खाटूश्यामजी में शर्मनाक लूट: बुजुर्ग महिला की मजबूरी का उठाया फायदा
प्रमुख बिंदु-
सीकर, खाटूश्यामजी: राजस्थान (Rajasthan) के प्रमुख धार्मिक स्थल खाटूश्यामजी, जो भगवान श्रीकृष्ण के अवतार बर्बरीक के रूप में पूजे जाने वाले बाबा श्याम का पवित्र धाम है, एक शर्मनाक घटना के कारण सुर्खियों में है। दिल्ली की पत्रकार मेघा उपाध्याय ने सोशल मीडिया पर अपनी मां के साथ हुए अमानवीय व्यवहार की कहानी साझा की है, जिसने इस तीर्थस्थल की बुनियादी सुविधाओं और प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मेघा का दावा है कि मंदिर दर्शन के दौरान उनकी बीमार मां को वॉशरूम की सख्त जरूरत पड़ी, लेकिन कोई सार्वजनिक शौचालय उपलब्ध नहीं था। मजबूरी में एक होटल में मदद मांगने पर 5 मिनट के वॉशरूम उपयोग के लिए 805 रुपये वसूले गए। यह घटना अब सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी है, और लोग प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

मेघा उपाध्याय का अमानवीय अनुभव
मेघा ने बताया कि वह 28 अप्रैल 2025 को अपने माता-पिता के साथ खाटूश्यामजी मंदिर दर्शन के लिए पहुंची थीं। सुबह 6 बजे मंदिर की लंबी लाइन में लगने के बाद उनकी मां की तबीयत अचानक बिगड़ गई। पेट दर्द और उल्टी की शिकायत के बीच परिवार ने आसपास वॉशरूम की तलाश शुरू की। मेघा के अनुसार, एक किलोमीटर के दायरे में कोई साफ-सुथरा सार्वजनिक शौचालय नहीं मिला। मजबूरी में पास के एक होटल में मदद मांगी गई, जहां स्टाफ ने वॉशरूम इस्तेमाल करने के लिए 800 रुपये की मांग की।
मेघा ने इस अमानवीय व्यवहार के बावजूद बिल मांगा, तो होटल ने GST सहित 805 रुपये का बिल थमा दिया। मेघा ने अपनी पोस्ट में लिखा, “दुख इस बात का नहीं कि पैसे देने पड़े, बल्कि इस बात का है कि एक बीमार बुजुर्ग महिला की हालत देखकर भी इंसानियत नहीं दिखाई गई।”
खाटूश्याम जी में वॉशरूम इस्तेमाल करने का चार्ज 800 रुपए…?
— Avdhesh Pareek (@Zinda_Avdhesh) April 28, 2025
दिल्ली में पत्रकारिता कर रही मेघा उपाध्याय कह रही हैं – खाटूश्याम जी मंदिर दर्शन के दौरान उनकी माता जी को वॉशरूम जाने की जरूरत हुई लेकिन आसपास कोई पब्लिक टॉयलेट नहीं मिला.
मेघा का आरोप है कि काफी देर ढूंढने के बाद ये… pic.twitter.com/j1InH3Ue4x
सोशल मीडिया पर जनता का गुस्सा
मेघा द्वारा साझा किया गया वीडियो और बिल सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। हजारों यूजर्स ने इस घटना पर गुस्सा जाहिर करते हुए खाटूश्यामजी जैसे विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल पर बुनियादी सुविधाओं की कमी को शर्मनाक बताया। एक यूजर ने लिखा, “सभी जगह यही स्थिति है किसी को किसी से कोई मतलब नहीं है आज लगभग हर कोई दूसरे की मजबूरी का फायदा उठाने की फिराक मे लगा हुआ है।” दूसरों ने सवाल उठाया कि राजस्थान सरकार द्वारा मंदिर के विकास के लिए घोषित 100 करोड़ रुपये का बजट आखिर कहां खर्च हो रहा है, जब श्रद्धालुओं को आपात स्थिति में शौचालय तक नहीं मिलता।

100 करोड़ के बजट पर सवाल
राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार ने 10 जुलाई 2024 को पेश किए गए बजट में खाटूश्यामजी मंदिर के विकास और कॉरिडोर निर्माण के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। वित्त मंत्री दिया कुमारी ने घोषणा की थी कि काशी विश्वनाथ मंदिर की तर्ज पर खाटूश्यामजी को विश्वस्तरीय तीर्थस्थल बनाया जाएगा। हालांकि, मेघा की घटना ने इस दावे की पोल खोल दी। यूजर्स ने मांग की है कि सरकार इस बजट का उपयोग श्रद्धालुओं के लिए बुनियादी सुविधाएं जैसे मुफ्त और साफ-सुथरे शौचालय, पीने का पानी, और आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं सुनिश्चित करने में करे।

प्रशासन की चुप्पी और जनता की मांग
इस घटना के बाद स्थानीय प्रशासन और श्री श्याम मंदिर कमेटी की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। सोशल मीडिया पर लोग होटल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और मंदिर परिसर में पर्याप्त सार्वजनिक शौचालयों की स्थापना की मांग कर रहे हैं। कुछ यूजर्स ने सुझाव दिया कि मंदिर कमेटी को निकटवर्ती धर्मशालाओं जैसे श्री कन्हा कुंज और सूरत भवन में शौचालय सुविधाएं बढ़ानी चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि खाटूश्यामजी जैसे स्थल, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं, वहां सुविधाओं की कमी न केवल श्रद्धालुओं के लिए असुविधा का कारण है, बल्कि राजस्थान के धार्मिक पर्यटन की छवि को भी नुकसान पहुंचाती है।
यह घटना खाटूश्यामजी में व्यवस्थागत खामियों का एक चेतावनी संकेत है। मेघा उपाध्याय की आपबीती ने न केवल स्थानीय प्रशासन को कठघरे में खड़ा किया है, बल्कि यह भी सवाल उठाया है कि क्या सरकार की भव्य योजनाएं जमीनी हकीकत से कितनी जुड़ी हैं। जनता अब इस मामले में त्वरित कार्रवाई और ठोस सुधारों की उम्मीद कर रही है, ताकि भविष्य में कोई श्रद्धालु ऐसी शर्मनाक स्थिति का सामना न करे।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।