भारत-पाकिस्तान ने बढ़ाया सीज़फ़ायर, DGMO की बातचीत से खुला रास्ता
प्रमुख बिंदु-
नई दिल्ली, 16 मई 2025 (India Pakistan Ceasefire): भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर तीन दिनों तक चले तीव्र ड्रोन युद्ध, गोलीबारी और तोपों की गड़गड़ाहट के बाद आखिरकार 10 मई 2025 को दोनों देशों ने युद्धविराम (सीजफायर) लागू करने का फैसला किया। अब इस सीजफायर की अवधि को 18 मई तक बढ़ा दिया गया है। दोनों देशों के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) की हॉटलाइन बातचीत ने इस समझौते का रास्ता बनाया। लेकिन क्या यह अस्थायी शांति स्थायी होगी, या फिर यह तनाव का एक और पड़ाव है? आइए, इस खबर को विस्तार से समझते हैं।
DGMO की बातचीत: शांति की पहल
10 मई 2025 को पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला ने अपने भारतीय समकक्ष लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को हॉटलाइन पर फोन किया। इस बातचीत में पाकिस्तान ने सभी तरह की सैन्य कार्रवाइयों को रोकने की पेशकश की। भारत ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया, और उसी दिन शाम 5 बजे से दोनों देशों के बीच संघर्षविराम (सीज़फ़ायर) लागू हो गया। हालांकि, कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान ने सीज़फ़ायर का उल्लंघन करते हुए दोबारा हमला किया, जिससे उसकी मंशा पर सवाल उठे। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने इस उल्लंघन का कड़ा जवाब दिया और साफ कर दिया कि सीज़फ़ायर भारत की शर्तों पर ही लागू होगा।

सीज़फ़ायर की अवधि 18 मई तक बढ़ी
गुरुवार, 15 मई 2025 को दोनों देशों के DGMO के बीच एक बार फिर हॉटलाइन पर बातचीत हुई। इस दौरान सीज़फ़ायर की अवधि को 18 मई तक बढ़ाने पर सहमति बनी। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि यह अस्थायी युद्धविराम नियंत्रण रेखा (LoC) पर गोलीबारी रोकने के लिए लागू किया गया है। भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भी इस बातचीत की पुष्टि की और कहा कि दोनों देश ‘विश्वास बहाली’ के उपायों को जारी रखेंगे। यह कदम तनाव को कम करने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।

पाकिस्तान का झूठा प्रचार और भारत का जवाब
पाकिस्तानी सेना ने दावा किया कि उसने भारत के एक एयरबेस को भारी नुकसान पहुंचाया। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं उस एयरबेस का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया और पाकिस्तान के दावों को खारिज किया। भारतीय सेना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुख्ता सबूत पेश किए, जिनसे पाकिस्तान का झूठ उजागर हुआ। इन सबूतों में ड्रोन हमलों को नाकाम करने और आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के वीडियो और तस्वीरें शामिल थीं। भारत की इस पारदर्शी और आक्रामक रणनीति ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उसकी स्थिति को और मजबूत किया।

अटारी-वाघा बॉर्डर पर उम्मीद की किरण
सीज़फ़ायर की अवधि बढ़ने से भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनाव में कमी की उम्मीद जगी है। इस सकारात्मक कदम से दोनों देशों के रिश्तों में सुधार की संभावना बढ़ी है, और सीमा पर शांति बनाए रखने की दिशा में एक नया मौका मिला है। विशेष रूप से, अटारी-वाघा बॉर्डर पर बंद पड़ी प्रतिष्ठित बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी के फिर से शुरू होने की संभावना जताई जा रही है।
यह सेरेमनी न केवल दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और सैन्य सहयोग का प्रतीक रही है, बल्कि यह दोनों राष्ट्रों की जनता के बीच एकता और सद्भाव का संदेश भी देती है। इसके दोबारा शुरू होने से न केवल स्थानीय लोगों में उत्साह बढ़ेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी यह संदेश जाएगा कि दोनों देश तनाव कम करने के लिए गंभीर प्रयास कर रहे हैं। यह कदम जनता के बीच विश्वास बहाली और आपसी समझ को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, जिससे भविष्य में और अधिक रचनात्मक बातचीत का रास्ता खुल सकता है।

सीज़फ़ायर का विस्तार और DGMO स्तर की बातचीत निश्चित रूप से एक सकारात्मक कदम है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि स्थायी शांति के लिए पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने होंगे। भारत ने साफ कर दिया है कि वह इंडस जल संधि पर अपनी स्थिति नहीं बदलेगा और आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर कायम रहेगा। आने वाले दिन दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण होंगे, क्योंकि यह तय करेगा कि क्या यह सीज़फ़ायर शांति की ओर ले जाएगा या फिर यह सिर्फ एक अस्थायी विराम है।
जय हिंद!
राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।