अस्पताल या चूहों का अड्डा? NMCH में मरीज की उंगलियां कुतरीं
प्रमुख बिंदु-
पटना, 21 मई 2025: पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (NMCH) में एक हैरान करने वाली घटना ने बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। 17 मई 2025 की रात को ऑर्थोपेडिक्स वार्ड में भर्ती एक दिव्यांग मरीज, अवधेश कुमार, ने दावा किया कि सोते समय चूहों ने उनके दाहिने पैर की चार उंगलियों को कुतर दिया। इस घटना ने न केवल अस्पताल की स्वच्छता और प्रबंधन पर सवाल उठाए, बल्कि विपक्षी दलों को राज्य सरकार की नीतियों पर हमला करने का मौका भी दिया। यह घटना NMCH में हाल के महीनों में चूहों से संबंधित दूसरी बड़ी घटना है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली उजागर होती है।

घटना का विवरण
अवधेश कुमार, जो मधुमेह से पीड़ित हैं और पहले से ही एक पैर खो चुके हैं, NMCH के ऑर्थोपेडिक्स वार्ड में भर्ती थे। उनके परिवार के अनुसार, 17 मई की रात को जब अवधेश सो रहे थे, चूहों ने उनके दाहिने पैर की चार उंगलियों को कुतर दिया। सुबह जब मरीज ने दर्द की शिकायत की, तब परिवार को इस भयावह घटना का पता चला। परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया, यह दावा करते हुए कि वार्ड में सफाई की कमी और चूहों का आतंक लंबे समय से समस्या बना हुआ है। अस्पताल प्रशासन ने मामले की जांच के लिए एक टीम गठित की है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई की खबर नहीं है।
पिछले कुछ महीनों में NMCH में चूहों से संबंधित एक और घटना सामने आई थी, जब एक मृतक की आंख को चूहों ने कुतर दिया था। उस समय भी प्रशासन ने जांच का आश्वासन दिया था, लेकिन कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई, जिससे मरीजों और उनके परिवारों में असंतोष बढ़ रहा है।

विपक्ष का सरकार पर हमला
विपक्षी दल, विशेष रूप से राष्ट्रीय जनता दल (RJD), ने इस घटना को बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का प्रतीक बताया है। RJD नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर मरीज का एक वीडियो साझा करते हुए सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने लिखा, “बिहार के सरकारी अस्पतालों में मरीजों की जान चूहों के हवाले है। यह सरकार की नाकामी का जीता-जागता सबूत है।” RJD सांसद मनोज झा ने व्यंग्यात्मक लहजे में टिप्पणी की कि “बिहार के अस्पतालों में चूहे अब डायनासोर बन गए हैं।” विपक्ष ने मांग की है कि स्वास्थ्य मंत्री तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप करें और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो।
पटना के (NMCH) नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती दिव्यांग मरीज जो रात के समय गहरी नींद में थे तो उनके पैर की उंगलियों को चूहे ने कुतर दिया। इसी अस्पताल में बीते दिनों एक मृतक की आंख को चूहे ने कुतर दिया था लेकिन किसी पर अभी तक कोई कारवाई नहीं हुई।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) May 20, 2025
अंदरखाने RSS/BJP के CM… pic.twitter.com/Bej7YkjcXq
सरकार और अस्पताल प्रशासन का रुख
अस्पताल प्रशासन ने इस घटना को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताते हुए दावा किया कि वे मामले की गहन जांच कर रहे हैं। NMCH के अधीक्षक ने एक बयान में कहा कि स्वच्छता और मरीजों की सुरक्षा उनकी प्राथमिकता है, और इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, परिजनों और विपक्ष का कहना है कि यह केवल खानापूर्ति है, क्योंकि पूर्व की घटनाओं में भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। बिहार के स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, जिससे सरकार की चुप्पी पर भी सवाल उठ रहे हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति
यह घटना बिहार के सरकारी अस्पतालों की बदहाल स्थिति को उजागर करती है। NMCH, जो बिहार के प्रमुख मेडिकल कॉलेजों में से एक है, पहले भी लापरवाही और संसाधनों की कमी के लिए आलोचना का शिकार रहा है। 2021 में, NMCH ने रेमडेसिविर इंजेक्शन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया था, जब WHO की गाइडलाइन में इसकी प्रभावशीलता पर सवाल उठे थे। इसके बावजूद, अस्पताल में बुनियादी स्वच्छता और सुरक्षा उपायों की कमी चिंता का विषय बनी हुई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि बिहार के सरकारी अस्पतालों में स्टाफ की कमी, अपर्याप्त फंडिंग, और प्रबंधन की लापरवाही जैसी समस्याएं लंबे समय से जड़ें जमाए हुए हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने फरवरी 2025 में PMCH के शताब्दी समारोह में कहा था कि बिहार में स्वास्थ्य सुविधाओं को और समावेशी बनाने की जरूरत है। हालांकि, इस तरह की घटनाएं सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाती हैं।

पटना के NMCH में चूहों द्वारा मरीज की उंगलियां कुतरने की घटना केवल एक लापरवाही का मामला नहीं, बल्कि बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था की गहरी खामियों का प्रतीक है। इस घटना ने न केवल मरीजों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ाई है, बल्कि सरकार और विपक्ष के बीच राजनीतिक तनाव को भी हवा दी है। जनता अब ठोस कार्रवाई और सुधार की मांग कर रही है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।