामाजिक मुद्दों पर निष्पक्ष व प्रभावशाली लेखन के लिए जाने जाते हैं। सामाजिक और राजनीतिक विषयों पर उनकी गहरी पकड़ है। वह नीति-निर्माण, युवा उत्थान और खेल जगत पर विशेष ध्यान देते हैं। युवाओं की आवाज़ को मंच देने और सामाजिक बदलाव के लिए बृहस्पति सतत समर्पित हैं।