Pahalgam Terror Attack: भारत ने लिए पांच बड़े फैसले, पाकिस्तान को झटका, सिंधु जल समझौता रोका, 48 घंटे में देश छोड़ने का आदेश!

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Pahalgam Terror Attack: भारत का सख्त एक्शन: पाकिस्तान पर कूटनीतिक और आर्थिक प्रहार

नई दिल्ली, 24 अप्रैल 2025 (Pahalgam Terror Attack)जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। बायसरन घाटी में पर्यटकों को निशाना बनाकर किए गए इस कायराना हमले में 26 लोगों की जान चली गई और 17 लोग घायल हुए। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी विंग द रजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराते हुए तत्काल कड़े कदम उठाए।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 23 अप्रैल को हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की ढाई घंटे लंबी बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ 5 बड़े फैसले लिए गए, जो न केवल कूटनीतिक बल्कि आर्थिक और सामरिक स्तर पर भी पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका साबित होंगे।

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भारत के 5 बड़े फैसले

23 अप्रैल 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की बैठक हुई। इस बैठक में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इन फैसलों की जानकारी दी। आइए जानते हैं, ये पांच बड़े फैसले क्या हैं:

  1. सिंधु जल समझौता स्थगित: भारत ने 1960 के सिंधु जल समझौते को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया है। यह फैसला तब तक लागू रहेगा, जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता। सिंधु नदी और इसकी सहायक नदियाँ (झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, सतलुज) पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और कृषि की रीढ़ हैं। यह समझौता पाकिस्तान को 80% पानी उपलब्ध कराता है, जो उसकी 47 मिलियन एकड़ से अधिक कृषि भूमि की सिंचाई के लिए जरूरी है। इस समझौते के निलंबन से पाकिस्तान में जल संकट, खाद्य असुरक्षा और आर्थिक अस्थिरता की स्थिति पैदा हो सकती है।
  2. अटारी-वाघा चेक पोस्ट बंद: भारत ने अटारी-वाघा सीमा पर इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है। यह सीमा भारत और पाकिस्तान के बीच सीमित व्यापार और आवाजाही का प्रमुख केंद्र थी। 2023-24 में इस चेक पोस्ट के माध्यम से 3,886.53 करोड़ रुपये का व्यापार हुआ था। इस बंदी से पाकिस्तान का भारत के साथ आयात-निर्यात, खासकर कृषि और कपड़ा उत्पादों का व्यापार, बुरी तरह प्रभावित होगा। वैध दस्तावेजों के साथ सीमा पार करने वालों को 1 मई 2025 तक वापस जाने की अनुमति दी गई है।
  3. SAARC वीजा रद्द: पाकिस्तानी नागरिकों को SAARC वीजा छूट योजना (SVES) के तहत भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। पहले जारी किए गए सभी SVES वीजा रद्द कर दिए गए हैं। भारत में मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया गया है। यह कदम पाकिस्तान के क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) में प्रभाव को कमजोर करेगा और संदिग्ध व्यक्तियों की घुसपैठ को रोकेगा।
  4. पाकिस्तानी उच्चायोग के सैन्य सलाहकारों को निष्कासित: नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात रक्षा, सैन्य, नौसेना और वायु सलाहकारों को ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ घोषित किया गया है। उन्हें एक सप्ताह के भीतर भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। भारत भी इस्लामाबाद में अपने उच्चायोग से रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को वापस बुलाएगा। इन पदों को अब शून्य माना जाएगा।
  5. उच्चायोग कर्मचारियों की संख्या में कटौती: दोनों देशों के उच्चायोगों में कर्मचारियों की संख्या को 55 से घटाकर 30 करने का फैसला लिया गया है। यह कटौती 1 मई 2025 तक प्रभावी होगी। यह कदम दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों को और सीमित करेगा।
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सिंधु जल समझौता निलंबन का पाकिस्तान पर प्रभाव

सिंधु नदी और इसकी सहायक नदियाँ जैसे झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, और सतलज, पाकिस्तान की जल आपूर्ति का मुख्य स्रोत हैं, जो लाखों लोगों की आजीविका और खाद्य सुरक्षा को समर्थन देती हैं। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का 23% हिस्सा कृषि से आता है, और ग्रामीण आबादी का 68% हिस्सा इस पर निर्भर है। सिंधु बेसिन प्रतिवर्ष 154.3 मिलियन एकड़-फीट पानी उपलब्ध कराता है, जो बड़े पैमाने पर कृषि क्षेत्रों की सिंचाई और खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

इस समझौते के निलंबन से पाकिस्तान में जल संकट गहरा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि पानी की कमी से फसल उत्पादन में भारी गिरावट आएगी, जिससे खाद्य संकट और आर्थिक अस्थिरता बढ़ेगी। पाकिस्तान पहले से ही भूजल की कमी, कृषि भूमि के लवणीकरण, और सीमित जल भंडारण क्षमता जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। मंगला और तरबेला जैसे प्रमुख बांधों की संयुक्त भंडारण क्षमता केवल 14.4 मिलियन एकड़-फीट है, जो पाकिस्तान के वार्षिक जल हिस्से का मात्र 10% है। इस निलंबन से पाकिस्तान की शहरी जल आपूर्ति और बिजली उत्पादन भी प्रभावित होगा, जिससे उद्योग और शहरी क्षेत्रों में संकट गहरा सकता है।

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अटारी सीमा बंद होने से व्यापार पर प्रभाव

अटारी-वाघा सीमा, अमृतसर से मात्र 28 किलोमीटर दूर, भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार का एकमात्र अधिकृत स्थलीय मार्ग है। 120 एकड़ में फैला यह चेक पोस्ट राष्ट्रीय राजमार्ग-1 से जुड़ा है और अफगानिस्तान से आयात के लिए भी महत्वपूर्ण है। 2023-24 में इस चेक पोस्ट के माध्यम से 3,886.53 करोड़ रुपये का व्यापार हुआ, जिसमें 6,871 कार्गो मूवमेंट और 71,563 यात्री आवागमन शामिल थे।

भारत से सोयाबीन, चिकन फीड, सब्जियाँ, लाल मिर्च, प्लास्टिक दाना, और प्लास्टिक यार्न जैसे उत्पादों का निर्यात होता है, जबकि पाकिस्तान और अन्य देशों से सूखे मेवे, खजूर, जिप्सम, सीमेंट, कांच, नमक, और जड़ी-बूटियों का आयात होता है। इस चेक पोस्ट के बंद होने से छोटे व्यापारियों और निर्माताओं पर बड़ा असर पड़ेगा, जो इस सीमा पार व्यापार पर निर्भर हैं। हालांकि, 2018-19 के बाद से व्यापार की मात्रा में कमी देखी गई है, जो दोनों देशों के बीच तनाव का परिणाम है। इस बंदी से व्यापार पूरी तरह ठप हो सकता है, जिससे दोनों देशों के व्यापारियों को नुकसान होगा।

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सरकार का कड़ा रुख और आगे की रणनीति

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को कड़ा जवाब दिया जाएगा, और न केवल हमलावरों बल्कि उनके पीछे के मास्टरमाइंड को भी सजा दी जाएगी। गृह मंत्री अमित शाह ने श्रीनगर में पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और सुरक्षा समीक्षा बैठक की। भारतीय सेना, एनआईए, और अन्य एजेंसियाँ हाई अलर्ट पर हैं, और ड्रोन व हेलिकॉप्टर से बायसरन घाटी में आतंकियों की तलाश की जा रही है।

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हमले में शामिल स्थानीय और पाकिस्तानी आतंकियों की पहचान हो चुकी है। इंटेलिजेंस सूत्रों के अनुसार, इस हमले का मास्टरमाइंड लश्कर-ए-तैयबा का डिप्टी चीफ सैफुल्लाह खालिद है, जो पाकिस्तान में मौजूद है।

सर्वदलीय बैठक और देशव्यापी प्रतिक्रिया

ANI के अनुसार, सरकार गुरुवार 24 अप्रैल को सर्वदलीय बैठक बुला सकती है, जिसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे। इस बैठक में और सख्त कदमों पर चर्चा हो सकती है। देशभर में इस हमले के खिलाफ गुस्सा है। देश के नागरिकों द्वारा कई शहरों में आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं।

पहलगाम हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद कश्मीर घाटी का सबसे घातक आतंकी हमला माना जा रहा है। भारत के इन फैसलों से पाकिस्तान पर दबाव बढ़ेगा, और यह स्पष्ट है कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ शब्दों से नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाइयों से जवाब देगा।

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