संसद में लगेंगे पुरी रथ यात्रा के तीन पहिए: संस्कृति से जुड़ा दूसरा प्रतीक होगा स्थापित, 2 साल पहले सेंगोल किया गया था स्थापित

Puri Rath Yatra Wheels to Adorn Indian Parliament as Cultural Symbol

नई दिल्ली: भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को बढ़ावा देने की दिशा में एक और ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। ओडिशा के विश्व प्रसिद्ध पुरी रथ यात्रा के तीन रथों के पहिए अब संसद परिसर में स्थापित किए जाएंगे। यह निर्णय न केवल ओडिशा की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को राष्ट्रीय मंच पर सम्मान देगा, बल्कि भारत की एकता और सांस्कृतिक विविधता को भी प्रदर्शित करेगा। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने इसकी पुष्टि की है और यह प्रस्ताव लोकसभा स्पीकर ओम बिरला द्वारा स्वीकार किया गया है। यह कदम संसद में सांस्कृतिक प्रतीकों को स्थापित करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण पहल है, जो पहले 2023 में सेंगोल की स्थापना के बाद दूसरा ऐसा प्रतीक होगा।

WhatsApp Channel Join Now
Instagram Profile Join Now

पुरी रथ यात्रा

पुरी रथ यात्रा, जिसे भगवान जगन्नाथ की यात्रा के रूप में जाना जाता है, ओडिशा के पुरी में हर साल आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को आयोजित होती है। यह उत्सव भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को समर्पित है। तीन विशाल रथों, नंदीघोष (जगन्नाथ), तालध्वज (बलभद्र) और दर्पदलन (सुभद्रा) में सवार होकर ये देवता पुरी के जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक यात्रा करते हैं।

यह यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि सामाजिक समरसता का प्रतीक भी है, क्योंकि इसमें किसी भी जाति, धर्म या समुदाय का व्यक्ति रथ खींच सकता है। इस साल 27 जून 2025 को आयोजित रथ यात्रा में लाखों श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया और इसकी भव्यता ने विश्व भर में ध्यान आकर्षित किया।

Rath Yatra / पुरी रथ यात्रा

संसद में पहियों की स्थापना

श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने शनिवार, 30 अगस्त 2025 को घोषणा की कि पुरी रथ यात्रा के तीन रथों, नंदीघोष, तालध्वज और दर्पदलन के एक-एक पहिए संसद परिसर में स्थापित किए जाएंगे। यह प्रस्ताव लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को उनके हाल के पुरी दौरे के दौरान दिया गया था, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया। इन पहियों को दिल्ली भेजकर संसद में ओडिशा की समृद्ध संस्कृति और धार्मिक विरासत के स्थायी प्रतीक के रूप में स्थापित किया जाएगा। यह कदम ओडिशा की सांस्कृतिक पहचान को देश की राजधानी में प्रदर्शित करने का एक अनूठा प्रयास है, जो पूरे देश में इसकी महत्ता को रेखांकित करेगा।

सेंगोल के बाद दूसरा सांस्कृतिक प्रतीक

संसद परिसर में सांस्कृतिक प्रतीकों को स्थापित करने की यह दूसरी पहल है। इससे पहले, मई 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में सेंगोल (राजदंड) स्थापित किया था। सेंगोल, जिसे 14 अगस्त 1947 की रात अंग्रेजों ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में सौंपा था, भारतीय स्वतंत्रता और शासन की गरिमा का प्रतीक है। यह सेंगोल 1960 तक आनंद भवन और 1978 तक इलाहाबाद म्यूजियम में रखा गया था और 75 साल बाद इसे संसद में स्थापित किया गया। अब, पुरी रथ यात्रा के पहियों की स्थापना के साथ, संसद परिसर में एक और सांस्कृतिक प्रतीक जोड़ा जाएगा, जो भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता को और मजबूत करेगा।

Prime Minister Modi installs historic Sengol in New Parliament Building

रथों और पहियों का निर्माण

पुरी रथ यात्रा के रथों का निर्माण एक अनूठी परंपरा है, जिसमें पांच प्रकार की पवित्र लकड़ियों, फणशी, धौरा, साई, असन और पलास का उपयोग किया जाता है। ये रथ पूरी तरह से हस्तनिर्मित होते हैं और इनके निर्माण में किसी स्केल का उपयोग नहीं होता। इसके बजाय, एक विशेष छड़ी से माप लेकर 45 फीट ऊंचे और 200 टन से अधिक वजनी रथ तैयार किए जाते हैं। प्रत्येक रथ को 200 से अधिक कारीगर मिलकर 58 दिनों में बनाते हैं।

रथ यात्रा के बाद, इन रथों को अलग कर दिया जाता है और कुछ हिस्सों, जैसे पहियों, को गोदाम में रखा जाता है या नीलाम कर दिया जाता है। नंदीघोष रथ के मुख्य बढ़ई बिजय महापात्र के अनुसार, हर साल नए रथों के लिए नई लकड़ी का उपयोग किया जाता है, लेकिन कुछ हिस्से संरक्षित किए जाते हैं। यह अभी स्पष्ट नहीं है कि संसद में स्थापित होने वाले पहिए इस साल के रथों के होंगे या पहले से संरक्षित हिस्सों में से चुने जाएंगे।

Rath Yatra Wheels

ओडिशा की सांस्कृतिक विरासत का सम्मान

पुरी रथ यात्रा के पहियों की स्थापना न केवल एक धार्मिक प्रतीक है, बल्कि यह ओडिशा की प्राचीन सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को भी राष्ट्रीय मंच पर लाता है। ओडिशा का इतिहास समृद्ध व्यापार, समुद्री यात्राओं और सांस्कृतिक आदान-प्रदान से भरा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में भुवनेश्वर में आयोजित 18वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में ओडिशा की इस विरासत की सराहना की थी।

उन्होंने उल्लेख किया कि ओडिशा के व्यापारी सैकड़ों वर्ष पहले बाली, सुमात्रा और जावा जैसे स्थानों तक समुद्री यात्राएं करते थे और आज भी बाली यात्रा इसकी याद दिलाती है। संसद में इन पहियों की स्थापना ओडिशा की इस गौरवशाली विरासत को और अधिक सम्मान देगी, साथ ही यह भारतीय संस्कृति के वैश्विक प्रभाव को भी प्रदर्शित करेगी।

TVS Apache RTX 300 लॉन्च KTM बाइक्स अब सबसे ज्यादा सस्ती Logitech MX Master 4 लॉन्च! अनुराग कश्यप की क्राइम-ड्रामा वाली 9 फिल्में जो दिमाग हिला दे! BMW खरीदने का सुनहरा मौका Best Adventure Bike