प्रमुख बिंदु-
Varanasi Ropeway Accident Fake Post: उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी में केंद्र सरकार का महत्वाकांक्षी रोपवे प्रोजेक्ट अभी शुरू भी नहीं हुआ, लेकिन सोशल मीडिया पर इसका ‘ड्रामेटिक’ वीडियो वायरल हो गया। दावा किया गया कि 800 करोड़ की लागत से बने 4 किलोमीटर लंबे रोपवे का गोंडोला उद्घाटन के ठीक बाद टूटकर गिर गया, जिसमें एक भाजपा नेता भी घायल हो गया। यह खबर न सिर्फ भ्रामक साबित हुई, बल्कि पुलिस ने दो एक्स (पूर्व ट्विटर) यूजर्स के खिलाफ FIR दर्ज कर ली। आखिर यह वीडियो कहां का था और क्यों फैलाई गई ऐसी अफवाह? आइए जानते हैं पूरी सच्चाई।
वायरल ट्वीट का सच
एक्स पर @ashokdanoda और @Sheetal2242 नामक यूजर्स ने वीडियो शेयर कर दावा किया कि वाराणसी का रोपवे प्रोजेक्ट उद्घाटन के दिन ही फेल हो गया। अशोक डनोडा की पोस्ट में लिखा था, “बनारस में मोदी जी का 4KM का रोपवे 800 करोड़ की लागत से बना, उद्घाटन होते ही डिब्बा टूटकर नीचे गिरा और मजे की बात इसमें भाजपा का नेता भी साथ में गिर पड़ा।” इस पोस्ट को हजारों बार देखा और शेयर किया गया।

इसके बाद डॉ. शीतल यादव ने भी इसी तरह का दावा दोहराया। एक्स पर सर्च करने पर पता चला कि कई यूजर्स ने इन पोस्ट्स को रीट्वीट कर भ्रम फैलाया। लेकिन कुछ सतर्क यूजर्स ने तुरंत इसकी सच्चाई पर सवाल उठाए। वाराणसी पुलिस ने स्पष्ट किया कि यह वीडियो वाराणसी का नहीं, बल्कि पुराना और फर्जी है। इस घटना ने दिखाया कि बिना फैक्ट-चेक किए लोग कितनी जल्दी भ्रामक कंटेंट को सच मान लेते हैं।
प्रोजेक्ट की सच्चाई: अभी निर्माणाधीन
वाराणसी रोपवे प्रोजेक्ट भारत सरकार का ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ है, जो काशी विश्वनाथ मंदिर से अन्य महत्वपूर्ण स्थलों को जोड़ेगा। लगभग 800 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह 4 किलोमीटर लंबा रोपवे पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिए वरदान साबित होगा। लेकिन हकीकत यह है कि प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य अभी चल रहा है और इसका उद्घाटन या ऑपरेशन शुरू होने में महीनों लग सकते हैं। यह प्रोजेक्ट पीएम मोदी के विजन का हिस्सा है, जो ट्रैफिक जाम और भीड़भाड़ को कम करने का लक्ष्य रखता है।

पुलिस की सख्ती: दो एक्स यूजर्स पर FIR
सिगरा थाने की रोडवेज पुलिस चौकी प्रभारी उन्नी पुष्कर दुबे ने तुरंत कार्रवाई की। उनकी शिकायत पर @ashokdanoda (अशोक डनोडा) और @Sheetal2242 (डॉ. शीतल यादव) के खिलाफ FIR दर्ज हुई। तहरीर में कहा गया कि इन पोस्ट्स से न सिर्फ प्रोजेक्ट की छवि धूमिल हुई, बल्कि आम जनता में भय का माहौल बन गया। पहला पोस्ट अशोक डनोडा ने किया, जिसमें भाजपा नेता के घायल होने का भी जिक्र था।
इसके बाद डॉ. शीतल यादव ने भी इसी तरह की भ्रामक जानकारी शेयर की। पुलिस ने आईपीसी की धाराओं के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। एक्स पर सर्च से पता चला कि कई यूजर्स ने पुलिस के इस कदम की तारीफ की, जबकि कुछ ने सोशल मीडिया की जिम्मेदारी पर सवाल उठाए। वाराणसी पुलिस ने चेतावनी दी कि फेक न्यूज फैलाने वालों पर सख्ती बरती जाएगी।

इस घटना ने सोशल मीडिया के दोहरे चेहरे को उजागर कर दिया। एक तरफ यह जानकारी का स्रोत है, दूसरी तरफ अफवाहों का बाजार। वाराणसी जैसे शहर में, जहां रोपवे जैसे प्रोजेक्ट से लाखों पर्यटक लाभान्वित होंगे, ऐसी खबरें निवेशकों का भरोसा तोड़ सकती हैं। फिलहाल, पुलिस की कार्रवाई से संदेश साफ है- झूठ फैलाना महंगा पड़ेगा। वाराणसी रोपवे जल्द ही हकीकत बनेगा, लेकिन तब तक फेक न्यूज से सावधान रहें।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।