प्रमुख बिंदु-
नई दिल्ली: भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है और जल्द ही यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। अगस्त 2025 के EY Economy Watch रिपोर्ट के अनुसार, भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 2030 तक 20.7 ट्रिलियन डॉलर और 2038 तक 34.2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।
भारत की युवा आबादी, मजबूत आर्थिक नीतियां और सुधार इस विकास के पीछे मुख्य कारण हैं। 28.8 साल की औसत आयु, उच्च बचत और निवेश दर और 2024 में 81.3% से घटकर 2030 तक 75.8% होने वाला सरकारी कर्ज-जीडीपी अनुपात भारत को अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से आगे रखता है। वर्तमान में भारत का नाममात्र GDP 4.19 ट्रिलियन डॉलर है, जो इसे दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाता है।
2038 तक दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
EY Economy Watch की अगस्त 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2038 तक खरीद शक्ति समता (PPP) के आधार पर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है, जिसका GDP 34.2 ट्रिलियन डॉलर होगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुमानों के आधार पर, भारत 2030 तक 20.7 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा। अगर भारत 2030 के बाद 6.5% की औसत वृद्धि दर बनाए रखता है, जबकि अमेरिका 2.1% की दर से बढ़ता है, तो भारत 2038 तक PPP के आधार पर अमेरिका को पीछे छोड़ देगा। यह भारत की मजबूत आर्थिक नींव, युवा कार्यबल और सुधारों का परिणाम होगा।
युवा आबादी भारत की ताकत
भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ इसकी युवा आबादी है। 2025 में भारत की औसत आयु केवल 28.8 साल होगी, जो इसे दुनिया की सबसे युवा प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनाती है। इसके साथ ही, भारत में बचत और निवेश की दरें बहुत अधिक हैं, जो पूंजी निर्माण को बढ़ावा देती हैं। सरकारी कर्ज-जीडीपी अनुपात 2024 के 81.3% से घटकर 2030 तक 75.8% होने का अनुमान है, जबकि अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं जैसे अमेरिका (120% से अधिक), चीन, जर्मनी और जापान में कर्ज बढ़ रहा है।
भारत ने GST, दिवाला और दिवालियापन संहिता (IBC), UPI के माध्यम से वित्तीय समावेशन और उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) जैसे सुधारों के जरिए अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता को मजबूत किया है। ये सुधार उद्योगों को नई ताकत दे रहे हैं।
वैश्विक चुनौतियों में भारत की मजबूती
दुनिया की अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत की स्थिति बेहतर है। चीन 2030 तक PPP में 42.2 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा, लेकिन उसकी बढ़ती उम्रदराज आबादी और कर्ज चुनौतियां पैदा कर रहे हैं। अमेरिका मजबूत है, लेकिन 120% से अधिक कर्ज-जीडीपी अनुपात और धीमी वृद्धि इसे कमजोर कर रही है। जर्मनी और जापान, जो तकनीकी रूप से उन्नत हैं, बूढ़ी आबादी और वैश्विक व्यापार पर निर्भरता के कारण सीमित हैं।
दूसरी ओर, भारत की युवा आबादी, बढ़ती घरेलू मांग और टिकाऊ वित्तीय स्थिति इसे लंबे समय तक विकास के लिए सबसे अनुकूल बनाती है। EY इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डीके श्रीवास्तव ने कहा, “भारत की ताकत, इसका युवा और कुशल कार्यबल, मजबूत बचत और निवेश दरें और टिकाऊ कर्ज प्रोफाइल इसे अस्थिर वैश्विक माहौल में भी तेजी से बढ़ने में मदद करेंगे।”
बाहरी चुनौतियों का सामना और समाधान
हाल ही में अमेरिका द्वारा भारतीय सामानों पर 50% टैरिफ लगाया गया है, जो भारत के GDP के 0.9% को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, EY Economy Watch रिपोर्ट के अनुसार, भारत अगर निर्यात विविधीकरण, घरेलू मांग को बढ़ावा देने और अन्य देशों के साथ व्यापार साझेदारी को मजबूत करने जैसे कदम उठाए, तो इस प्रभाव को केवल 0.1% तक सीमित किया जा सकता है। इससे भारत की FY26 में 6.5% की अपेक्षित वृद्धि दर केवल 6.4% तक कम होगी।
भारत की घरेलू मांग और आधुनिक तकनीकों में बढ़ती क्षमता इसे वैश्विक अनिश्चितताओं जैसे टैरिफ दबाव और धीमे व्यापार के बीच मजबूत बनाती है। भारत 2028 तक जर्मनी को पीछे छोड़कर बाजार विनिमय दर (MER) के आधार पर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।