प्रमुख बिंदु-
मुंबई: UPI पेमेंट्स में एक नया दौर शुरू होने वाला है। अब आपको चार या छह अंकों का पिन याद रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बस अपनी उंगली का निशान या चेहरे की स्कैनिंग से भुगतान हो जाएगा। नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 में इस बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन (Biometric Authentication) को लॉन्च कर दिया है। यह बदलाव डिजिटल पेमेंट्स को और आसान, सुरक्षित और सबके लिए सुलभ बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। आइए जानते हैं इसकी पूरी डिटेल।
लॉन्च का ग्रैंड ऐलान
मुंबई के ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 में मंगलवार को एक ऐसी घोषणा हुई, जिसने डिजिटल पेमेंट्स की दुनिया को हिला दिया। NPCI और RBI ने संयुक्त रूप से बायोमेट्रिक आधारित UPI ऑथेंटिकेशन की शुरुआत की। इस मौके पर वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम. नागराजू ने इसे ‘डिजिटल इंडिया की यात्रा में मील का पत्थर’ बताया। उन्होंने कहा कि यह सुविधा ट्रांजेक्शन को सरल बनाते हुए सुरक्षा के उच्चतम मानकों को बनाए रखेगी।

यह फीचर 8 अक्टूबर से प्रभावी हो जाएगा। यूजर्स को यह विकल्प चुनना होगा कि वे पारंपरिक पिन का इस्तेमाल जारी रखें या बायोमेट्रिक मोड पर स्विच करें। RBI डिप्टी गवर्नर टी. रवि शंकर ने भी इसकी जानकारी दी। उनका कहना था कि यह बदलाव UPI को और ज्यादा इनोवेटिव बनाएगा, खासकर उन लोगों के लिए जो पिन याद रखने में परेशान होते हैं।

कैसे काम करेगी यह नई तकनीक?
बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन पूरी तरह से यूजर के डिवाइस पर होगा। मतलब, आपका संवेदनशील डेटा कभी भी फोन से बाहर नहीं जाएगा। जब आप UPI ट्रांजेक्शन शुरू करेंगे, तो ऐप आपको फिंगरप्रिंट स्कैनर या फेस रिकग्निशन का ऑप्शन देगा। यह सब आधार कार्ड से लिंक्ड बायोमेट्रिक डेटा पर आधारित होगा, जिसमें पहले से ही फिंगरप्रिंट, आईरिस और फेसियल डेटा स्टोर है।
NPCI के अनुसार, हर ट्रांजेक्शन को जारी करने वाले बैंक क्रिप्टोग्राफिक चेक से वेरिफाई करेगा। इससे हैकिंग का खतरा कम हो जाएगा। इसके अलावा, यूजर्स अब UPI पिन सेट या रीसेट करने के लिए भी बायोमेट्रिक यूज कर सकेंगे। यहां तक कि एटीएम से कैश विथड्रॉल भी उंगली या चेहरे से संभव होगा। स्मार्टफोन्स पर पहले से मौजूद बायोमेट्रिक टूल्स ही इसका इस्तेमाल करेंगे, इसलिए कोई अतिरिक्त हार्डवेयर की जरूरत नहीं।

वियरेबल्स और मल्टी-साइनेटरी अकाउंट्स
इस लॉन्च के साथ NPCI ने दो और रोमांचक सुविधाएं पेश की हैं। पहली है UPI लाइट फॉर वियरेबल स्मार्ट ग्लासेस। अब छोटे मूल्य के ट्रांजेक्शन के लिए फोन की जरूरत नहीं। यूजर बस स्मार्ट ग्लासेस को वॉयस कमांड देगा, क्यूआर कोड स्कैन करेगा और पेमेंट हो जाएगा। यह पूरी तरह हैंड्स-फ्री होगा – न पिन, न टच!
दूसरी सुविधा है मल्टी-साइनेटरी अकाउंट्स। जॉइंट अकाउंट होल्डर्स, जैसे फैमिली या बिजनेस अकाउंट्स, अब पेमेंट्स के लिए एक या ज्यादा साइनेटरीज की मंजूरी ले सकेंगे। इससे शेयर्ड अकाउंट्स का मैनेजमेंट आसान और ट्रांसपेरेंट हो जाएगा। RBI की हालिया गाइडलाइंस ने इन वैकल्पिक ऑथेंटिकेशन मेथड्स को मंजूरी दी है, जो UPI को पारंपरिक पिन से आगे ले जाएंगी।

बुजुर्गों और ग्रामीण यूजर्स को ऐसे देगा फयदा
यह अपग्रेड खासतौर पर उन लोगों के लिए गेम-चेंजर साबित होगा, जो डिजिटल पेमेंट्स से परहेज करते हैं। सीनियर सिटिजन्स, ग्रामीण इलाकों के यूजर्स और पहली बार डिजिटल पेमेंट करने वालों को पिन की जटिलता से मुक्ति मिलेगी। NPCI NPCI का कहना है कि आधार-लिंक्ड फेस ऑथेंटिकेशन से ऑनबोर्डिंग महज सेकंड्स में हो जाएगी। पहले डेबिट कार्ड डिटेल्स या आधार ओटीपी की जरूरत पड़ती थी, लेकिन अब बिना कार्ड के भी UPI एक्टिवेट हो सकेगा।
यह सुविधा डिजिटल इंडिया को और समावेशी बनाएगी। अरबों मासिक ट्रांजेक्शन वाले UPI नेटवर्क पर यह फीचर कैशलेस इकोनॉमी को मजबूत करेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे फाइनेंशियल इनक्लूजन बढ़ेगी और छोटे व्यापारियों के लिए पेमेंट्स तेज होंगे।

सुरक्षा पर NPCI ने दिया जोर
सुरक्षा पर NPCI ने जोर दिया है। ‘प्रत्येक ट्रांजेक्शन स्वतंत्र रूप से वेरिफाई होगा, जिससे स्मूथ एक्सपीरियंस के साथ हाई-लेवल सेफ्टी सुनिश्चित होगी।’ प्राइवेसी का ध्यान रखते हुए डेटा ऑन-डिवाइस ही रहेगा। हालांकि, यूजर्स को सलाह दी जा रही है कि वे केवल ट्रस्टेड डिवाइस पर ही इसे इनेबल करें।
भविष्य में यह तकनीक UPI को ग्लोबल लेवल पर ले जा सकती है। NPCI स्टार्टअप्स के साथ मिलकर और इनोवेशन पर काम कर रहा है। जल्द ही वॉयस और आईरिस बेस्ड ऑथेंटिकेशन भी आ सकता है। कुल मिलाकर, यह बदलाव भारत को डिजिटल पेमेंट्स में सुपरपावर बनाने की दिशा में एक और कदम है। क्या आप तैयार हैं इस नई सुविधा के लिए? कल से ट्राई करके देखिए!
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
