जम्मू-कश्मीर में प्रकृति का प्रकोप: भूस्खलन और बादल फटने से 11 की मौत, राहत और बचाव कार्य जारी

जम्मू-कश्मीर में प्रकृति का प्रकोप: भूस्खलन और बादल फटने से 11 की मौत, राहत और बचाव कार्य जारी

श्रीनगर, 30 अगस्त 2025: जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ दिनों से भारी बारिश, बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं ने भयंकर तबाही मचाई है। रियासी और रामबन जिलों में हाल ही में हुई दो अलग-अलग प्राकृतिक आपदाओं में कम से कम 11 लोगों की जान चली गई, जबकि कई लोग अभी भी लापता हैं। रियासी के माहौर क्षेत्र में भूस्खलन ने एक ही परिवार के सात लोगों को मलबे में दबा दिया, वहीं रामबन के राजगढ़ तहसील में बादल फटने से चार लोगों की मौत हो गई। प्रशासन ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं, लेकिन लगातार बारिश और दुर्गम इलाकों के कारण चुनौतियां बनी हुई हैं।

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रियासी में भूस्खलन

रियासी जिले के माहौर उप-मंडल के बद्दर गांव में शुक्रवार और शनिवार की मध्यरात्रि को भारी बारिश के कारण एक भीषण भूस्खलन हुआ। इस हादसे में नजीर अहमद के घर पर पहाड़ी का मलबा गिर गया, जिसमें उनका पूरा परिवार दब गया। मृतकों में नजीर अहमद, उनकी पत्नी वजीरा बानो और उनके पांच बेटे बिलाल अहमद, मोहम्मद मुस्तफा, मोहम्मद आदिल, मोहम्मद मुबारक और वसीम अहमद शामिल हैं। यह परिवार अपने कच्चे मकान में सो रहा था, जब यह त्रासदी हुई।

स्थानीय प्रशासन और बचाव दलों ने मलबे से सातों शवों को निकाल लिया है, लेकिन आशंका है कि कुछ और लोग अभी भी मलबे में फंसे हो सकते हैं। रियासी के पहाड़ी इलाकों में भारी बारिश और भूस्खलन के कारण राहत कार्यों में भारी मुश्किलें आ रही हैं। स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है और प्रशासन ने लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है।

जम्मू-कश्मीर में प्रकृति का प्रकोप: भूस्खलन और बादल फटने से 11 की मौत, राहत और बचाव कार्य जारी

रामबन में बादल फटने की त्रासदी

रामबन जिले के राजगढ़ तहसील में शुक्रवार देर रात करीब 12:30 बजे बादल फटने की घटना ने भारी तबाही मचाई। इस आपदा ने अचानक बाढ़ की स्थिति पैदा कर दी, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई और पांच अन्य लोग लापता बताए जा रहे हैं। बाढ़ के तेज बहाव ने कई मकानों को बहा दिया, जिसमें दो घर और एक स्कूल भवन पूरी तरह नष्ट हो गए।

रामबन के उपायुक्त मोहम्मद इलियास खान और अन्य वरिष्ठ अधिकारी रात दो बजे घटनास्थल पर पहुंचे और राहत कार्यों का जायजा लिया। बचाव दल लापता लोगों की तलाश में युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं और प्रभावित परिवारों के लिए अस्थायी राहत शिविर बनाए गए हैं। प्रशासन ने लोगों से नदियों और नालों से दूर रहने की सलाह दी है, क्योंकि जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है।

प्रशासन की त्वरित कार्रवाई

इन त्रासदियों के बाद केंद्र और राज्य प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई शुरू की है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने रामबन के उपायुक्त से बात कर स्थिति की जानकारी ली और प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। उन्होंने अपने एक्स पोस्ट में कहा, “राजगढ़ में बादल फटने से चार लोगों की जान गई है और एक व्यक्ति अभी भी लापता है। राहत कार्य जारी हैं।”

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी शोक व्यक्त करते हुए प्रशासन को तत्काल राहत और बचाव कार्य करने के निर्देश दिए। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना जताई और कहा कि सभी जरूरतमंदों को सहायता प्रदान की जाएगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी स्थिति पर नजर रख रहे हैं और जल्द ही जम्मू का दौरा कर सकते हैं।

जम्मू क्षेत्र में लगातार आपदाएं

पिछले दो हफ्तों में जम्मू क्षेत्र में भारी बारिश, बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं ने भयंकर तबाही मचाई है। किश्तवाड़ के चाशोटी गांव में मचैल माता यात्रा मार्ग पर 14 अगस्त को बादल फटने से 65 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी, जबकि माता वैष्णो देवी मंदिर के पास हुए भूस्खलन में 30 श्रद्धालुओं की जान चली गई। कठुआ, डोडा और सांबा जैसे जिलों में भी इस तरह की घटनाएं हुई हैं, जिनमें कुल 115 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

भारी बारिश के कारण नदियां और नाले उफान पर हैं, जिससे कई गांवों का संपर्क टूट गया है। सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं और रेल सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं। मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश और भूस्खलन की चेतावनी दी है, जिसके चलते प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है।

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