भारत विभाजन पर NCERT का नया मॉड्यूल हुआ जारी, जिन्ना, कांग्रेस और माउंटबेटन को ठहराया विभाजन का दोषी

NCERT Modules

एजुकेशन डेस्क: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने हाल ही में भारत के बंटवारे की दुखद घटना को याद करने के लिए ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के अवसर पर दो नए विशेष मॉड्यूल जारी किए हैं। ये NCERT मॉड्यूल कक्षा 6 से 8 और 9 से 12 के छात्रों के लिए तैयार किए गए हैं और नियमित पाठ्यपुस्तकों का हिस्सा नहीं हैं। इनमें मोहम्मद अली जिन्ना, कांग्रेस पार्टी और तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन को 1947 के भारत विभाजन के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। मॉड्यूल में कश्मीर समस्या और आतंकवाद के उदय को भी विभाजन की देन बताया गया है।

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NCERT मॉड्यूल में क्या है खास?

NCERT के इन विशेष मॉड्यूल्स को सप्लीमेंट्री शिक्षण सामग्री के रूप में डिज़ाइन किया गया है, जो पोस्टर, चर्चा और वाद-विवाद के माध्यम से छात्रों को बंटवारे की भयावहता समझाने के लिए है। मॉड्यूल में एक विशेष खंड ‘विभाजन के दोषी’ शामिल है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि भारत का बंटवारा किसी एक व्यक्ति का काम नहीं था, बल्कि तीन तत्वों की भूमिका थी: जिन्ना, जिन्होंने इसकी मांग की; कांग्रेस, जिसने इसे स्वीकार किया; और माउंटबेटन, जिन्होंने इसे लागू किया।

NCERT मॉड्यूल में यह भी उल्लेख किया गया है कि माउंटबेटन ने सत्ता हस्तांतरण की तारीख को जून 1948 से पहले बढ़ाकर अगस्त 1947 कर दिया, जिसे “महान लापरवाही” का कार्य बताया गया है। इस जल्दबाजी के कारण सीमा निर्धारण के लिए सर सिरिल रैडक्लिफ को केवल पांच सप्ताह का समय दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप पंजाब में लाखों लोग 15 अगस्त 1947 के दो दिन बाद भी नहीं जानते थे कि वे भारत में हैं या पाकिस्तान में।

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जिन्ना, नेहरू और गांधी की भूमिका

मॉड्यूल में जिन्ना को बंटवारे की मांग का मुख्य सूत्रधार बताया गया है। 1940 में मुस्लिम लीग के लाहौर सम्मेलन में जिन्ना ने कहा था कि हिंदू और मुस्लिम दो अलग-अलग धार्मिक दर्शन, सामाजिक रीति-रिवाज और साहित्य के अधीन हैं। हालांकि, मॉड्यूल में यह भी उद्धृत किया गया है कि जिन्ना ने बाद में स्वीकार किया था कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि बंटवारा होगा या वे अपने जीवनकाल में पाकिस्तान देख पाएंगे।

कांग्रेस नेतृत्व, विशेष रूप से जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल, पर जिन्ना के इरादों को कम आंकने और बंटवारे के दीर्घकालिक परिणामों को न समझ पाने का आरोप लगाया गया है। मॉड्यूल में नेहरू के 1947 के एक भाषण का उल्लेख है, जिसमें उन्होंने कहा था, “हम एक ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं जहां या तो हमें विभाजन स्वीकार करना होगा या निरंतर संघर्ष और अराजकता का सामना करना होगा।” पटेल ने इसे “कड़वी दवा” बताया, जबकि महात्मा गांधी, जो बंटवारे के खिलाफ थे, ने कहा कि वे इसे हिंसा के साथ नहीं रोकेंगे।

NCERT

कश्मीर और आतंकवाद का जिक्र

मॉड्यूल में 1947 के बंटवारे को न केवल एक ऐतिहासिक त्रासदी बताया गया है, बल्कि इसके दीर्घकालिक प्रभावों, जैसे कश्मीर समस्या और आतंकवाद, को भी रेखांकित किया गया है। इसमें कहा गया है कि बंटवारे ने पंजाब और बंगाल की अर्थव्यवस्थाओं को तबाह किया, सांप्रदायिक अविश्वास को गहरा किया और जम्मू-कश्मीर को सामाजिक, आर्थिक और जनसांख्यिकीय पतन के रास्ते पर ला खड़ा किया। मॉड्यूल के अनुसार, पाकिस्तान ने कश्मीर को हथियाने के लिए तीन युद्ध लड़े और बाद में सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा दिया, जो बंटवारे की देन है। कुछ देशों द्वारा पाकिस्तान को सहायता देने और कश्मीर मुद्दे के नाम पर भारत पर दबाव डालने का भी उल्लेख किया गया है।

राजनीतिक विवाद और प्रतिक्रियाएं

इन मॉड्यूल्स ने राजनीतिक हलकों में तीखी बहस छेड़ दी है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिंदू महासभा और RSS पर मुस्लिम लीग के साथ सहयोग करने का आरोप लगाया और कहा कि अगर किताब में इनका जिक्र नहीं है तो इसे “जला देना चाहिए।” दूसरी ओर, BJP प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि कांग्रेस तथ्यों से भाग रही है और बंटवारे में लाखों लोगों की मौत और करोड़ों के विस्थापन की सच्चाई को नकार नहीं सकती।

Pawan Kheda Congress

कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने NCERT को इस मुद्दे पर बहस के लिए चुनौती दी है, जबकि कुछ विपक्षी नेताओं ने इसे इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का प्रयास बताया है। यह विवाद NCERT के हालिया पाठ्यक्रम संशोधनों, जैसे मुगल शासकों को क्रूर बताने और अहोम इतिहास में बदलाव, के बाद और गहरा गया है।

PM मोदी के शब्द और मॉड्यूल का उद्देश्य

दोनों मॉड्यूल्स की प्रस्तावना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2021 के संदेश को शामिल किया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था, “बंटवारे का दर्द कभी भुलाया नहीं जा सकता। लाखों लोग विस्थापित हुए और नफरती हिंसा में कई जानें गईं।” मॉड्यूल का उद्देश्य छात्रों को बंटवारे की भयावहता से अवगत कराना और भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचने के लिए सबक देना है। इसमें कहा गया है कि हिंसा करने वाले समूहों को रियायत देना उनकी हिंसा की भूख को और बढ़ाता है, और नेताओं को राष्ट्रीय हित को व्यक्तिगत या पार्टी हितों से ऊपर रखना चाहिए।

PM Modi

मॉड्यूल का शैक्षिक महत्व

ये मॉड्यूल नियमित सिलेबस का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि सप्लीमेंट्री सामग्री के रूप में उपयोग होंगे। NCERT का कहना है कि इतिहास की जड़ों को समझना जरूरी है ताकि भविष्य में ऐसी गलतियां न दोहराई जाएं। मॉड्यूल में बंटवारे को “विश्व इतिहास में बिना समानांतर की त्रासदी” बताया गया है, जिसमें लगभग 1.5 करोड़ लोगों का विस्थापन, सामूहिक हत्याएं और यौन हिंसा की भयावह घटनाएं शामिल थीं।

NCERT के नए मॉड्यूल्स ने भारत के बंटवारे की कहानी को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है, जिसमें जिन्ना, कांग्रेस और माउंटबेटन को मुख्य दोषी ठहराया गया है। कश्मीर और आतंकवाद जैसे मुद्दों को जोड़कर यह मॉड्यूल बंटवारे के दीर्घकालिक प्रभावों पर भी प्रकाश डालता है। हालांकि, इसने इतिहास की व्याख्या को लेकर तीखी बहस को जन्म दिया है, जो भारत में शिक्षा और इतिहास लेखन के राजनीतिकरण को दर्शाता है। क्या यह मॉड्यूल छात्रों को इतिहास से सबक लेने में मदद करेगा या केवल विवाद को बढ़ाएगा, यह समय बताएगा।

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