पहलगाम हमले के बाद भारत की कार्रवाई का खौफ, हाफिज को बुलेटप्रूफ किले में छिपा रहा पाकिस्तान!
प्रमुख बिंदु-
Pahalgam Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए भीषण आतंकी हमले ने न केवल भारत को झकझोर दिया, बल्कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी खलबली मचा दी है। इस हमले में 26 बेगुनाहों की जान गई, और अब खुफिया सूत्रों के हवाले से खबर है कि पाकिस्तान को भारत के एक और सर्जिकल स्ट्राइक या गुप्त सैन्य कार्रवाई का डर सता रहा है। इस डर का सबसे बड़ा सबूत है लश्कर-ए-तैयबा के सरगना और 26/11 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद की सुरक्षा में अचानक हुई भारी बढ़ोतरी।
पहलगाम हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली थी। जांच में खुलासा हुआ है कि इस हमले की साजिश सीधे हाफिज सईद और उसके डिप्टी सैफुल्लाह ने पाकिस्तान से रची थी। सूत्रों के मुताबिक, हमले में शामिल आतंकियों में पाकिस्तानी और स्थानीय आतंकी थे, जिन्हें हाफिज सईद के निर्देश पर हथियार और ट्रेनिंग दी गई थी। इस खुलासे के बाद भारत ने साफ कर दिया है कि वह आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा और पाकिस्तान को इसकी कीमत चुकानी होगी।

पाकिस्तान का खौफ: हाफिज को बुलेटप्रूफ किला!
पाकिस्तानी सेना, आईएसआई और लश्कर-ए-तैयबा ने हाफिज सईद की सुरक्षा को अभेद्य किले जैसा कर दिया है। लाहौर के जोहर मोहल्ले में उसके ठिकाने पर स्पेशल सर्विसेज ग्रुप (SSG) के पूर्व कमांडो, रेंजर्स, और निगरानी ड्रोन तैनात किए गए हैं। उसके करीबी रिश्तेदारों और सहयोगियों को भी सैन्य सुरक्षा दी जा रही है, और उन्हें सख्त हिदायत है कि वे घर से बाहर न निकलें। यह सब इसलिए, क्योंकि पाकिस्तान को डर है कि भारत अब हाफिज सईद जैसे आतंकियों को निशाना बनाने के लिए गुप्त ऑपरेशन शुरू कर सकता है।
यह डर बेबुनियाद नहीं है। 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 की बालाकोट एयरस्ट्राइक में भारत ने साबित कर दिया था कि वह आतंक के ठिकानों को सीमा पार जाकर भी नेस्तनाबूद कर सकता है। हाल ही में पाकिस्तान में हाफिज सईद के करीबी आतंकियों, जैसे अबू कताल और हंजला अदनान, की रहस्यमयी हत्याओं ने भी इस डर को और बढ़ा दिया है। भारतीय खुफिया एजेंसियों का मानना है कि ये हत्याएं भारत के गुप्त अभियानों का हिस्सा हो सकती हैं, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

हाफिज सईद: भारत का सबसे बड़ा दुश्मन
हाफिज सईद वही आतंकी है, जिसने 2008 में मुंबई पर हुए 26/11 हमले की साजिश रची थी, जिसमें 166 लोगों की जान गई थी। संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने उसे वैश्विक आतंकी घोषित किया है, और उसके सिर पर 10 मिलियन डॉलर का इनाम है। इसके बावजूद, पाकिस्तान उसे न केवल पनाह दे रहा है, बल्कि उसकी सुरक्षा में अपनी सेना और खुफिया एजेंसी को लगा रहा है। यह कदम साफ तौर पर अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है और आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान के दोहरे रवैये को उजागर करता है।

भारत की चेतावनी: अब एक्शन का वक्त
पहलगाम हमले के बाद भारत ने कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर कड़े कदम उठाए हैं। सिंधु जल समझौता निलंबित कर दिया गया है, और वाघा-अटारी सीमा बंद कर दी गई है। गृह मंत्री अमित शाह ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर दोषियों को सजा दिलाने का वादा किया है। एनआईए ने हमले की जांच शुरू कर दी है, और तीन संदिग्ध आतंकियों—हाशिम मूसा, अली भाई, और अब्दुल हुसैन ठोकर—पर 20 लाख रुपये का इनाम रखा गया है।
भारतीय जनता का गुस्सा भी चरम पर है। सोशल मीडिया पर लोग मांग कर रहे हैं कि अब शब्दों की नहीं, कार्रवाई की जरूरत है। रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल (रिटायर्ड) पीके सहगल ने कहा, “पाकिस्तान ने यह हमला कर बड़ी गलती की है। यह साफ है कि पाकिस्तानी सेना, आईएसआई, और आतंकी संगठन मिलकर भारत के खिलाफ साजिश रच रहे हैं।”

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अंतरराष्ट्रीय दबाव: पाकिस्तान की पोल खुली
पाकिस्तान का हाफिज सईद को बचाने का यह कदम वैश्विक मंच पर उसकी पोल खोल रहा है। FATF और संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठनों को अब सख्ती से इस मामले को उठाना चाहिए। एक देश जो घोषित आतंकी को सरकारी सुरक्षा दे रहा है, वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कितना गंभीर हो सकता है? भारत ने पहले ही हाफिज सईद के प्रत्यर्पण की मांग की थी, लेकिन पाकिस्तान ने इसे हर बार ठुकराया है।
पहलगाम हमले ने एक बार फिर साबित कर दिया कि पाकिस्तान आतंकवाद का गढ़ बना हुआ है। भारत अब चुप नहीं रहेगा। गुप्त ऑपरेशन, सैन्य कार्रवाई, या कूटनीतिक दबाव—भारत हर रास्ते पर विचार कर रहा है। हाफिज सईद की सुरक्षा बढ़ाना पाकिस्तान का डर दिखाता है, लेकिन यह डर उसे बचा नहीं पाएगा। भारत की नजर अपने दुश्मनों पर है, और वक्त बताएगा कि जवाब कितना करारा होगा।

राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।