Neeraj Chopra Classic 2025 Controversy- ऐसा क्या किया ओलिंपिक पदक विजेता ने कि लोग कर रहे हैं आलोचना!

Neeraj Chopra Classic 2025

Neeraj Chopra Classic के न्योते पर बवाल: अरशद नदीम को बुलाने पर उठे सवाल, पहलगाम आतंकी हमले के साये में खेल और देशभक्ति की जंग

जब खेल बन गया राजनीति का अखाड़ा

भारत के स्टार जैवलिन थ्रोअर और ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा इन दिनों एक अजीबो-ग़रीब विवाद के केंद्र में हैं। उन्होंने पाकिस्तान के जैवलिन थ्रोअर अरशद नदीम को Neeraj Chopra Classic 2025 के लिए आमंत्रित किया था, जो 24 मई को बेंगलुरु में आयोजित हो रहा है। इस आमंत्रण के बाद सोशल मीडिया पर देशभक्ति की आड़ में गुस्से और नफरत की बाढ़ आ गई। खासकर पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले के बाद, जिसमें कई भारतीय जवान शहीद हुए, इस मुद्दे ने और ज़्यादा तूल पकड़ लिया।

Neeraj Chopra Classic का आमंत्रण और उसका मकसद

नीरज चोपड़ा ने Neeraj Chopra Classic 2025 के लिए दुनिया के नामी जैवलिन थ्रोअर को न्योता भेजा था, जिनमें पाकिस्तान के अरशद नदीम भी शामिल थे। दोनों खिलाड़ियों के बीच प्रतिस्पर्धा तो है, लेकिन मैदान के बाहर एक आपसी सम्मान भी रहा है। नीरज का यह कदम खेल की सीमाओं को लांघकर भाईचारे का प्रतीक माना गया। उनका मकसद था कि भारत में भी एक ऐसा टूर्नामेंट हो जहां विश्वस्तरीय खिलाड़ी हिस्सा लें और भारतीय खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय अनुभव मिल सके।

सोशल मीडिया पर गुस्सा: देशभक्ति या अंध-राष्ट्रवाद?

हालांकि, यह न्योता भारत के कुछ वर्गों को रास नहीं आया। खासकर पहलगाम आतंकी हमले के बाद, सोशल मीडिया पर लोगों ने नीरज चोपड़ा को देशविरोधी तक कह दिया। ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर नीरज के खिलाफ तीखी टिप्पणियाँ की गईं। कुछ ने पूछा कि क्या वह भारत से ज़्यादा खेल को प्राथमिकता दे रहे हैं? क्या यह समय पाकिस्तान के खिलाड़ियों को बुलाने का है?

नीरज चोपड़ा की प्रतिक्रिया: “मेरा देश सर्वोपरि है”

Neeraj Chopra Classic के इस पूरे विवाद पर चुप्पी तोड़ते हुए नीरज ने स्पष्ट कहा कि उनकी देशभक्ति पर सवाल उठाना उन्हें बेहद दुखदाई लगा। उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा:

“मैंने हमेशा अपने देश का गौरव बढ़ाने की कोशिश की है। अरशद नदीम को बुलाना खेल की भावना से प्रेरित था, न कि किसी राजनीतिक एजेंडे से।”

उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग उन्हें गालियाँ दे रहे हैं, वे शायद भूल रहे हैं कि वह वही खिलाड़ी हैं जिसने भारत के लिए ऐतिहासिक गोल्ड मेडल जीता।

अरशद नदीम का फैसला: “इस समय भारत नहीं आऊंगा”

विवाद को बढ़ता देख और पहलगाम हमले की संवेदनशीलता को समझते हुए अरशद नदीम ने Neeraj Chopra Classic से अपना नाम वापस ले लिया। पाकिस्तान की ओर से आधिकारिक तौर पर कोई बयान नहीं आया, लेकिन सूत्रों के अनुसार, यह फैसला सुरक्षा कारणों और राजनीतिक स्थिति को देखते हुए लिया गया है।

इस फैसले पर Dawn अख़बार ने लिखा कि अरशद ने खेल की भावना को समझते हुए और विवाद को और न बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया है।

खेल और राजनीति: कब तक टकराएंगे?

नीरज और अरशद के बीच मैत्री को पहले भी दोनों देशों ने सराहा था। 2021 ओलंपिक के बाद जब नीरज ने अरशद की तारीफ की थी, तब इसे एक ‘स्पोर्ट्समैनशिप’ का आदर्श उदाहरण माना गया था। लेकिन आज की तारीख में वही भावना सवालों के घेरे में है।

भारत-पाकिस्तान के बीच दशकों से चली आ रही राजनीतिक और सैन्य तनातनी अक्सर खेलों पर असर डालती है। क्रिकेट से लेकर एशियन गेम्स तक, खिलाड़ियों को राजनीतिक हालात का खामियाजा भुगतना पड़ा है। नीरज-अरशद प्रकरण भी इसी दिशा की एक नई मिसाल बन गया है।

Neeraj Chopra Classic 2025: प्रतियोगिता की तैयारी पूरी

इस विवाद से इतर, Neeraj Chopra Classic 2025 की तैयारियाँ ज़ोरों पर हैं। इस बार यह प्रतियोगिता 24 मई को बेंगलुरु में आयोजित हो रही है और इसमें कई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी भाग लेंगे। शामिल होने वाले बड़े नामों में एंडरसन पीटर्स (ग्रेनेडा), मैक्स डीन (यूएसए) और जैकब वेडलेक (जर्मनी) शामिल हैं।

नीरज का कहना है कि वह Neeraj Chopra Classic टूर्नामेंट को भारत के लिए एक स्थायी खेल आयोजन बनाना चाहते हैं, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बने।

जनता की दो टूक राय: भावनाएं बंटी हुईं

जहाँ एक वर्ग नीरज के फैसले को ‘खेल को खेल की तरह’ देखने वाला मानता है, वहीं दूसरा वर्ग इसे शहीदों का अपमान बताता है। सोशल मीडिया पर बहस इस बात पर भी हो रही है कि क्या हमें हर बार पाकिस्तान से जुड़े मुद्दों को भावनात्मक बनाकर देखना चाहिए? या फिर हमें खेल को राजनीति से दूर रखना चाहिए?

निष्कर्ष: क्या खेल से शांति की उम्मीद बची है?

नीरज चोपड़ा और अरशद नदीम के बीच रिश्ते यह दिखाते हैं कि खिलाड़ी सीमाओं और नफरतों से परे होते हैं। लेकिन आम जनता और सोशल मीडिया की दुनिया हर चीज़ को राष्ट्रवाद की कसौटी पर तौलने लगी है। नीरज ने अपनी बात कह दी है – “मैंने देश के लिए जीता है, और जीता रहूँगा।”

अब यह सोचने का वक्त है कि क्या हम खेल को खेल रहने देंगे, या हर बार उसे युद्ध का मैदान बना देंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

3 Star या 5 Star? जानिए कौन सा AC है आपके बजट और जरूरतों के लिए बेस्ट WhatsApp का नया अपडेट, कॉलिंग होगी अब और शानदार!