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हरिद्वार, 27 जुलाई 2025: उत्तराखंड के हरिद्वार में आज स्थित प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर के पैदल मार्ग पर एक दुखद हादसा हुआ। भारी भीड़ के बीच बिजली के तार में करंट फैलने की अफवाह ने भगदड़ मचा दी, जिसमें 6 श्रद्धालुओं की जान चली गई और 35 से अधिक लोग घायल हो गए। यह हादसा मंदिर के सीढ़ी वाले रास्ते पर सुबह करीब 9 बजे हुआ, जब सावन के महीने में दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु जमा थे।
हरिद्वार के पुलिस महानिरीक्षक (कानून और व्यवस्था) नीलेश भरणे ने बताया कि मंदिर की ओर बढ़ रही भीड़ में अचानक बिजली के खतरे की अफवाह फैली, जिससे लोग घबरा गए और एक-दूसरे पर गिरने लगे। इस अफरा-तफरी में कई लोग सीढ़ियों से गिर गए, जबकि कुछ भीड़ में कुचल गए। मृतकों की पहचान अरुष (12, बरेली), शकल (18, अररिया, बिहार), विक्की (18, रामपुर, यूपी), विपिन सैनी (18, काशीपुर, उत्तराखंड), शांति (बदायूं, यूपी) और एक अन्य व्यक्ति के रूप में हुई है।
मनसा देवी मंदिर, जो बिल्वा पर्वत की चोटी पर स्थित है, गंगा नदी के किनारे बसा है और रोपवे (उड़न खटोला) या सीढ़ियों के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। सावन के महीने में शिव भक्तों की भारी भीड़ के कारण मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, जिसने इस हादसे को और गंभीर बना दिया।

बिजली का झटका लगने की अफवाह से मची भगदड़
हादसे की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस, प्रशासन और उत्तराखंड राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की टीमें तुरंत घटनास्थल पर पहुंचीं। SDRF की तीन टीमें बचाव कार्य में जुटीं और घायलों को तत्काल नजदीकी अस्पतालों में पहुंचाया गया। हरिद्वार के जिला अस्पताल में 23 घायलों का इलाज चल रहा है, जबकि पांच गंभीर रूप से घायल लोगों को एम्स ऋषिकेश रेफर किया गया है।
हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) प्रमेंद्र सिंह डोभाल ने बताया कि प्रारंभिक जांच में पता चला है कि मंदिर मार्ग से 100 मीटर नीचे सीढ़ियों पर बिजली का झटका लगने की अफवाह के कारण भगदड़ मची। पुलिस इस अफवाह के स्रोत और हादसे की असल वजह की जांच कर रही है। गढ़वाल मंडल आयुक्त विनय शंकर पांडे ने भी घटनास्थल का दौरा किया और स्थिति की गंभीरता से समीक्षा की।
प्रशासन ने प्रभावित लोगों की सहायता के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं और स्थिति अब नियंत्रण में बताई जा रही है। मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्र को खाली करा लिया गया है, ताकि बचाव कार्य सुचारू रूप से चल सके।

मुख्यमंत्री धामी ने हादसे पर जताया गहरा दुख
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस हादसे पर गहरा दुख जताया और इसे “अत्यंत दुखद” बताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “हरिद्वार स्थित मनसा देवी मंदिर मार्ग में भगदड़ मचने का अत्यंत दुखद समाचार प्राप्त हुआ है। SDRF, स्थानीय पुलिस और अन्य बचाव दल मौके पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं। मैं निरंतर स्थानीय प्रशासन के संपर्क में हूं और स्थिति पर नजर रखे हुए हूं।”
सीएम धामी ने मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। साथ ही, उन्होंने इस हादसे की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं, ताकि अफवाह के कारणों और प्रशासनिक चूक की जांच हो सके। भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्थाओं की गहन समीक्षा के निर्देश भी दिए गए हैं।
हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर मार्ग पर हुए हृदय विदारक हादसे में 6 लोगों की मृत्यु का समाचार अत्यंत दुःखद है। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगतों की आत्मा को श्रीचरणों में स्थान एवं शोकाकुल परिजनों को यह असीम दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) July 27, 2025
प्रदेश सरकार द्वारा मृतकों के…
सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
इस हादसे ने मंदिर परिसर में भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मंदिर के पैदल मार्ग पर कोई आपातकालीन निकास योजना नहीं थी और वहां मौजूद पुलिसकर्मियों की संख्या भी अपर्याप्त थी। सीसीटीवी कैमरे भी ठीक से काम नहीं कर रहे थे, जिससे हादसे की सटीक जानकारी जुटाने में मुश्किल हो रही है।

हरिद्वार में सावन के दौरान हर साल लाखों श्रद्धालु मनसा देवी मंदिर दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन बार-बार भीड़ नियंत्रण में लापरवाही की शिकायतें सामने आती रही हैं। इस हादसे ने प्रशासन को यह सुनिश्चित करने के लिए मजबूर किया है कि भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचा जाए। विशेषज्ञों का मानना है कि मंदिरों में आपातकालीन योजनाओं, बेहतर भीड़ प्रबंधन और नियमित सुरक्षा जांच की आवश्यकता है।

राणा अंशुमान सिंह यूनिफाइड भारत के एक उत्साही पत्रकार हैं, जो निष्पक्ष और प्रभावी ख़बरों के सन्दर्भ में जाने जाना पसंद करते हैं। वह सामाजिक मुद्दों, धार्मिक पर्यटन, पर्यावरण, महिलाओं के अधिकारों और राजनीति पर गहन शोध करना पसंद करते हैं। पत्रकारिता के साथ-साथ हिंदी-उर्दू में कविताएँ और ग़ज़लें लिखने के शौकीन राणा भारतीय संस्कृति और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।