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वर्ल्ड डेस्क (Vladimir Putin India Visit): रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जल्द ही भारत की यात्रा पर आने वाले हैं, जैसा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने गुरुवार को घोषणा की। यह यात्रा 2025 के अंत तक होने की उम्मीद है। यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के रूस से तेल खरीदने को लेकर कठोर टैरिफ नीतियों की धमकी दी है। यह यात्रा भारत-रूस संबंधों को और मजबूत करने के साथ-साथ वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है।
पुतिन की भारत यात्रा
रूसी समाचार एजेंसी इंटरफैक्स के अनुसार, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने मॉस्को में अपनी यात्रा के दौरान पुतिन की भारत यात्रा की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि यात्रा की तारीखें लगभग तय हो चुकी हैं और यह 2025 के अंत तक हो सकती है। डोभाल ने इस यात्रा को “ऐतिहासिक” करार देते हुए कहा कि भारत-रूस संबंध “लंबे और विशेष” हैं और यह यात्रा दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करेगी।
यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पुतिन की भारत की पहली यात्रा होगी। भारत ने रूस के साथ अपनी ऐतिहासिक मित्रता को बनाए रखा है, विशेष रूप से हथियारों और ऊर्जा क्षेत्र में। रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है, जो भारत की कुल तेल आपूर्ति का लगभग 35% हिस्सा प्रदान करता है। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण समझौतों और वार्ताओं की उम्मीद है, जो ऊर्जा, रक्षा और व्यापार जैसे क्षेत्रों को प्रभावित कर सकते हैं।

ट्रंप की टैरिफ धमकियां
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत पर रूस से तेल खरीदने के लिए 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जिससे भारत पर कुल टैरिफ 50% तक पहुंच गया है। यह टैरिफ 27 अगस्त, 2025 से लागू होगा। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर भारत की आलोचना करते हुए कहा कि भारत रूसी तेल खरीदकर और उसे खुले बाजार में बेचकर “यूक्रेन में रूसी युद्ध मशीन” को बढ़ावा दे रहा है।
भारत ने इन टैरिफों को “अनुचित और अनुचित” करार दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत का रूस के साथ संबंध “स्थिर और समय-परीक्षित” है, और इसे किसी तीसरे देश के दृष्टिकोण से नहीं देखा जाना चाहिए। भारत ने यह भी तर्क दिया कि उसका तेल आयात राष्ट्रीय हितों और बाजार की गतिशीलता पर आधारित है, जो 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

भारत-रूस संबंध
भारत और रूस के बीच संबंध दशकों पुराने हैं, जो शीत युद्ध के समय से चले आ रहे हैं। रूस भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता रहा है और हाल के वर्षों में तेल आयात में भी उसकी हिस्सेदारी बढ़ी है। 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद, जब पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए, भारत ने रियायती दरों पर रूसी तेल खरीदना शुरू किया। जनवरी 2022 में भारत ने रूस से केवल 68,000 बैरल प्रतिदwolvesin तेल आयात किया था, जो जून 2023 तक बढ़कर 2.15 मिलियन बैरल प्रतिदिन हो गया।
भारत का कहना है कि रूसी तेल खरीदने से न केवल उसकी ऊर्जा लागत कम हुई, बल्कि वैश्विक तेल कीमतों को स्थिर रखने में भी मदद मिली। यदि भारत ने रूसी तेल नहीं खरीदा होता, तो वैश्विक तेल कीमतें 137 डॉलर प्रति बैरल के 2022 के शिखर को पार कर सकती थीं, जिससे वैश्विक मुद्रास्फीति बढ़ सकती थी।

भारत की कूटनीतिक चुनौती
पुतिन की यात्रा और ट्रंप की टैरिफ धमकियां भारत के लिए एक जटिल कूटनीतिक चुनौती पेश करती हैं। भारत को अपनी गैर-संरेखित विदेश नीति को बनाए रखते हुए रूस और अमेरिका के साथ संतुलन बनाना होगा। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत धीरे-धीरे रूसी तेल पर निर्भरता कम कर सकता है, लेकिन इसे पूरी तरह से बंद करना आर्थिक और राजनीतिक रूप से संभव नहीं है।
पुतिन की यात्रा के दौरान भारत और रूस के बीच ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में नए समझौते हो सकते हैं, जो ट्रंप प्रशासन के साथ तनाव को और बढ़ा सकते हैं। दूसरी ओर, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया चीन यात्रा और रूस के साथ घनिष्ठ संबंध वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को मजबूत कर सकते हैं। कुछ विश्लेषकों का यह भी मानना है कि भारत यूक्रेन और रूस के बीच मध्यस्थता कर सकता है, जिससे ट्रंप को टैरिफ कम करने का कारण मिल सकता है।

पुतिन की भारत यात्रा और ट्रंप की टैरिफ नीतियां वैश्विक कूटनीति और व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकती हैं। भारत को अपनी ऊर्जा सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हुए रूस और अमेरिका के साथ अपने संबंधों को संतुलित करना होगा। पुतिन की यात्रा न केवल भारत-रूस संबंधों को मजबूत करेगी, बल्कि यह भी दिखाएगी कि भारत वैश्विक दबावों के बीच अपनी स्वतंत्र नीतियों को कैसे बनाए रखता है।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
