प्रमुख बिंदु-
ग्लोबल डेस्क: भारत और ब्रिटेन के बीच आज, 24 जुलाई 2025 को, लंदन में एक ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) पर हस्ताक्षर होने जा रहे हैं। इस समझौते पर भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और उनके ब्रिटिश समकक्ष जोनाथन रेनॉल्ड्स हस्ताक्षर करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की उपस्थिति में यह डील दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी। इस समझौते का लक्ष्य 2030 तक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करके 120 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाना है। यह समझौता भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
2022 में शुरू हुई इस डील की वार्ता अब अपने अंतिम चरण में है। लगभग 2000 पेज के इस व्यापक समझौते में वस्तुओं, सेवाओं, नवाचार, सरकारी खरीद और बौद्धिक संपदा अधिकार जैसे कई क्षेत्र शामिल हैं। यह समझौता लागू होने के बाद ब्रिटिश संसद से अनुमोदन की प्रक्रिया में करीब एक साल का समय लग सकता है।

क्या है भारत-ब्रिटेन FTA डील?
भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौता (FTA) दोनों देशों के लिए एक बड़ा मील का पत्थर है। इस समझौते पर बातचीत 2022 से चल रही थी और कई रुकावटों के बाद, आखिरकार इसे 6 मई 2025 को अंतिम रूप दिया गया। अब आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिटेन यात्रा के दौरान, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और उनके ब्रिटिश समकक्ष जोनाथन रेनॉल्ड्स इस पर हस्ताक्षर करेंगे।
यह समझौता भारत के लिए अब तक का सबसे व्यापक व्यापार समझौता माना जा रहा है। यह न केवल व्यापार को बढ़ावा देगा, बल्कि रक्षा, शिक्षा, जलवा और तकनीक जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग को मजबूत करेगा। ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर ने इसे “ब्रिटेन के लिए बड़ी जीत” बताया, जो हजारों नौकरियां पैदा करेगा और व्यवसायों के लिए नए मौके खोलेगा। वहीं, पीएम मोदी ने इसे “ऐतिहासिक मील का पत्थर” करार देते हुए कहा कि यह भारत-ब्रिटेन की रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
समझौते के तहत, दोनों देश अपने बीच व्यापार होने वाली अधिकांश वस्तुओं पर सीमा शुल्क (टैरिफ) को या तो खत्म कर देंगे या इसमें भारी कटौती करेंगे। इससे भारत के निर्यात को ब्रिटेन में और ब्रिटिश उत्पादों को भारत में बढ़त मिलेगी। 2024-25 में भारत का ब्रिटेन को निर्यात 12.6% बढ़कर 14.5 अरब डॉलर हो गया, जबकि आयात 2.3% बढ़कर 8.6 अरब डॉलर रहा। इस डील से द्विपक्षीय व्यापार में सालाना 25.5 बिलियन पाउंड (लगभग 34 बिलियन डॉलर) की बढ़ोतरी का अनुमान है।

सस्ते होंगे ये उत्पाद
इस FTA से कई उत्पादों पर आयात शुल्क कम होगा, जिससे भारत और ब्रिटेन में ये चीजें सस्ती हो जाएंगी। आइए, जानते हैं कि कौन-कौन से सामान सस्ते होंगे:
- व्हिस्की और जिन: ब्रिटिश व्हिस्की और जिन पर भारत में लगने वाला 150% आयात शुल्क तुरंत घटकर 75% हो जाएगा। अगले 10 साल में यह शुल्क 40% तक कम हो जाएगा। इससे स्कॉच व्हिस्की और अन्य ब्रिटिश पेय पदार्थ भारत में सस्ते होंगे।
- लग्जरी कारें: जगुआर, लैंड रोवर, रोल्स-रॉयस और बेंटले जैसी ब्रिटिश कारों पर 100% आयात शुल्क घटकर 10% हो जाएगा। इससे भारत में इन कारों की कीमतें कम होंगी।
- चॉकलेट और बिस्किट: ब्रिटिश चॉकलेट, बिस्किट और अन्य खाद्य उत्पादों पर टैरिफ कम होने से ये भारत में सस्ते मिलेंगे।
- कॉस्मेटिक्स और मेडिकल डिवाइस: सौंदर्य प्रसाधन और चिकित्सा उपकरणों पर टैरिफ 15% से घटकर 3% हो जाएगा, जिससे ये उत्पाद भारतीय उपभोक्ताओं के लिए किफायती होंगे।
- सालमन मछली और भेड़ का मांस: ब्रिटिश सालमन और मटन जैसे उत्पाद भी भारत में सस्ते होंगे।
- शीतल पेय और इलेक्ट्रिकल सामान: सॉफ्ट ड्रिंक और इलेक्ट्रिकल मशीनरी पर भी टैरिफ में कमी आएगी।
दूसरी ओर, भारत के चमड़ा, जूते, कपड़ा, समुद्री उत्पाद, खिलौने, रत्न-आभूषण और इंजीनियरिंग सामान जैसे श्रम-प्रधान उत्पादों को ब्रिटेन में 99% शून्य शुल्क का लाभ मिलेगा। इससे भारतीय निर्यातकों को बड़ा फायदा होगा और ब्रिटेन में ये उत्पाद सस्ते होंगे।

भारत के लिए क्या फायदे?
यह समझौता भारत की अर्थव्यवस्था के लिए कई मायनों में फायदेमंद है:
- निर्यात में बढ़ोतरी: भारत के 99% निर्यात पर ब्रिटेन में शून्य शुल्क लागू होगा, जिससे कपड़ा, चमड़ा, फार्मा और रसायन जैसे क्षेत्रों को बड़ा फायदा मिलेगा। यह भारतीय निर्यातकों को बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों के बराबर प्रतिस्पर्धी बनाएगा।
- रोजगार सृजन: इस डील से भारत में लाखों नौकरियां पैदा होंगी, खासकर श्रम-प्रधान क्षेत्रों जैसे वस्त्र, चमड़ा और समुद्री उत्पादों में।
- सामाजिक सुरक्षा समझौता: डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन एग्रीमेंट (DCCA) के तहत, ब्रिटेन में सीमित अवधि के लिए काम करने वाले भारतीय पेशेवरों को सामाजिक सुरक्षा कोष में दोहरा योगदान देने से छूट मिलेगी।
- पेशेवरों की गतिशीलता: FTA में वीजा नियमों को सरल किया गया है, जिससे योग प्रशिक्षक, संगीतकार और शेफ जैसे भारतीय पेशेवरों को ब्रिटेन में काम करने के अवसर मिलेंगे।
- रणनीतिक साझेदारी: UK-India Vision 2035 रोडमैप के तहत, दोनों देश रक्षा, जलवायु और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाएंगे।
हालांकि, कुछ चुनौतियां भी हैं। ब्रिटेन के कार्बन बॉर्डर टैक्स जैसे पर्यावरणीय शुल्क भारतीय निर्यातकों के लिए बाधा बन सकते हैं। साथ ही, भारत का FTA उपयोग दर केवल 25% है, जो विकसित देशों (70-80%) से कम है।

ब्रिटेन के लिए क्या मायने?
ब्रिटेन के लिए यह समझौता ब्रेक्सिट के बाद सबसे महत्वपूर्ण व्यापार डील है। इससे ब्रिटिश व्यवसायों को भारत के विशाल बाजार तक पहुंच मिलेगी, जो दुनिया का सबसे बड़ा व्हिस्की बाजार है। ब्रिटेन अभी भारत से 11 बिलियन पाउंड का आयात करता है और टैरिफ कम होने से यह और बढ़ेगा।
- व्हिस्की उद्योग को फायदा: भारत में स्कॉच व्हिस्की की हिस्सेदारी केवल 3% है, लेकिन टैरिफ कम होने से यह बढ़ सकती है।
- क्लीन एनर्जी और तकनीक: ब्रिटिश क्लीन एनर्जी उद्योग को भारतीय बाजार तक पहुंच मिलेगी।
- नौकरियां और निवेश: इस डील से ब्रिटेन में हजारों नौकरियां पैदा होंगी और 6 बिलियन पाउंड (लगभग 63,000 करोड़ रुपये) के निवेश सौदों पर सहमति बनी है।

यह समझौता लागू होने से पहले ब्रिटिश संसद की मंजूरी लेनी होगी, जिसमें करीब एक साल लग सकता है। साथ ही, द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT) पर बातचीत अभी जारी है। वैश्विक व्यापार में अनिश्चितताएं, जैसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियां, इस डील को और महत्वपूर्ण बनाती हैं।
भारत के लिए यह समझौता पश्चिमी देशों के साथ पहला बड़ा व्यापार समझौता है, खासकर जब 2019 में भारत ने RCEP से खुद को अलग कर लिया था। यह यूरोपीय संघ जैसे अन्य व्यापार सौदों के लिए टेम्पलेट भी बन सकता है।

भारत-ब्रिटेन FTA दोनों देशों के लिए एक गेम-चेंजर है। यह न केवल व्हिस्की, कार और चॉकलेट जैसी चीजों को सस्ता करेगा, बल्कि लाखों नौकरियां पैदा करेगा, निर्यात बढ़ाएगा और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करेगा। पीएम मोदी की लंदन यात्रा और कीर स्टार्मर के साथ उनकी मुलाकात वैश्विक मंच पर भारत की आर्थिक कूटनीति की ताकत को दर्शाती है। यह समझौता भारत के “विश्व में मित्र, व्यापार में अग्रणी” दृष्टिकोण का प्रतीक है।

राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।