प्रमुख बिंदु-
P-75I: भारत अपनी सैन्य ताकत को और मजबूत करने के लिए दो बड़े रक्षा सौदों की ओर तेजी से बढ़ रहा है। पहला सौदा जर्मनी के साथ 70,000 करोड़ रुपये की लागत से 6 अत्याधुनिक पनडुब्बियों का है, जो ‘प्रोजेक्ट 75 इंडिया’ (Project-75I/P-75I) के तहत मझगांव डॉकयार्ड्स लिमिटेड (MDL) में बनेंगी। दूसरा सौदा इजराइल से रेम्पेज मिसाइलों की खरीद का है, जिन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में अपनी ताकत साबित की थी। ये दोनों सौदे भारत की नौसेना और वायुसेना की मारक क्षमता को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे, साथ ही ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर भारत के मिशन को भी मजबूती देंगे।
P-75I: जर्मनी के साथ पनडुब्बी सौदा
भारत सरकार ने रक्षा मंत्रालय और मझगांव डॉकयार्ड्स लिमिटेड को जर्मनी की थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स (TKMS) के साथ 6 पनडुब्बियों के निर्माण के लिए बातचीत शुरू करने की मंजूरी दे दी है। यह सौदा करीब 70,000 करोड़ रुपये का है और इसे ‘प्रोजेक्ट 75 इंडिया’ (Project-75I/P-75I) के तहत अंजाम दिया जाएगा। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य भारत में ही पनडुब्बियों के डिजाइन और निर्माण की स्वदेशी क्षमता को विकसित करना है।
रक्षा मंत्रालय ने जनवरी 2025 में ही TKMS को MDL का साझेदार चुना था। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, इस महीने के अंत तक औपचारिक बातचीत शुरू हो सकती है, और अगले 6 से 8 महीनों में अनुबंध को अंतिम रूप दिया जा सकता है। ये पनडुब्बियां HDW क्लास 214 डिजाइन पर आधारित होंगी, जिनमें 60% तक स्वदेशी तकनीक का उपयोग होगा। इनकी लंबाई 72 मीटर और वजन लगभग 2,000 टन होगा।

AIP सिस्टम की खासियत
इन पनडुब्बियों में सबसे खास बात होगी एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) सिस्टम। पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों को बार-बार सतह पर आकर बैटरी चार्ज करनी पड़ती है, जिससे वे दुश्मन के रडार और सैटेलाइट की नजर में आ सकती हैं। लेकिन AIP सिस्टम वाली पनडुब्बियां 3 हफ्ते तक पानी के अंदर रह सकती हैं, जिससे उनकी गुप्तता और रणनीतिक ताकत बढ़ती है।
AIP सिस्टम के प्रकारों में जर्मनी का फ्यूल सेल आधारित सिस्टम शामिल है, जो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को मिलाकर बिजली पैदा करता है। यह तकनीक शांत और बिना कंपन के काम करती है, जिससे पनडुब्बी को ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है। भारत की स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बियों को भी DRDO के फ्यूल सेल आधारित AIP से लैस करने की योजना है, जो इस क्षेत्र में भारत की तकनीकी प्रगति को दर्शाता है।

भारतीय नौसेना की जरूरतें
भारतीय नौसेना अगले दस साल में अपनी 16 पारंपरिक पनडुब्बियों में से 10 को हटाने की योजना बना रही है, क्योंकि ये पुरानी हो चुकी हैं। इनकी जगह नई और आधुनिक पनडुब्बियों की जरूरत होगी। इसके लिए सरकार ने परमाणु और पारंपरिक दोनों तरह की पनडुब्बी परियोजनाओं को मंजूरी दी है। प्रोजेक्ट 75 इंडिया (Project-75I/P-75I) के अलावा, सरकार 36,000 करोड़ रुपये की लागत से 3 और स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बियों के निर्माण को भी मंजूरी दे सकती है।
इसके साथ ही, भारतीय उद्योग दो परमाणु हमलावर पनडुब्बियों के निर्माण पर भी काम कर रहा है, जिसमें लार्सन एंड टुब्रो (L&T) और सबमरीन बिल्डिंग सेंटर की अहम भूमिका होगी। ये परियोजनाएं न केवल नौसेना की ताकत बढ़ाएंगी, बल्कि भारत के रक्षा उद्योग को भी वैश्विक स्तर पर मजबूत करेंगी।

इजराइल से रेम्पेज मिसाइल
भारत इजराइल से रेम्पेज एयर-टू-ग्राउंड मिसाइलों की बड़ी खेप खरीदने की तैयारी में है। ये मिसाइलें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में अपनी प्रभावशीलता साबित कर चुकी हैं, जब इनका उपयोग पाकिस्तान के मुरीदके और बहावलपुर में आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करने के लिए किया गया था। इन मिसाइलों की रेंज 150 से 250 किलोमीटर है, और ये सुपरसोनिक स्पीड (मैक 2-3) के साथ दुश्मन के कमांड सेंटर, एयरबेस, हथियार डिपो और रडार स्टेशनों जैसे उच्च-मूल्य लक्ष्यों को सटीकता से नष्ट कर सकती हैं।
रेम्पेज मिसाइल की लंबाई 4.7 मीटर और वजन 570 किलो है, जो इसे हल्का और कॉम्पैक्ट बनाता है। इसे सुखोई-30 MKI, एफ-15, एफ-16 और एफ-35 जैसे फाइटर जेट्स से लॉन्च किया जा सकता है। इसकी तेज गति और छोटा आकार इसे दुश्मन के रडार से बचने में सक्षम बनाता है। भारतीय वायुसेना अब अपने सभी बेड़ों को इन मिसाइलों से लैस करने और अन्य प्लेटफॉर्म में इन्हें एकीकृत करने की योजना बना रही है।

मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा
ये दोनों सौदे भारत की ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर भारत पहल के लिए महत्वपूर्ण हैं। पनडुब्बी सौदे में 60% स्वदेशी तकनीक का उपयोग और मझगांव डॉकयार्ड्स में निर्माण भारत के रक्षा उद्योग को मजबूत करेगा। वहीं, रेम्पेज मिसाइलों का एकीकरण भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता को बढ़ाएगा। ये कदम न केवल भारत की सैन्य ताकत को बढ़ाएंगे, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों, खासकर चीन और पाकिस्तान से निपटने में भी मदद करेंगे।
जर्मनी के साथ 70,000 करोड़ रुपये की पनडुब्बी डील और इजराइल से रेम्पेज मिसाइलों की खरीद भारत की रक्षा रणनीति में एक नया अध्याय जोड़ रही है। ये सौदे भारतीय नौसेना और वायुसेना को और अधिक शक्तिशाली बनाएंगे, साथ ही स्वदेशी रक्षा निर्माण को बढ़ावा देंगे। ‘प्रोजेक्ट 75 इंडिया’ (Project-75I/P-75I) के तहत बनने वाली AIP-सक्षम पनडुब्बियां और रेम्पेज मिसाइलों की सटीक मारक क्षमता भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक मजबूत शक्ति के रूप में स्थापित करेंगी।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
