प्रमुख बिंदु-
नई दिल्ली, 29 जुलाई 2025: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज लोकसभा (Lok Sabha) में एक जोरदार भाषण दिया, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की विदेश नीति, रक्षा नीति और आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई पर सवाल उठाए। राहुल ने विशेष रूप से पहलगाम हमले को लेकर सरकार की नीतियों की आलोचना की और डोनाल्ड ट्रम्प के दावों को झूठा बताने की चुनौती दी। यह भाषण न केवल राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है, बल्कि सोशल मीडिया और समाचार चैनलों पर भी इसकी खूब चर्चा हो रही है। आइए, इस भाषण के प्रमुख बिंदुओं और इसके प्रभाव को विस्तार से समझते हैं।
पहलगाम हमला: सरकार की नीति पर सवल
राहुल गांधी ने अपने भाषण की शुरुआत जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से की, जिसे उन्होंने “पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित क्रूर हमला” करार दिया। उन्होंने कहा कि इस हमले में नौजवान और बुजुर्ग बेरहमी से मारे गए। राहुल ने दावा किया कि विपक्ष ने एकजुट होकर इस हमले की निंदा की और सरकार के साथ खड़े होने का वादा किया। हालांकि, उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के उस बयान पर सवाल उठाए, जिसमें उन्होंने कहा था कि ऑपरेशन सिंधु केवल 22 मिनट तक चला और भारत ने पाकिस्तान को सूचित किया कि उसने गैर-सैन्य ठिकानों पर हमला किया है।
राहुल ने इसे सरकार की कमजोर इच्छाशक्ति का सबूत बताया। उन्होंने कहा, “सरकार ने पाकिस्तान को साफ बता दिया कि हमारी कोई राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं है। हमने उन्हें कहा कि हम सैन्य ठिकानों पर हमला नहीं करेंगे और हम तनाव नहीं चाहते। यह ऐसा है जैसे आपने दुश्मन को बता दिया कि हम एक थप्पड़ मारेंगे, लेकिन दूसरा नहीं!”
Lok Sabha में डोनाल्ड ट्रम्प का ज़िक्र
राहुल गांधी ने अपने भाषण में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उस दावे को निशाना बनाया, जिसमें ट्रम्प ने कहा था कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध रोकने में मदद की। राहुल ने चुनौती दी, “अगर प्रधानमंत्री में इंदिरा गांधी का 50% भी साहस है, तो वे लोकसभा में खड़े होकर कहें कि डोनाल्ड ट्रम्प झूठ बोल रहे हैं।” उन्होंने ट्रम्प के दावों को “झूठ का पुलिंदा” करार दिया और कहा कि सरकार की चुप्पी इस बात का सबूत है कि वह विदेश नीति में कमजोर है।
राहुल ने यह भी आरोप लगाया कि ट्रम्प ने पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल मुनीर को लंच के लिए आमंत्रित किया, जो पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड है। उन्होंने सवाल उठाया, “जब पूरी दुनिया आतंकवाद की निंदा कर रही है, तो अमेरिका उस व्यक्ति के साथ लंच क्यों कर रहा है, जो भारत में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है?”
सेना को पूरी छूट की माँग
राहुल ने अपने भाषण में भारतीय सेना की तारीफ करते हुए कहा कि हमारे जवान “टाइगर” हैं, जो देश के लिए अपनी जान देने को तैयार रहते हैं। लेकिन उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह सेना को पूरी छूट नहीं देती। उन्होंने 1971 के युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सेना को पूर्ण स्वतंत्रता दी थी, जिसके कारण 1,00,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया और बांग्लादेश का निर्माण हुआ।
उन्होंने ऑपरेशन सिंधु की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार ने सेना को सैन्य ठिकानों पर हमला करने से रोका, जिसके कारण भारतीय वायुसेना को नुकसान उठाना पड़ा। राहुल ने कहा, “आपने हमारे पायलटों के हाथ बाँध दिए और उन्हें पाकिस्तान के हवाई रक्षा तंत्र का सामना करने भेज दिया। नतीजा, हमारे विमान गिरे।”
विदेश नीति की नाकामी पर सवाल
राहुल ने सरकार की विदेश नीति को “दिवालिया” करार दिया। उन्होंने कहा कि कोई भी पड़ोसी देश या वैश्विक शक्ति ने पहलगाम हमले के लिए पाकिस्तान की स्पष्ट निंदा नहीं की, बल्कि केवल आतंकवाद की सामान्य निंदा की। उन्होंने विदेश मंत्री के उस बयान पर भी निशाना साधा, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत एक छोटी अर्थव्यवस्था है और वह चीन जैसे बड़े देश से टकराव नहीं ले सकता। राहुल ने इसे “डरपोक मानसिकता” बताया और कहा कि सरकार ने चीन और पाकिस्तान को एकजुट होने का मौका दे दिया।
उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तानी वायुसेना को चीन से युद्धक्षेत्र की जानकारी और तकनीकी सहायता मिल रही थी, जिसके कारण भारत को नुकसान हुआ। राहुल ने कहा, “आपने सोचा कि आप पाकिस्तान से लड़ रहे हैं, लेकिन असल में आप चीन और पाकिस्तान की संयुक्त शक्ति से लड़ रहे थे।”

राहुल गांधी ने अपने भाषण के अंत में जनता से अपील की कि वे सरकार से सवाल करें। उन्होंने कहा, “हमारी सेना, हमारा देश आपकी छवि और राजनीति से ऊपर है। सेना का इस्तेमाल राष्ट्रीय हित के लिए होना चाहिए, न कि प्रधानमंत्री की छवि चमकाने के लिए।” उन्होंने पहलगाम हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि सरकार को जवाबदेही दिखानी होगी।


राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।