प्रमुख बिंदु-
नई दिल्ली: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ताजा रिपोर्ट ने देश में अपराध की भयावह तस्वीर पेश की है। 2023 में कुल 62 लाख 41 हजार से अधिक संज्ञेय अपराध दर्ज हुए, जो 2022 से 7.2 प्रतिशत अधिक हैं। हर पांच सेकंड में एक अपराध का मतलब है कि कानून-व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। जहां पारंपरिक अपराध जैसे हत्या में कमी आई, वहीं साइबर क्राइम और कमजोर वर्गों पर हमले बढ़े। यह रिपोर्ट न केवल आंकड़ों का संग्रह है, बल्कि समाज की गहरी समस्याओं का आईना भी।
साइबर धोखाधड़ी 31% की उछाल से चरम पर
डिजिटल भारत की तेज रफ्तार के साथ साइबर अपराधों ने रफ्तार पकड़ ली। NCRB के अनुसार, 2023 में 86,420 साइबर केस दर्ज हुए, जो पिछले साल के 65,893 से 31.2 प्रतिशत ज्यादा हैं। इनमें 68.9 प्रतिशत धोखाधड़ी से जुड़े थे, जहां अपराधी फर्जी कॉल और ऐप्स के जरिए लोगों को लूट रहे। महिलाओं और बच्चों पर साइबर स्टॉकिंग व बुलिंग के 1,305 मामले सामने आए, जिसमें हैदराबाद और मुंबई जैसे शहर आगे रहे। विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल साक्षरता की कमी और कमजोर साइबर सुरक्षा इसकी मुख्य वजह हैं। सिक्किम में सबसे कम मामले दर्ज हुए, जो छोटे राज्य की बेहतर व्यवस्था को दर्शाता है। सरकार को अब सख्त कानून और जागरूकता अभियान पर जोर देना होगा।
महिलाओं पर बढ़ें अत्याचार
महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े करते हुए 2023 में उनके खिलाफ 4,48,211 अपराध दर्ज हुए, जो 0.7 प्रतिशत की मामूली लेकिन चिंताजनक वृद्धि है। प्रति लाख महिलाओं पर अपराध दर 66.2 रही। सबसे ज्यादा मामले पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता (1,33,676), अपहरण (88,605) और छेड़छाड़ (83,891) के थे। दुष्कर्म के 29,670 मामले दर्ज हुए, जिसमें राजस्थान (5,078) और उत्तर प्रदेश (3,516) शीर्ष पर।
दहेज से जुड़े अपराध 14 प्रतिशत बढ़कर 15,489 हो गए, जिसमें 6,100 से ज्यादा महिलाओं की मौत हुई। यूपी में 7,151 मामले और 2,122 मौतें, बिहार में 3,665 मामले व 1,143 मौतें दर्ज। 13 राज्यों में एक भी दहेज केस नहीं, लेकिन उत्तर और मध्य भारत में जबरन शादी के लिए अपहरण बढ़े। दिल्ली जैसे महानगरों में महिलाओं पर अपराध दर सबसे ऊंची रही। यह सामाजिक कुरीतियों और कमजोर कानूनी प्रवर्तन को उजागर करता है।
अपहरण और यौन शोषण में 9.2% की भयानक बढ़ोतरी
बच्चों के खिलाफ अपराधों ने अभिभावकों के दिल दहला दिए। 2023 में 1,77,335 मामले दर्ज हुए, जो 9.2 प्रतिशत की वृद्धि है। प्रति लाख बाल जनसंख्या पर दर 39.9 हो गई। अपहरण (79,884, 45 प्रतिशत) और POCSO एक्ट के तहत (67,694, 38.2 प्रतिशत) प्रमुख थे। ज्यादातर अपराधी (39,076 मामलों में) पीड़ित के जान-पहचान के थे—परिवार के सदस्य (3,224), रिश्तेदार (15,146) या दोस्त (20,706)।
मध्य प्रदेश में 22,393 मामले सबसे ज्यादा, जहां हर तीन मिनट में एक अपराध। यौन अपराधों में 70,053 केस, 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी। दिल्ली में 7,731 मामले दर्ज, जो महानगरों में सबसे ऊंचा। रिपोर्ट बताती है कि जागरूकता बढ़ने से रिपोर्टिंग सुधरी, लेकिन सिस्टम पर बोझ है—90 प्रतिशत POCSO केस लंबित। बच्चों की सुरक्षा के लिए स्कूलों और समुदायों में सतर्कता जरूरी।
किसानों की आत्महत्याएं बढ़ी
कृषि क्षेत्र में संकट गहरा रहा। 2023 में 10,786 किसान और मजदूरों ने आत्महत्या की, जो कुल आत्महत्याओं (1,71,418) का 6.3 प्रतिशत। इनमें 4,690 किसान (ज्यादातर पुरुष) और 6,096 मजदूर। महाराष्ट्र में 38.5 प्रतिशत (4,151), कर्नाटक में 22.5 प्रतिशत मामले। 66.2 प्रतिशत पीड़ितों की सालाना आय एक लाख से कम। फसल विफलता, कर्ज और बाजार की अनिश्चितता मुख्य कारण। कुछ राज्य जैसे बिहार और पश्चिम बंगाल में शून्य मामले, लेकिन दक्षिण और पश्चिम भारत में चिंता। सरकार की योजनाएं जैसे पीएम-किसान और बीमा मददगार हैं, लेकिन इनपुट कॉस्ट और जलवायु परिवर्तन से जूझते किसानों को मजबूत समर्थन चाहिए।
दिल्ली में नकली नोटों का जाल
अर्थव्यवस्था को कमजोर करने वाले नकली नोटों के 3,51,656 नोट जब्त हुए, मूल्य 16.86 करोड़। दिल्ली में सबसे ज्यादा मामले, खासकर 2000 के नोट। राजस्थान (500 के नोट, 38,087) और असम (37,240) आगे। यूपी में कम मूल्य के नोटों की जब्ती टॉप पर। यह काला धन और आतंकवाद से जुड़ा खतरा दर्शाता है। सख्त निगरानी और तकनीकी हस्तक्षेप जरूरी। महाराष्ट्र में रेलवे चोरी के 22,157 मामले भी चिंता का विषय।