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प्रमुख बिंदु-
महाराष्ट्र की महायुति सरकार द्वारा शुरू की गई मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहीण योजना में बड़ा घोटाला सामने आया है। यह योजना गरीब और जरूरतमंद महिलाओं को आर्थिक सहायता देने के लिए लाई गई थी, लेकिन अब पता चला है कि इसका लाभ न सिर्फ हजारों पुरुषों ने उठाया, बल्कि पुणे जिला परिषद की 1,183 से ज्यादा मोटा वेतन पाने वाली महिला कर्मचारी भी इसमें शामिल थीं।
इस खुलासे ने सरकार और प्रशासन में हड़कंप मचा दिया है। महिला और बाल विकास विभाग ने सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं और पुणे जिला परिषद के सीईओ को अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को कहा गया है। आइए, इस घोटाले की पूरी कहानी और इसके पीछे की सच्चाई को विस्तार से समझते हैं।

लाडकी बहीण योजना में घोटाला
महाराष्ट्र सरकार ने जुलाई 2024 में मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहीण योजना शुरू की थी, जिसका मकसद 21 से 65 साल की उन महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपये देना था, जिनकी पारिवारिक आय सालाना 2.5 लाख रुपये से कम है। लेकिन जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि इस योजना का लाभ हजारों पुरुषों ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए हासिल किया। इसके अलावा, पुणे जिला परिषद की 1,183 महिला कर्मचारी, जो मोटा वेतन कमाती हैं और इस योजना की पात्रता शर्तों को पूरा नहीं करतीं, ने भी लाभ उठाया।
महिला और बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने बताया कि 26.34 लाख अपात्र लाभार्थियों के खातों को अस्थायी रूप से निलंबित किया गया है, जिनमें पुरुष और अपात्र महिलाएं शामिल हैं। इनमें से 12,000 से ज्यादा पुरुषों के बैंक खातों की जांच चल रही है। यह घोटाला इतना बड़ा है कि सरकार अब इन अपात्र लाभार्थियों से पैसे वसूलने की योजना बना रही है।

कार्रवाई और जांच का आदेश
इस घोटाले के सामने आने के बाद महिला और बाल विकास विभाग ने सख्त रुख अपनाया है। पुणे जिला परिषद के सीईओ को 1,183 कर्मचारियों के खिलाफ महाराष्ट्र सिविल सर्विस रूल्स के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है। विभाग ने यह भी कहा है कि इन कर्मचारियों पर की गई कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट सौंपी जाए।
इसके अलावा, 26.34 लाख अपात्र लाभार्थियों की जानकारी को दोबारा जांचने के लिए जिला कलेक्टरों को जिम्मेदारी दी गई है। जो लोग पात्र पाए जाएंगे, उनके खातों में फिर से लाभ शुरू किया जाएगा, लेकिन फर्जी दस्तावेजों से लाभ लेने वालों पर कड़ी कार्रवाई होगी।

योजना पर बढ़ता आर्थिक बोझ
लाडकी बहीण योजना को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 से पहले शुरू किया गया था और इसे महायुति गठबंधन की ऐतिहासिक जीत का बड़ा कारण माना जाता है। योजना के तहत अब तक 2.36 करोड़ महिलाओं को 12 किस्तों में 18,000 रुपये दिए जा चुके हैं। लेकिन इस घोटाले और योजना के बढ़ते आर्थिक बोझ ने कई सवाल खड़े किए हैं। कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे ने कहा कि यह योजना राज्य के खजाने पर भारी पड़ रही है, जिससे कृषि ऋण माफी योजना जैसे अन्य कार्यक्रम प्रभावित हो रहे हैं।
सरकार अब 20 लाख से ज्यादा अपात्र लाभार्थियों के नाम हटाने की तैयारी में है, खासकर उन महिलाओं के, जो पहले से अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ ले रही हैं। विपक्षी दलों, जैसे कांग्रेस और राकांपा (सपा), ने इसे महिलाओं का अपमान बताया और सरकार की नीयत पर सवाल उठाए। इसके बावजूद, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भरोसा दिलाया है कि योजना बंद नहीं होगी और इसे 2,100 रुपये प्रति माह तक बढ़ाने की योजना है।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।