Pamban Bridge : भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट चमत्कार, 6 अप्रैल को PM मोदी करेंगे उद्घाटन

Pamban Bridge

रामेश्वरम को जोड़ने वाला अनूठा वर्टिकल लिफ्ट Pamban Bridge: 6 अप्रैल को उद्घाटन के लिए तैयार

New Delhi : भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट वाला पंबन ब्रिज (Pamban Bridge) बनकर तैयार हो गया है और यह 6 अप्रैल, 2025 को रामनवमी के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) द्वारा उद्घाटन के लिए तैयार है। यह 2.08 किलोमीटर लंबा रेलवे ब्रिज रामेश्वरम द्वीप को मुख्य भूमि से जोड़ता है। समुद्र के ऊपर बना यह पुल न केवल रेल कनेक्टिविटी को बेहतर करेगा, बल्कि अपने वर्टिकल लिफ्ट फीचर (Vertical Lift Feature) के कारण समुद्री यातायात के लिए भी अनूठा है। इसकी लिफ्ट 17 मीटर ऊपर उठ सकती है, जिससे बड़े जहाज आसानी से नीचे से गुजर सकेंगे।

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पुराने ब्रिज से कहीं बेहतर

नए पंबन ब्रिज की वर्टिकल लिफ्ट को खुलने में मात्र 5 मिनट 30 सेकंड लगते हैं, जबकि 110 साल पुराने ब्रिज की स्विंग को खुलने में 35 से 40 मिनट का समय लगता था। यह नया ब्रिज समय की बचत के साथ-साथ आधुनिक तकनीक(modern technology) का शानदार उदाहरण है। रेलवे ने 531 करोड़ रुपये की लागत से इसे तैयार किया है, जो न केवल मजबूत है, बल्कि जंग-प्रतिरोधी स्टेनलेस स्टील से बना है। यह दुनिया की दूसरी सबसे ज्यादा जंग ग्रसित जगह पर स्थित होने के बावजूद 100 साल से अधिक समय तक टिकने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

इंजीनियरिंग का कमाल,मजबूत डिज़ाइन और तकनीक

660 मीट्रिक टन वजनी लिफ्ट गर्डर वाला यह ब्रिज 80 किमी प्रति घंटे की ट्रेन स्पीड के लिए तैयार किया गया है, हालांकि ट्रेनों की स्वीकृत गति 75 किमी प्रति घंटा होगी। तेज हवाओं और समुद्री परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इसे बनाया गया है। अगर हवा की गति 58 किमी प्रति घंटे से अधिक हो, तो ट्रेनों की आवाजाही रोक दी जाएगी। यह ब्रिज न केवल तकनीकी रूप से उन्नत है, बल्कि रामेश्वरम के श्रद्धालुओं के लिए रेल सुविधाओं को भी बेहतर करेगा।

पुराना ब्रिज बंद, अब तक कैसे पहुंचते थे श्रद्धालु?

वर्ष 1914 में ब्रिटिश काल में बना पुराना पंबन ब्रिज 108 साल की सेवा के बाद 23 दिसंबर, 2022 को बंद हो गया था। इसके बाद ट्रेनें मंडपम तक ही सीमित हो गईं। श्रद्धालु मंडपम से रामेश्वरम तक 1988 में बने सड़क पुल का इस्तेमाल करते थे, लेकिन भारी ट्रैफिक और जाम के कारण 15 मिनट का सफर एक घंटे तक खिंच जाता था। नए रेलवे ब्रिज के शुरू होने से अब श्रद्धालु तेजी से रामेश्वरम पहुंच सकेंगे।

नये पुल बनने से रामेश्वरम के लिए नई उम्मीद

6 अप्रैल को उद्घाटन के बाद यह ब्रिज देश भर से रामेश्वरम आने वाले श्रद्धालुओं के लिए वरदान साबित होगा। यह नया पंबन ब्रिज न केवल इंजीनियरिंग का चमत्कार है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को जोड़ने में भी अहम भूमिका निभाएगा।

आइए जानते हैं इसके बारे में प्रमुख बिंदुओं में

  • उद्घाटन की तारीख : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 6 अप्रैल, 2025 को रामनवमी के दिन इस ब्रिज का उद्घाटन करेंगे।
  • लंबाई और स्थान : 2.08 किलोमीटर लंबा यह रेलवे ब्रिज समुद्र के ऊपर बना है और रामेश्वरम को जोड़ता है।
  • वर्टिकल लिफ्ट फीचर : ब्रिज का मध्य हिस्सा 17 मीटर ऊपर उठ सकता है, जिससे बड़े जहाज नीचे से गुजर सकेंगे।
  • समय की बचत : नई लिफ्ट को खुलने में 5 मिनट 30 सेकंड लगते हैं, जबकि पुराने ब्रिज की स्विंग को खुलने में 35-40 मिनट लगते थे।
  • लागत और निर्माण : रेलवे ने 531 करोड़ रुपये की लागत से इसे तैयार किया है, जो स्टेनलेस स्टील से बना है।
  • मजबूती : जंग-प्रतिरोधी डिज़ाइन के साथ यह ब्रिज 100 साल से अधिक टिकेगा, दुनिया की दूसरी सबसे जंग ग्रसित जगह पर बना है।
  • ट्रेन स्पीड : 80 किमी प्रति घंटे की क्षमता, स्वीकृत गति 75 किमी प्रति घंटा, तेज हवाओं में आवाजाही रोकी जाएगी।
  • पुराना ब्रिज बंद : 1914 में बना पुराना पंबन ब्रिज 23 दिसंबर, 2022 को बंद हुआ, जिसके बाद ट्रेनें मंडपम तक सीमित थीं।
  • श्रद्धालुओं की परेशानी: पुराने ब्रिज के बंद होने से श्रद्धालु मंडपम से सड़क मार्ग (1988 का पुल) से रामेश्वरम जाते थे, जहां जाम के कारण समय लगता था।
  • नया लाभ: उद्घाटन के बाद श्रद्धालु तेजी से ट्रेन से रामेश्वरम पहुंच सकेंगे, जिससे तीर्थयात्रा आसान होगी।

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