प्रमुख बिंदु-
नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने आज 1 अक्टूबर (बुधवार) को मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में कई अहम फैसले लिए, जो अर्थव्यवस्था को नई गति देने वाले साबित हो सकते हैं। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने घोषणा की कि UPI लेनदेन मुफ्त रहेंगे, जबकि कंपनियों और निवेशकों के लिए लोन की सीमाएं बढ़ा दी गई हैं। इन कदमों से क्रेडिट फ्लो मजबूत होगा और डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा मिलेगा।
अधिग्रहण और बड़े लोन के नए द्वार
RBI ने बैंकों को भारतीय कंपनियों के अधिग्रहण के लिए फंडिंग की अनुमति दे दी है। अब घरेलू फर्में आसानी से दूसरी कंपनियों को खरीद सकेंगी, क्योंकि एक सक्षम फ्रेमवर्क तैयार किया जाएगा। यह कदम स्टेट बैंक ऑफ इंडिया जैसे बैंकों की मांग पर आधारित है और वैश्विक मानकों के अनुरूप है। साथ ही, 2016 के उस नियम को हटा दिया गया, जो 10,000 करोड़ रुपये से अधिक एक्सपोजर वाले बड़े कर्जदारों को लोन देने में बाधा डालता था। इससे बड़े कारोबारियों को राहत मिलेगी और कुल क्रेडिट उपलब्धता बढ़ेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे मर्जर एंड एक्विजिशन गतिविधियां तेज होंगी।
शेयर और आईपीओ फाइनेंसिंग में बड़ी छूट
शेयरों के बदले लोन की सीमा को पांच गुना बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जो पहले 20 लाख रुपये थी। इसी तरह, आईपीओ के लिए फाइनेंसिंग लिमिट 10 लाख से बढ़कर 25 लाख रुपये हो गई। लिस्टेड डेट सिक्योरिटीज पर लोन की कोई ऊपरी सीमा नहीं रहेगी। ये बदलाव हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (HNI) के लिए वरदान साबित होंगे, क्योंकि वे अब बड़े निवेश कर सकेंगे। एनालिस्ट्स कहते हैं कि इससे प्राइमरी मार्केट गहरा होगा और कैपिटल मार्केट में फंड फ्लो बढ़ेगा। ये नियम 1 अक्टूबर से ही लागू हो चुके हैं।
इंफ्रा प्रोजेक्ट्स और बैंकिंग नियमों में सुधार
इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को सस्ता फंडिंग देने के लिए एनबीएफसी को उच्च गुणवत्ता वाले ऑपरेशनल प्रोजेक्ट्स पर रिस्क वेट घटाने की छूट दी गई। इससे फाइनेंसिंग लागत कम होगी और बड़े इंफ्रा कामों को गति मिलेगी। इसके अलावा, नए नियम जैसे एक्सपेक्टेड क्रेडिट लॉस (ECL) फ्रेमवर्क और बेसल-3 कैपिटल मानक 2027 से लागू होंगे, ताकि बैंकों को तैयारी का समय मिले। बड़े लोन पर रोक हटने से सिस्टम में ज्यादा क्रेडिट आएगा।
UPI मुफ्त, डिजिटल भुगतान को बढ़ावा
गवर्नर मल्होत्रा ने स्पष्ट कहा कि UPI ट्रांजेक्शन पर कोई चार्ज लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। सरकार और RBI डिजिटल पेमेंट को प्रोत्साहित करना चाहते हैं, इसलिए यह सर्विस फ्री रहेगी। हालांकि, उन्होंने लागत के पहलू का जिक्र किया, लेकिन फिलहाल कोई बदलाव नहीं। इससे आम लोगों की चिंता दूर हुई और डिजिटल अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
अर्थव्यवस्था पर अपेक्षित प्रभाव
ये फैसले बैंकों को ज्यादा लोन बांटने के लिए प्रेरित करेंगे, जिससे कॉरपोरेट सेक्टर, आईपीओ और इंफ्रा में निवेश बढ़ेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, जीडीपी ग्रोथ को सपोर्ट मिलेगा, खासकर वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच। रेपो रेट 5.5% पर स्थिर रहने से लोन सस्ते रहेंगे। कुल मिलाकर, ये कदम भारत की आर्थिक रफ्तार को नई ऊंचाई देंगे, लेकिन बैंकों को सतर्क रहना होगा।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।