प्रमुख बिंदु-
ग्लोबल डेस्क: भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी (India-Russia Deal) नई ऊंचाइयों को छू रही है। भारत रूस से सस्ते क्रूड ऑयल और S-400 मिसाइल सिस्टम की अतिरिक्त खेप के लिए बातचीत कर रहा है। यह सब तब हो रहा है जब अमेरिका ने भारत पर रूस के साथ व्यापार को लेकर 50% टैरिफ लगाए हैं और कड़ी आलोचना की है। रूस ने अपने उराल्स क्रूड को ब्रेंट तेल की कीमत से 3-4 डॉलर प्रति बैरल सस्ता करने का प्रस्ताव दिया है, जो जुलाई में केवल 1 डॉलर की छूट से कहीं अधिक है। इसके साथ ही, सितंबर में रूस से भारत को तेल निर्यात में 10-20% की वृद्धि होने की उम्मीद है।

सस्ता रूसी तेल
रूस ने भारत को सितंबर और अक्टूबर में लोड होने वाले उराल्स क्रूड की कीमत में 3-4 डॉलर प्रति बैरल की छूट देने का ऑफर दिया है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह छूट पिछले सप्ताह 2.50 डॉलर थी और जुलाई में केवल 1 डॉलर थी। यह सस्ता तेल भारत के लिए बड़ा आर्थिक अवसर है, क्योंकि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है।
रूस, जो 2022 में यूक्रेन युद्ध के बाद भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया, अब भारत के कुल तेल आयात का लगभग 36% हिस्सा आपूर्ति करता है। सितंबर में रूस से तेल निर्यात में 150,000 से 300,000 बैरल प्रति दिन की वृद्धि की उम्मीद है। यह वृद्धि रूस के रिफाइनरियों पर यूक्रेनी ड्रोन हमलों के कारण कम हुई घरेलू उत्पादन क्षमता का परिणाम है, जिससे रूस को अधिक तेल निर्यात करना पड़ रहा है।

S-400 मिसाइल सिस्टम
भारत और रूस 2018 में 5.5 बिलियन डॉलर के S-400 मिसाइल सिस्टम सौदे पर सहमत हुए थे, जिसमें से तीन यूनिट्स पहले ही भारत को मिल चुकी हैं। अब दोनों देश अतिरिक्त यूनिट्स की डिलीवरी पर बातचीत कर रहे हैं, जिनमें से अंतिम दो यूनिट्स 2026 और 2027 में भारत पहुंचने की उम्मीद है। भारतीय वायुसेना प्रमुख एपी सिंह ने S-400 को “गेम-चेंजर” बताया है, खासकर ऑपरेशन सिंदूर में इसकी प्रभावशाली भूमिका के बाद। रूस के सैन्य-तकनीकी सहयोग के प्रमुख दिमित्री शुगाev ने कहा कि इस क्षेत्र में और सहयोग की संभावनाएं हैं। यह सौदा भारत की रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करेगा, खासकर चीन के साथ सीमा विवादों के बीच।

अमेरिका का दबाव
अमेरिका ने भारत के रूस के साथ तेल और हथियारों के व्यापार पर कड़ी आपत्ति जताई है। अगस्त 2025 में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत के निर्यात पर 50% टैरिफ लगाए, जिसमें से आधा हिस्सा भारत के रूसी तेल आयात के कारण था। ट्रम्प प्रशासन के अधिकारियों ने भारत पर “लाभ कमाने” और “रूस के युद्ध प्रयासों को बढ़ावा देने” का आरोप लगाया है।
हालांकि, भारत ने इस आलोचना का जवाब देते हुए कहा कि उसका व्यापार अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप है और वह सस्ता तेल खरीदकर अपने नागरिकों को महंगाई से बचाने की कोशिश कर रहा है। भारत के विदेश मंत्रालय ने यह भी बताया कि चीन, जो रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार है, पर ऐसी कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है।

भारत-रूस का अटूट रिश्ता
भारत और रूस के बीच दशकों पुराना रिश्ता है, जो तेल और रक्षा सौदों से और मजबूत हो रहा है। हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की, जहां दोनों नेताओं ने अपने “गहरे और गतिशील” संबंधों की सराहना की। भारत ने रूस के साथ अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने पर जोर दिया है और अमेरिकी दबाव के बावजूद रूस के साथ व्यापार जारी रखने का फैसला किया है। यह साझेदारी न केवल आर्थिक बल्कि सामरिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत को अपनी रक्षा और ऊर्जा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भरता कम करने में समय लगेगा।

India-Russia Deal से तेल की कीमतों पर असर
रूस से सस्ते तेल का आयात भारत के लिए न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि वैश्विक तेल कीमतों को स्थिर रखने में भी मदद करता है। यदि भारत रूसी तेल का आयात बंद करता है, तो वैश्विक तेल आपूर्ति में लगभग 10 लाख बैरल प्रति दिन की कमी आ सकती है, जिससे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं।
भारतीय रिफाइनरियां, जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी, इस सस्ते तेल को रिफाइन करके डीजल और अन्य ईंधन उत्पादों को यूरोप और अन्य क्षेत्रों में निर्यात कर रही हैं, जिससे भारत को अतिरिक्त लाभ हो रहा है। हालांकि, अमेरिकी टैरिफ के कारण भारत के छोटे और मध्यम एक्सपोर्टर्स को नुकसान हो सकता है, जिसके लिए भारत सरकार अमेरिका के साथ बातचीत कर रही है।
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।