प्रमुख बिंदु-
नई दिल्ली: संसद का मॉनसून सत्र (Monsoon Session) 21 जुलाई 2025 को शुरू हुआ, जो 21 अगस्त तक चलेगा। सत्र के पहले दिन ही विपक्षी दलों ने जोरदार हंगामा किया, जिसके केंद्र में ऑपरेशन सिंदूर, पहलगाम आतंकी हमला, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता संबंधी दावे और बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) जैसे मुद्दे रहे। विपक्ष ने इन मुद्दों पर तुरंत चर्चा की मांग की, जिसके चलते लोकसभा की कार्यवाही बार-बार स्थगित करनी पड़ी। पहले दिन सुबह 11 बजे शुरू हुई कार्यवाही 20 मिनट बाद ही दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी गई। दोपहर 2 बजे कार्यवाही फिर शुरू हुई, लेकिन हंगामा न थमने पर इसे 4 बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सत्र की शुरुआत में पहलगाम आतंकी हमले (22 अप्रैल 2025) में मारे गए 26 लोगों और अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे के पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी। प्राकृतिक आपदाओं में जान गंवाने वालों के लिए भी सदन में मौन रखा गया। विपक्षी सांसदों ने तख्तियां उठाकर और नारेबाजी कर ऑपरेशन सिंदूर पर तत्काल चर्चा की मांग की, जिसे सरकार ने शुरू में टालने की कोशिश की, लेकिन बाद में सहमति जताई।

ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा का समय
विपक्ष के दबाव के बाद सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में विस्तृत चर्चा की सहमति दी। अगले सप्ताह दोनों सदनों में इस मुद्दे पर कुल 25 घंटे की बहस होगी, जिसमें लोकसभा में 16 घंटे और राज्यसभा में 9 घंटे की चर्चा निर्धारित की गई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा, “हम रक्षा से संबंधित किसी भी मुद्दे पर लंबी और खुली चर्चा के लिए तैयार हैं। लोकसभा अध्यक्ष के निर्णय के तहत हम हर विषय पर जवाब देंगे।” सूत्रों के मुताबिक, राजनाथ सिंह ने सत्र से पहले अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों और शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ दो अहम बैठकें की थीं, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में बयान देने की रणनीति बनाई गई।

ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विपक्ष ने कई सवाल उठाए हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने राज्यसभा में कहा कि इस ऑपरेशन के परिणामों और सरकार की रणनीति पर पारदर्शिता की कमी है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पहलगाम हमले के आतंकी अभी तक पकड़े नहीं गए और सरकार इस पर चुप्पी साधे हुए है। साथ ही, विपक्ष ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावों पर भी सवाल उठाए, जिनमें ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम में मध्यस्थता की थी।
विपक्ष की रणनीति और अन्य मुद्दे
विपक्षी गठबंधन, इंडिया अलायंस, ने सत्र से पहले एक वर्चुअल बैठक में अपनी रणनीति तय की थी। इस बैठक में राहुल गांधी ने विपक्षी एकता पर जोर देते हुए कहा कि सरकार को ऑपरेशन सिंदूर, पहलगाम हमले और ट्रंप के दावों पर जवाब देना होगा। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा, “पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति की विफलता का प्रतीक है। प्रधानमंत्री को संसद में जवाब देना चाहिए।”
विपक्ष ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को भी प्रमुख मुद्दा बनाया है। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने इसे “चुनावी घोटाला” करार देते हुए कहा कि यह प्रक्रिया लोकतंत्र के लिए खतरा है। इसके अलावा, अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे, जिसमें 260 लोगों की मौत हुई, को लेकर भी विपक्ष सरकार से जवाब मांग रहा है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद अल्ताफ अहमद लारवी ने पहलगाम हमले को खुफिया तंत्र की नाकामी बताया और इस पर विस्तृत चर्चा की मांग की।
सरकार का रुख और विधेयक
सरकार ने सत्र के दौरान 17 विधेयकों को पेश करने की योजना बनाई है, जिनमें आयकर विधेयक 2025, मणिपुर जीएसटी संशोधन विधेयक और राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग संशोधन विधेयक शामिल हैं। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, “हम सभी मुद्दों पर खुलकर चर्चा के लिए तैयार हैं, लेकिन सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए विपक्ष का सहयोग जरूरी है।” सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि विदेश नीति और ट्रंप के दावों पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर संसद में जवाब दे सकते हैं।
इसके अलावा, जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ प्रस्ताव पर भी सहमति बन सकती है, क्योंकि उनके आवास से भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी। रिजिजू ने बताया कि इस प्रस्ताव के लिए 100 से अधिक सांसदों के हस्ताक्षर हो चुके हैं।

मॉनसून सत्र में ऑपरेशन सिंदूर और अन्य मुद्दों पर चर्चा के साथ-साथ सरकार और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक की संभावना है। विपक्ष ने स्पष्ट कर दिया है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इन मुद्दों पर जवाब चाहता है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, पीएम मोदी की जगह रक्षा मंत्री और अन्य वरिष्ठ मंत्री जवाब दे सकते हैं। यह सत्र 21 अगस्त तक चलेगा, जिसमें कुल 21 बैठकें होंगी। स्वतंत्रता दिवस के कारण 13 और 14 अगस्त को कार्यवाही नहीं होगी।
विपक्ष की एकजुटता और सरकार की जवाबदेही इस सत्र के मुख्य आकर्षण होंगे। पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर जैसे संवेदनशील मुद्दों पर संसद में होने वाली बहस देश की सुरक्षा और विदेश नीति के भविष्य को लेकर महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।