प्रमुख बिंदु-
ग्लोबल डेस्क: मालदीव (Maldives) के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू, जिन्होंने 2023 में “इंडिया आउट” अभियान के साथ सत्ता हासिल की थी, अब भारत की तारीफों के पुल बांध रहे हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मालदीव यात्रा के दौरान मुइज्जू ने भारत को मालदीव का सबसे करीबी और भरोसेमंद साझेदार बताया। उन्होंने हिंद महासागर में दोनों देशों के रिश्तों को ऐतिहासिक और अटूट करार देते हुए भारत की मदद को सराहा। यह बदलाव आश्चर्यजनक है, क्योंकि मुइज्जू ने पहले भारत विरोधी रुख अपनाया था।
मालदीव-भारत संबंधों का नया दौर
मालदीव और भारत के बीच 60 साल पुराने कूटनीतिक रिश्ते हमेशा से खास रहे हैं। 26 जुलाई 2025 को मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस दौरान माले में उनका भव्य स्वागत हुआ, जिसमें 21 तोपों की सलामी दी गई। मुइज्जू ने अपने संबोधन में कहा कि भारत ने हमेशा मालदीव की मदद की है, चाहे वह 1988 का तख्तापलट हो या 2004 की सुनामी। भारत ने मालदीव को सुरक्षा, व्यापार, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग दिया है।
राष्ट्रपति मुइज्जू ने भारत के साथ संबंधों को औपचारिक कूटनीति से परे बताते हुए इसे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक बंधन का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, “भारत मालदीव का सबसे पुराना दोस्त है और हमारी साझेदारी हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।” मालदीव के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी और आर्थिक संकट के बीच भारत ने 400 मिलियन डॉलर के मुद्रा स्वैप समझौते और 50 मिलियन डॉलर के ऋण के साथ मालदीव की मदद की है।

आर्थिक और समुद्री सुरक्षा साझेदारी
मुइज्जू और मोदी के बीच हुई वार्ता में व्यापार, रक्षा और समुद्री सुरक्षा पर विशेष जोर रहा। दोनों देशों ने मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत शुरू करने का फैसला किया, जो मालदीव की अर्थव्यवस्था के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। मालदीव का पर्यटन क्षेत्र, जो उसकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, भारतीय पर्यटकों पर बहुत निर्भर है। मुइज्जू ने भारतीय पर्यटकों से मालदीव आने की अपील की, क्योंकि पिछले साल भारत विरोधी बयानों के बाद पर्यटकों की संख्या में कमी आई थी।
भारत ने मालदीव की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए तटरक्षक जहाज हुरावी का मुफ्त पुनर्निर्माण किया और हेलीकॉप्टर जैसे उपकरण प्रदान किए। हिंद महासागर में मालदीव का रणनीतिक महत्व भारत के लिए अहम है, क्योंकि भारत का 50% बाहरी व्यापार और 80% ऊर्जा आयात इसी क्षेत्र से होकर गुजरता है। मुइज्जू ने यह भी भरोसा दिलाया कि मालदीव की अन्य देशों (खासकर चीन) के साथ साझेदारी भारत की सुरक्षा को नुकसान नहीं पहुंचाएगी।

मुइज्जू के बदले तेवरों का कारण
मुइज्जू का भारत के प्रति नरम रुख आर्थिक मजबूरियों और कूटनीतिक समझ का नतीजा है। 2023 में सत्ता में आने के बाद मुइज्जू ने भारतीय सैनिकों को मालदीव से हटाने का आदेश दिया था, जो नागरिक सेवाओं में मदद कर रहे थे। उनके मंत्रियों के पीएम मोदी के खिलाफ अपमानजनक बयानों ने दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ाया। इससे मालदीव के पर्यटन क्षेत्र को भारी नुकसान हुआ, क्योंकि भारतीय पर्यटकों की संख्या में कमी आई। मालदीव का विदेशी मुद्रा भंडार 440 मिलियन डॉलर तक सिमट गया, जिससे केवल 45 दिनों का आयात संभव था।
चीन से अपेक्षित मदद न मिलने पर मुइज्जू को भारत की अहमियत समझ आई। भारत ने न केवल आर्थिक सहायता दी, बल्कि मालदीव के बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए 7 अरब MVR की मदद की बातचीत शुरू की। मुइज्जू ने माना कि भारत के बिना मालदीव का विकास और सुरक्षा अधूरी है।

भविष्य की राह और भारत की कूटनीति
मोदी की मालदीव यात्रा और मुइज्जू की बदली सोच दोनों देशों के रिश्तों में नई गर्मजोशी ला रही है। भारत की “पड़ोस प्रथम नीति” और “SAGAR” (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) दृष्टिकोण के तहत मालदीव को विशेष महत्व दिया गया है। मुइज्जू ने भी माना कि भारत के साथ मजबूत रिश्ते क्षेत्रीय स्थिरता के लिए जरूरी हैं। दोनों देशों ने मालदीव में नए रनवे और रक्षा मंत्रालय की इमारत जैसे प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन किया, जो भारत के सहयोग का प्रतीक हैं।

मुइज्जू का भारत को “विश्व लीडर” बताना और मोदी की तारीफ करना यह दर्शाता है कि भारत की कूटनीति ने मालदीव को फिर से करीब लाने में सफलता पाई है। यह साझेदारी न केवल आर्थिक और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने में भी मददगार साबित होगी।


राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।